भारत के सबसे बड़े दुश्मन की साजिश और उसको लेकर देश में मची सियात का जिक्र आज करेंगे। जब चीन ने भारत के अभिन्न हिससों को अपने नक्शों में दिखाने की हिमाकत कर दी। चीन ने अगस्त के आखिरी महीने में अपना नया ऑफिशियल मैप जारी किया। चीन द्वारा मैप जारी करते ही विवाद खड़ा हो गया। चीन ने भारत के अरुणाचल प्रदेश, अक्साई चिन, ताइवान और दक्षिण चीन सागर को अपने क्षेत्र में दिखाया। चीन की नीति विस्तारवादी है। तमाम पड़ोसियों से उसका विवाद चल रहा है। ये बात पूरी दुनिया जानती है। 1950-51में ही चीन तिब्बत पर कब्जा कर चुका है और अब उसकी नजर ताइवान पर है। ऐसे में चीन ने नए नक्शे में ताइवान को भी अपना बताया। इसके साथ ही कई देशों की दावेदारी वाले साउथ चाइना सी को भी चीन की तरफ से अपने इलाके के तौर पर दिखाया।
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चीनी सरकार ने आधिकारिक तौर पर अपने मानक मानचित्र का 2023 संस्करण जारी किया है, जिसमें अरुणाचल प्रदेश राज्य और अक्साई चिन क्षेत्र शामिल हैं। 28 अगस्त को जारी किए गए मानचित्र में अरुणाचल प्रदेश को दर्शाया गया है, जिस पर चीन दक्षिण तिब्बत के रूप में दावा करता है और अक्साई चिन, जिसे उसने 1962 के संघर्ष के दौरान अपने क्षेत्र के हिस्से के रूप में जीत लिया था। नए मानचित्र में ताइवान और विवादित दक्षिण चीन सागर को चीनी संप्रभुता के हिस्से के रूप में शामिल किया गया है। चीन ने औपचारिक रूप से 2023 के लिए अपने मानक मानचित्र के संस्करण का अनावरण किया जिसमें विवादित क्षेत्र शामिल हैं, जैसे कि अरुणाचल प्रदेश, अक्साई चिन क्षेत्र, ताइवान और दक्षिण चीन सागर पर उसका दावा। भारत ने बार-बार कहा है कि अरुणाचल प्रदेश राज्य हमेशा देश का अभिन्न अंग रहा है और हमेशा रहेगा। सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि चीन के मानक मानचित्र का 2023 संस्करण आधिकारिक तौर पर सोमवार को जारी किया गया और प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय द्वारा होस्ट की गई मानक मानचित्र सेवा की वेबसाइट पर लॉन्च किया गया।
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ग्लोबल टाइम्स द्वारा प्रदर्शित मानचित्र में अरुणाचल प्रदेश, जिसे चीन दक्षिण तिब्बत के रूप में दावा करता है, और 1962 के युद्ध में अक्साई चिन पर कब्जा किया गया था। मानचित्र में ताइवान के अलग द्वीप और दक्षिण चीन सागर के एक बड़े हिस्से पर दावा करने वाली नाइन-डैश लाइन पर चीन के दावों को भी शामिल किया गया है। चीन ताइवान को अपनी मुख्य भूमि का हिस्सा होने का दावा करता है और मुख्य भूमि के साथ इसका एकीकरण चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के संकल्पित उद्देश्य का हिस्सा है। हालांकि ये पहला मौका नहीं है चीन इससे पहले भी ऐसी हरकतें करता रहा है। इससे पहले चीन ने अप्रैल 2023 में अपने नक्शे में अरुणाचल प्रदेश की 11 जगहों के नाम बदल दिए थे। इसके पहले 2021 में 15 जगहों और 2017 11 जगहों के नाम बदले थे।
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