अमेरिकन इतिहासकार विल ड्यूरॉट ने ऑवर स्टोरी ऑफ सिविलाइजेशन नामक एक किताब में इस्लाम के रक्तरंजित इतिहास, विशेष रूप से भारत में इसके अध्याय को विश्व इतिहास में सबसे रक्तरंजित अध्याय बताया है। यह वास्तव में बड़े दुख की बात है कि भारत में इस्लामोफासिस्टों से कहीं ज्यादा प्रभावित, कई राजनीतिक दल मुट्ठी भर मुसलमानों द्वारा स्वेच्छा से धर्म वापसी के खिलाफ हो-हल्ला मचाते हैं। भारत में वर्चस्व के अपने चरमोत्कर्ष के दौरान अनिवार्य रूप से इस्लाम में परिवर्तित हो गए थे।
इसे भी पढ़ें: Ghazwa-e-Hind II | हिंदू कुश का इतिहास क्यों है शर्मनाक | Teh Tak
जिहाद क्या है?
जिहाद शब्द की उत्पत्ति क्रिया जहादा से हुई है जिसका अर्थ है: प्रयत्न करना नैतिक मूल्यों के संरक्षण के लिए की जाने वाली ज़द्दोज़हद या संघर्ष, किसी जायज़ माँग के लिए भरपूर कोशिश करना या आंदोलन और जिसका मतलब मेहनत और मशक़्क़त करना भी है। जिसमें बुराई की ताकतों के खिलाफ युद्ध छेड़ने की अनुमति इस्लाम में क़ुताल के लक्ष्यों और उद्देश्यों को पूरा करती है। इस्लाम के पैगंबर से किसे ने सवाल पूछा कि सबसे अच्छा काम क्या है? उन्होंने उत्तर दिया कि या तो उनके या मेरे बारे में यकीन करो ये सबसे अच्छा काम है। प्रश्नकर्ता ने फिर पूछा कि अगला (अच्छाई में) क्या है? उन्होंने जवाब दिया कि अल्लाह के कारण जिहाद (धार्मिक लड़ाई) में शामिल हो। बताया जाता है कि जिहाद करना सभी यकीन करने वालों का नैतिक और धार्मिक कर्तव्य है। एक ही शक्ति है जो धार्मिक नेतृत्व और राजकीय नेतृत्व को नियंत्रित करती हैं। जो उनके साथ नहीं है या उनका आधिप्थ्य नहीं माना मतलब वो उनके विरूद्ध है और जो उनके विरूद्ध है वो धर्म के विरूद्ध है। धर्म के विरूद्ध होने पर तीन सजाएं हैं। जिहाद करना औऱ मारना धर्मांतरण करना इस्लाम में सामान्य लेकिन कर्तव्य माना जाता है। इसके साथ ही दूसरी जिम्मेदारी उनकी ये भी है कि जब उनके पास मस्जिद से चंदा लेने के लिए आएंगे तो वो चाहे रिक्शा चलाने वाला, ठेले वाला या कोई भी हो मना नहीं कर सकता। अपनी आमदनी का 10 प्रतिशत उसे जकात के रूप में देना है। हिन्दुओं में धर्म में दान देना स्वेच्छा है लेकिन इस्लाम में मना नहीं करने का प्रावधान है।
इसे भी पढ़ें: Ghazwa-e-Hind III | मोपला विद्रोह की असल कहानी आपको पता है? | Teh Tak
इस्लामिक आतंकवाद
आपने अक्सर लोगों को ये कहते सुना होगा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। आतंकवादी की कोई राष्ट्रीयता नहीं होती और उसका कोई देश नहीं होता। आतंकवादी सिर्फ आतंकवादी होता है। ये बात हम भी मानते हैं और इस देश में ज्यादातर लोग इस बात का समर्थन करते होंगे। लेकिन आज की तारीख में ये एक शाश्वत सत्य है कि कुछ लोग इस्लाम का दुरुपयोग करके पूरी दुनिया में ये साबित करने पर तुले हैं कि आतंकवाद का धर्म होता है। इन लोगों को आप आतंकवादी कह सकते हैं कट्टरपंथी भी कह सकते हैं। धर्म के नाम पर जहर फैलाने वाला सामाजिक वायरस कह सकते हैं। विश्व में 13 ऐसी जगह है जहां पर मुस्लिम लड़ाइयां लड़ रहे हैं। या तो खुद आपस में ही या फिर काफिरों के साथ। इसराइल और फिलिस्तीन के बीच सदियों से गाजा और यरुशलम पर कब्जे को लेकर लड़ाई हो या रूस के दक्षिणी हिस्से में स्थित मुस्लिम बहुल क्षेत्र चेचन्या गणराज्य हो जहां स्थानीय अलगाववादियों और रूसी सैनिकों के बीच बरसों से जारी संघर्ष ने चेचन्या को बर्बाद कर दिया। चीन का प्रांत शिनजियांग एक मुस्लिम बहुल प्रांत है। जबसे यह मुस्लिम बहुल हुआ है तभी से वहां के बौद्धों, तिब्बतियों आदि अल्पसंख्यकों का जीना मुश्किल हो गया है। अब बात करते हैं भारत के कश्मीर की जहां के हालात पहले ऐसे नहीं थे। 1990 के पहले तक आम कश्मीरी खुद को भारतीय मानता था। हालांकि कश्मीर विभाजन की टीस तो सभी में थी लेकिन कट्टरता और अलगाववाद इस कदर नहीं था, जैसा कि आज देखने को मिलता है। श्रीलंका में कटनकुड़ी नगर मुस्लिम बहुल बन चुका है तो म्यांमार का अराकान प्रांत बांग्लादेश के रोहिंग्या मुस्लिमों से आबाद है। नाइजीरिया में ईसाइयों की जनसंख्या 49.3 प्रतिशत और मुस्लिमों की जनसंख्या 48.8 प्रतिशत है।
इसे भी पढ़ें: Ghazwa-e-Hind V | सेक्युलर से इस्लामिक बनते जा रहे कई देश | Teh Tak