मुस्लिम धर्म के सिद्धांतों के अनुसार दुनिया दो भागों में विभाजित है-
पहला- दारुल इस्लाम: वह देश जहां मुस्लिम रहते हैं और मुस्लिमों का ही शासन है, उसे ‘दारुल इस्लाम’ कहते हैं।
दूसरा- दारुल हर्ब: जहां मुस्लिम रहते हैं, लेकिन शासन गैर-मुस्लिम करते हैं।
दारुल हर्ब ‘भारत’ को दारुल इस्लाम बनाना ही ‘गज़वा-ए-हिन्द’
इस्लामी सिद्धांत के अनुसार, भारत भूमि मुस्लिमों की हो सकती है लेकिन हिन्दुओं और मुस्लिमों, दोनों की नहीं हो सकती। इस्लामी सिद्धांतों के मुताबिक भारत को ‘दारुल इस्लाम’ बनाने के लिए भारत के मुस्लिमों का ‘जिहाद’ की घोषणा करना न्यायसंगत है। इसका अर्थ यह हुआ कि दारुल हर्ब ‘भारत’ को दारुल इस्लाम बनाना ही ‘गज़वा-ए-हिन्द’ है। गजवा-ए-हिन्द का मतलब है काफिरों को जीतने के लिए किये जाने वाले युद्ध को “गजवा” कहते हैं और जो इस युद्ध में विजयी रहता है उसे “गाजी” कहते हैं, जिस भी आक्रान्ता और आक्रमणकारी के नाम के सामने गाजी लगा हो या जिसे गाजी की उपाधि दी गयी हो निश्चय हो वो हिन्दुओ के व्यापक नर संहार करके इस्लाम के फैलाव में लगा था।
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हदीस में क्या कहा गया है?
मोहम्मद साहब की मौत के 200 सालों के बाद हदीस लिखी गई थी। हदीस अरबी शब्द है जिसका अर्थ रिपोर्ट है। दरअसल, इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार पैगम्बर मोहम्मद अपने जीवन काल के दौरान सहबियों से जो बातें करते और कहते थे या उनके किसी सवाल के जवाब में कहते थे, उन्हें सहाबी (पैगंबर के साथी) याद कर लेते थे, फिर वो पैगंबर की ये बातें अपनी आने वाले पीढ़ियों को सुनाते थे। बाद में पैगंबर की इन बातों को संग्रहित कर लिया गया, जिन्हें हदीस कहते हैं। हदीस के छह संग्रह हैं। कुरान में जिहाद का अर्थ है तपस्या लेकिन हदीस में जिहाद का अर्थ धर्मयुद्ध है। गजवा ए हिन्द का भी उल्लेख पहली बार हदीस में ही मिलता है। गजवा ए हिन्द का अर्थ है एक ऐसा युद्ध जो मोहम्मद साहब के निर्देश पर लड़ा जाए। इस मान्यता के अनुसार हर मुसलमान का कर्तव्य है कि वो ये सुनिश्चित करे कि दुनियाभर में बुतपरस्ती (मूर्तिपूजा) बंद होनी चाहिए। क्योंकि मूर्ति पूजा बंद होने के बाद ही दुनिया में इस्लाम का राज कायम हो सकता है।
हदीस को लेकर विवाद
इस्लामी विद्वानों के बीच इसको लेकर संदेह बना रहता है कि कहीं किसी रावि ने पैगम्बर की वफ़ात (मृत्यु) के बाद अपने निजी स्वार्थ को सिद्ध करने के लिए पैगंबर के नाम पर कोई झूठी हदीस तो नहीं पेश कर दी। विद्यानों ने कई छानबीन के बाद कुछ हदीसों को रद्द भी किया गया
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मुस्लिम बाहुल देश इस्लाम को राष्ट्रधर्म मानने वाले बनते गए
हिन्दू दुनिया के 110 से ज्यादा देशों में रहते हैं लेकिन इसे मानने वालों की सबसे बड़ी आबादी भारत और नेपाल में रहती है। नेपाल किसी जमाने में एक मात्र हिन्दु राष्ट्र हुआ करता था लेकिन 2008 में नेपाल के संविधान में बदलाव करके उसे धर्मनिरपेक्ष देश का दर्जा दे दिया गया। जिस प्रकार भारत धर्मनिरपेक्ष है उसी प्रकार। साल 1977 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भारत के संविधान में 42वां संशोधन करते हुए प्रस्तावना में सेक्युलर शब्द जोड़ दिया था। यानि पिछले कुछ दशकों में भारत और नेपाल जैसे देशों में बहुसंख्यक हिन्दू पर तो धर्मनिरपेक्षता की पूरी जिम्मेदारी डाल दी गई। लेकिन मुस्लिम बाहुल देश सेक्युलर से इस्लाम को राष्ट्रधर्म मानने वाले देश बनते चले गए।
आतंकवादी संगठन करते हैं इनका प्रयोग
कुरान के बाद हदीसें इस्लाम में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। गज़वा-ए-हिन्द की हदीसों का इस्तेमाल इस्लामी कट्टरपंथी और आतंकवादी संगठन लोगों को बरगलाने और जिहाद के नाम पर आतंकी बनाने में करते है। अलकायदा और जैश-ए-मोहम्म्द जैसे संगठन हिंदुस्तान और पाकिस्तान के कट्टरपंथियों को जिहाद की आग में झोंकने और खुद को स्थापित करने के लिए गज़वा-ए- हिन्द की हदीसों का इस्तेमाल करते है। भारत के साथ कश्मीर में छद्म युद्ध लड़ रहे पाकिस्तान और स्थानीय तथा विदेशी आतंकी संगठन इन हदीसों के प्रयोग मुस्लिम युवाओं को भड़काने और भारत के खिलाफ हथियार उठाने के लिए ब्रेनवाश करने में एक हथियार की तरह प्रयोग करते हैं। लश्कर-ए-तैयबा गज़वा-ए-हिंद को कश्मीर की आज़ादी से जोड़ता था। अल कायदा की उज्बेक शाखा ने तो बाकायदा उर्दू में ‘गज़वा-ए-हिन्द’ के नाम से एक पत्रिका भी निकाली थी, जिसमें ‘गज़वा-ए-हिन्द’ की व्याख्या करते हुए ये कहा गया था कि पाकिस्तान में निज़ाम शरीयत के हिसाब से नहीं है, इसलिए भारत के खिलाफ ‘गज़वा-ए-हिन्द’ यहाँ से शुरू होकर पूरी दुनिया में फैलेगा।
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