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History of Houthis Part 4 | यमन के हूती विद्रोहियों के खिलाफ अमेरिका चाहता है भारत की मदद | Teh Tak

जब हम लोग जियोग्राफी और हिस्ट्री की पढ़ाई करते थे। वर्ल्ड ट्रेड के शुरुआती सबक सिखते थे तब स्वेज नहर के बारे में सुनते थे। इससे जुड़ी क्राइसिस के बारे में सुनते थे। 32 किलोमीटर के उस संकड़े रास्ते के बारे में सुनते थे जिस पर कोई आफत आती थी तो एशिया, अफ्रीका और यूरोप के बीच व्यापार की लागत बढ़ जाती थी। उससे जुड़ी खबर ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। वहां पर लगातार हमले हो रहे हैं। उन हमलों को काउंटर करने के लिए 10 देशों की एक साझा फौज भी तैयार की गई। अमेरिका ने इसमें भारत को भी शामिल होने के लिए कहा। 
अमेरिका ने बनाई 10 देशों की फौज 
अमेरिका समेत 10 देशों ने साथ मिलकर गठबंधन बनाया है, जोकि हूती विद्रोहियों से वाणिज्यिक जहाजों को बचाने के लिए गश्त करेंगे। इस मल्टीनेशनल सिक्योरिटी इनिशिएटिव में बहरीन, ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, इटली, नीदरलैंड, नॉर्वे, सेशेल्स और स्पेन शामिल है। इसका असर भी नजर आया और फरवरी के पहले हफ्ते में ही हूती के 10 अलग-अलग जगहों पर 30 से ज्यादा ठिकानों पर हमला किया गया। इस हमले के बाद अमेरिका और ब्रिटेन ने ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, कनाडा, डेनमार्क, नीदरलैंड और न्यूजीलैंड के साथ एक संयुक्त बयान जारी किया। बयान में उन्होंने कहा कि हमारा मकसद लाल सागर में शांति बनाए रखना है, क्योंकि वहां से गुजरने वाले शिप को लगातार खतरों का सामना करना पड़ रहा है। मन से संचालित होने वाले हूति विद्रोहियों ने कई जहाजों पर कब्जे की कोशिश की है। जिसके बाद 12 बड़ी शिपिंग कंपनियों ने रेड सी में काम धंधा रोक दिया है। 18 दिसंबर को ब्रिटिश पेट्रोलियम ने इस रूट पर ऑपरेशन चलाने से मना कर दिया। अरब देशों से निकलने वाला अधिकांश कच्चा तेल इसी रास्ते दुनिया में पहुंचता है। रास्ता बदलेगा तो तेल महंगा होगा। तेल महंगा होगा तो सिर्फ गाड़ियों के चलने की लागत नहीं बढ़ेगी। आपकी सब्जी, फसल और आपकी जिंदगी की रोजमर्रा की लागत भी बढ़ जाएगी। कच्चे तेल के दाम बढ़ते हैं तो हर चीज पर असर होता है औऱ जरूरी चीजों के प्रवाह पर भी असर होता है। 
क्या है लाल सागर 
लाल सागर हिंद महासागर और भूमध्य सागर के बीच का रास्ता है। जिसमें ग्रेट ऑफ टीयर्स भी स्थित है। ये एक ऐसा जलमार्ग है जिससे दुनिया का 40 प्रतिशत व्यापार होता है। सऊदी अरब, मिस्र और सूडान के बीच स्थित, लाल सागर स्वेज़ नहर का प्रवेश द्वार है और दुनिया के प्रमुख वैश्विक व्यापार गलियारों में से एक है, जो लगभग 12 प्रतिशत वैश्विक व्यापार और लगभग एक तिहाई वैश्विक कंटेनर यातायात की देखरेख करता है। आपको स्वेज से गुजरना है तो आप रेड सी को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। स्वेज़ नहर से हर साल लगभग 19,000 जहाज़ पार करते हैं, इनलेट ऊर्जा और कमोडिटी व्यापार में एक रणनीतिक दबाव बिंदु है। अमेरिका और पश्चिमी सहयोगियों के विरोधी कभी-कभी उन चोकपॉइंट्स का फायदा उठाने की कोशिश करते हैं क्योंकि यह वैश्विक गतिशीलता पर इतना महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। हूती हमलों से चिंतित होकर, प्रमुख ऊर्जा कंपनियों और शिपिंग फर्मों बीपी, इक्विनोर, मार्सक, एवरग्रीन लाइन और एचएमएम ने अपने जहाजों का मार्ग बदल दिया है या लाल सागर में परिचालन निलंबित कर दिया है। 

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भारत को भी इसमें शामिल होने 
भारत के निर्यातकों के अनुसार लाल सागर में चल रहे मौजूदा सुरक्षा खतरे की वजह से यूरोप और अफ्रीका जाने वाले भारतीय सामान का भाड़ा लगभग 25 से 30 प्रतिशत बड़ सकता है। आशंका इस बात को लेकर भी जताई जा रही है कि इससे तेल की कीमतों में भी उछाल आएगा जिसके चलते ईंधन के दामों में भी बढ़ोतरी होगी। भारत में एशियाई, अफ्रीकी और यूरोपीय देशों से जो सामान का आयात होता है वो लाल सागर के जरिए ही होता है। इसके अलावा भारत इस रास्ते से मुख्य रूप से पेट्रोलियम पदार्थ, दालें और मशीनी उपकरण निर्यात करता है। अमेरिका ने लाल सागर में यमन के हूती विद्रोहियों द्वारा उत्पन्न खतरों का मुकाबला करने के लिए भारत को बहु-राष्ट्रीय नौसैनिक गठबंधन, ऑपरेशन प्रॉस्पेरिटी गार्जियन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है। 

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