बुद्धदेव भट्टाचार्य ने की2007 में जब नंदीग्राम में हिंसा हुई तब राज्य में वाम मोर्चे की सरकार थी और मुख्यमंत्री थे बुद्धदेव भट्टाचार्य। उन्होंने वर्ष 2000 में तब वाम मोर्चे की सत्ता की बागडोर संभाली जब 1977 से मुख्यमंत्री रहे ज्योति बसु ने 86 साल की उम्र में जिम्मेदारी से हटने का फैसला किया। बुद्धदेव भट्टाचार्य ने वामपंथियों के उद्योग विरोधी होने की छवि को बदलने की कोशिश की। इसी के तहत 2005 में जब भारत सरकार ने देश भर में केमिकल हब बनाने का विचार किया तो नंदीग्राम का भी नाम आया। जिसके बाद ये तय किया गया कि बंदरगाह वाले औद्योगिक शहर हल्दिया के पास स्थित नंदीग्राम को एक पेट्रोलियम, केमिकल और पेट्रोकेमिकल क्षेत्र तथा एक विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) के रूप में विकसित किया जाएगा।
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बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार 14 हजार एकड़ में विकसित होने वाले केमिकल हब के लिए बुद्धदेव भट्टाचार्य की सरकार ने इंडोनेशिया की दिग्गज औद्योगिक कंपनी सलीम ग्रुप से निवेश हासिल किया। मगर इस प्रोजेक्ट को लेकर नंदीग्राम के किसानों के मन में आशंकाएं पैदा होने लगी। उन्हें लगने लगा कि सरकार पुलिस और अपने समर्थकों के जोर पर जबरन उनकी जमीन ले लेगी। जिसके बाद कांग्रेस का दामन थाम गठबंधन कर 2004 का लोकसभा और 2006 का विधानसभा चुनाव लड़ने वाली ममता चुनाव में मिल रही असफलता के बाद किसानों के विरोध को एक आंदोलन की शक्ल दी।
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नंदीग्राम में पार्टी के समर्थकों नेताओँ ने विरोधी किसानों का एक संगठन खड़ा कर दिया जिसका नाम रखा गया- भूमि उच्छेद प्रतिरोध समिति। जनवरी 2007 से बात बढ़ने लगी और जनवरी से मार्च के बीच कई बार पुलिस और सत्ताधारी दल के सदस्यों और ग्रामीणों के बीच संघर्ष हुआ। नंदीग्राम को इन 14 सालों में दुनिया ने जाना तो जरूर लेकिन इसके लिए इस गांव को कई कुर्बानियां देनी पड़ी। 2005-06 तक एकदम शांत सा रहने वाला गांव 2007-08 में लगभग 11 महीनों तक सिविल वार की स्थिति में रहा।
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