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Uniform Civil Code VI | BJP का न्यूक्लियर बटन है UCC, ध्वस्त हो जाएंगे विपक्षी एकता के सारे समीकरण? | Teh Tak

यूसीसी के मसले पर प्रधानमंत्री खुलकर बोले। यूसीसी बीजेपी का चुनावी वादा भी रहा है। बीजेपी ने राम मंदिर और जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने के साथ ही यूसीसी का भी वादा किया था। यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का भी अजेंडा रहा है। यूसीसी पर एक बीजेपी कार्यकर्ता के सवाल पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत के मुसलमानों को समझना होगा कि कौन सी पार्टियां उन्हें भड़काकर उनका फायदा उठाकर उन्हें बर्बाद कर रही हैं। पीएम ने कहा कि आजकल समान नागरिक संहिता के नाम पर भड़काने का काम हो रहा है। उन्होंने कहा कि एक घर में परिवार के एक सदस्य के लिए एक कानून हो और दूसरे के लिए दूसरा कानून, तो क्या वह घर चल पाएगा। ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा। संविधान में नागरिकों के समान अधिकार की बात कही गई है।

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संघ का संकल्प और बीजेपी के घोषणापत्र का हिस्सा
यूनिफॉर्म सिविल कोड आरएसएस और जनसंघ के संकल्प में रहे तो बीजेपी के मेनिफेस्टों में ही बरसों तक बने रहे। गठबंधन सरकारों के दौर में बीजेपी ने हमेशा इन विवादित मुद्दे से खुद को दूर रखा। लेकिन अब केंद्र में मोदी के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत की सरकार है। लोकसभा में तो बीजेपी का पूरा दम है ही राज्यसभा में भी उसने तीन तलाक और 370 के खात्मे के फैसले पारित करवा लिए।
1 महीने तक चलेगा बीजेपी का यूसीसी अभियान
बीजेपी अपने महाजनसंपर्क अभियान की तरह ही समान नागरिक संहिता को लेकर चलाए जाने वाले अभियान को पूरे एक माह तक चलाएगी। इसमें बीजेपी के सभी पदाधिकारी, कार्यकर्ता, सांसद, विधायक और प्रभारी भी शामिल होंगे। इसमें बीजेपी लोगों के घरों तक पहुंचेगी और पर्चा बांटकर यूसीसी के फायदे बताएगी। साथ ही ये भी बताएगी कि भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी यूसीसी लागू है। 

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2024 आम चुनाव की नई पिच
2019 में आम चुनाव में लगातार दूसरी बार बड़ी जीत हासिल करने के बाद नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एनडीए सरकार ने पहले नागरिकता संशोधन कानून लागू किया और फिर धारा 370 को कश्मीर से हटाया। साथ ही राम मंदिर के मसले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद बीजेपी ने इसे अपनी जीत बताया। ये तमाम ऐसे मुद्दे हैं जो शुरुआत से ही बीजेपी की विचारधारा के मुद्दे रहे हैं। यूनिफॉर्म सिविल कोड भी बीजेपी के लिए ऐसा ही मुद्दा है। ऐसे में पीएम मोदी ने इस मुद्दे पर मजबूती से बयान देकर न सिर्फ अपने काडर और वोटरों के बीच बड़ा संदेश देने की कोशिश की, बल्कि विपक्षी एकता की कोशिशों और मुफ्त योजना की बदौलत बीजेपी को काउंटर करने की राजनीति को भी बैकफुट पर धकेलने का प्रयास किया है। आम चुनाव से पहले पीएम ने अजेंडा को अपने कोर्ट में लाने की पहल की है। अब विपक्ष इस पर किस तरह की प्रतिक्रिया देता है और उनका स्टैंड क्या होता है, यह भी इस मुद्दे की दिशा तय करेगा। 2024 की नई सियासी पिच मंगलवार को तैयार हो गई।
सीएए और एनआरसी के हश्र के बाद यूसीसी पर राह कितनी आसान
सीएए और एनआरसी के हश्र को मोदी सरकार पहले ही देख चुकी है। ऐसे में भले ही पीएम मोदी ने साफ शब्दों में वकालत की है। लेकिन ये कब और कैसे लागू होगा, इसको लेकर चर्चा विमर्श जारी है। सरकार ये संकेत दे चुकी है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने से पहले वो व्यापक विचार-विमर्श करना चाहती है और पूरे देश में लागू करने से पहले किसी एक राज्य को मॉडल के रूप में पेश करना चाहती है। इसी मीटिंग में पीएम मोदी ने ये भी साफ संकेत दिया कि विपक्षी एकता की कोशिश को वो अपने सबसे पुराने आजमाए हथियार परिवारवाद और भ्रष्टाचार के आरोप से काउंटर करेंगे। 
मोदी ने विपक्ष के विमर्श का रुख ही मोड़ दिया
23 जून को बिहार की राजधानी पटना में मोदी विरोधी मोर्चा का महाजुटान हुआ था और बैठक में सभी पार्टियों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने को लेकर सहमति भी बनती दिखी थी। लेकिन मुद्दा और पीएम फेस को लेकर सस्पेंस बरकार है। ऐसे में विपक्षी पार्टियों से पहले प्रधानमंत्री ने यूसीसी का सिक्का उछाल दिया है। अब विपक्ष प्रो एक्टिव होने की बजाए रिएक्टिव हो गया है। इसके साथ ही यूसीसी को लेकर आप, उद्धव सेना की तरफ से अलग मत सामने आए हैं उससे फौरी तौर पर तो यही लगता है कि सिक्का उछाल कर बीजेपी टॉस तो जीत लिया है। अब आगे सियासी पिच पर ये मैन विनर साबित हो पाती है या नहीं ये तो वक्त के साथ पता चलेगा। 

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