तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सौंदर्यराजन ने प्रदेश में सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के नेता श्रवण दासोजू और पूर्व विधायक कुर्रा सत्यनारायण को राज्यपाल के कोटे के तहत विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) के रूप में नामित करने की राज्य कैबिनेट की सिफारिश खारिज कर दी है।
समझा जाता है कि राज्यपाल ने प्रासंगिक नियमों के अनुसार दो व्यक्तियों के नामांकन के लिए अनुपयुक्त होने का हवाला दिया है।
राज्यपाल के फैसले की निंदा करते हुए तेलंगाना के विधायी मामलों के मंत्री वी. प्रशांत रेड्डी ने सोमवार को कहा कि दोनों का नामांकन खारिज करना पूरी तरह से गलत है, क्योंकि उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि है।
रेड्डी ने एक विज्ञप्ति में कहा कि श्रवण दासोजू और कुर्रा सत्यनारायण क्रमशः सर्वाधिक पिछड़ा वर्ग (एमबीसी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) से ताल्लुक रखते हैं और उन्हें नामित करने से इनकार करना तेलंगाना के एमबीसी और एसटी (एरुकुला) समुदाय का अपमान करने के समान है।
रेड्डी ने कहा कि सौंदर्यराजन ने तेलंगाना राज्य आंदोलनकारियों का अपमान किया है, क्योंकि दासोजू और कुर्रा सत्यनारायण की पृष्ठभूमि राजनीतिक थी, जबकि सौंदर्यराजन को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तमिलनाडु इकाई की अध्यक्ष होने के बावजूद राज्यपाल पद पर नियुक्त किया गया।
मंत्री ने कहा, अगर सौंदर्यराजन में जरा-भी नैतिकता है, तो उन्हें अपना पद छोड़ देना चाहिए।
रेड्डी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने राय दी थी कि केंद्र-राज्य संबंधों पर सरकारिया आयोग के विचार के अनुसार उन लोगों को राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया जाना चाहिए, जो राजनीति से संबंधित नहीं हैं।
उन्होंने दावा किया कि हालांकि भाजपा की एक प्रदेश इकाई की अध्यक्ष को राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया, जो सरकारिया आयोग की सिफारिशों के खिलाफ है।
रेड्डी ने कहा कि सौंदर्यराजन को पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है, क्योंकि वह राजनीति से जुड़ने के बाद राज्यपाल बनीं।