हाल ही में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के उस आदेश पर विवाद खड़ा कर दिया गया था जिसमें कहा गया था कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित दुकानदार अपना असली नाम दुकान के ऊपर लगाये गये बोर्ड पर लिखें। लेकिन अब उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से जो मामला सामने आया है वह दर्शा रहा है कि योगी सरकार का वह फैसला जनहित में था। हम आपको बता दें कि गाजियाबाद जिले के लोनी बॉर्डर क्षेत्र में पुलिस ने 29 वर्षीय एक जूस विक्रेता को फलों के जूस में मानव मूत्र मिलाने के आरोप में गिरफ्तार किया है। साथ ही जूस विक्रेता के नाबालिग सहयोगी को हिरासत में लिया गया है। अंकुर विहार क्षेत्र के सहायक पुलिस आयुक्त भाष्कर वर्मा ने बताया कि यह गिरफ्तारी जनता की शिकायत पर की गई है। उनके मुताबिक लोगों ने शिकायत की थी कि यह जूस विक्रेता मानव मूत्र मिलाकर ग्राहकों को फलों का जूस परोस रहा था। उन्होंने बताया कि जूस विक्रेता की पहचान आमिर के रूप में हुई है। पुलिस आयुक्त भाष्कर वर्मा ने कहा कि सूचना मिलने पर पहुंची पुलिस ने उसके जूस के ठेले पर तलाशी ली तो पेशाब से भरी प्लास्टिक की केन बरामद हुई। उनके अनुसार पुलिस ने इस संदर्भ में आमिर से पूछताछ की लेकिन वह कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सका। उन्होंने कहा कि इस मामले में कानूनी कार्यवाही चल रही है।
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हम आपको बता दें कि जूस में मानव मूत्र मिलाने की इस घटना से पहले रोटी को बनाते समय उस पर थूकने, मिठाइयों में पेशाब करने तथा इसी प्रकार की कई अन्य घटनाएं सामने आ चुकी हैं। सवाल उठता है कि यह थूक और मूत्र जेहाद क्यों चलाया जा रहा है? इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता और भारत के पीआईएल मैन के रूप में विख्यात अश्विनी उपाध्याय ने कहा है कि थूक मिलाकर और मूत्र पिलाकर खाद्य पदार्थ हिंदुओं को देने की तालीम आखिर कौन दे रहा है?