मद्रास उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को द्रमुक सांसद डॉ. वी कलानिधि को एक महीने के भीतर यहां सरकार की एक संपत्ति को खाली करने तथा उसका कब्जा सौंपने का आदेश दिया।
न्यायमूर्ति एस एम सुब्रमण्यम ने कलानिधि द्वारा दायर याचिकओं का निस्तारण किया जिसमें उन्होंने प्राधिकारियों को उनकी संपत्ति में दखल देने से रोकने का अनुरोध किया था जहां एक अस्पताल बना हुआ है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि मौजूदा मामले में याचिकाकर्ता को भूमिहीन गरीब व्यक्ति नहीं कहा जा सकता है। याचिकाकर्ता के पिता एन वीरस्वामी एक पूर्व मंत्री हैं और कलानिधि खुद संसद सदस्य हैं।
याचिकाकर्ता एक संपन्न परिवार से ताल्लुक रखते हैं और मौजूदा मामलों में राजनीतिक पद के दुरुपयोग की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम ने कहा कि अदालत कई मामलों में देख रही है कि सरकारी जमीन समाज के शक्तिशाली और प्रभावशाली सदस्यों को आवंटित की जाती है जो संभवत: वास्तविक आवेदक नहीं होते और फिर इन सरकारी जमीनों का वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
उन्होंने कहा कि सरकार को अपनी पसंद और इच्छा से किसी को जमीन देने का अधिकार नहीं है।
यह सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देश बनाए जाने की जरूरत है कि ग्राम नाथम जमीन के आवंटन के अधिकार का सही उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जाए।अदालत ने कहा कि सरकार केवल नेताओं और पार्टी के लोगों के लिए नहीं है। वह आम आदमी का प्रतिनिधित्व करती है। इसमें न केवल समाज के शीर्ष वर्ग के लोग बल्कि निचले पायदान पर खड़े लोग भी शामिल हैं और सामाजिक एवं आर्थिक रूप से उनके उत्थान के लिए काम करना सरकार का दायित्व है।