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Wood Of Gods के नाम से प्रचलित देवदार का सबसे पुराना पेड़ Jammu में मिला, जल्द पता चलेगी उम्र

डोडा जिला इन दिनों चर्चा में आ गया है। डोडा जिला एक देवदार के पेड़ के कारण चर्चा में आया है। आमतौर पर पहाड़ी इलाकों में देवदार के कई पेड़ पाए जाते है। इन पेड़ों में कई औषधीय गुण होते हैं जिस कारण ये काफी उपयोगी होते है। देवदार के पेड़ आमतौर पर मानवीय जीवन को सुशोभित करता है। ये सिड्रस देवदार के नाम से भी फेमस है। देवदार के पेड़ को ‘वुड ऑफ गॉड’ यानि ‘भगवान की लकड़ी’ भी कहा जाता है।
 
इसी बीच देवदार का एक ऐसा पेड़ मिला है जिसके मिलने से लोगों में बेहद खुशी है। जम्मू और कश्मीर राज्य के डोडा जिले में देवदार का पेड़ मिला है जो बेहद अनोखा है। दरअसल इस पेड़ का तना 54 फुट और व्यास कुल 35 फुट का है। इतना बड़ा देवदार का पेड़ मिलने से स्थानीय लोग बेहद खुश है।
 
इस संबंध में वन रेंज के अधिकारियों ने भी अहम दावा किया है। अधिकारियों ने दावा किया है कि ये दुनिया का सबसे बड़ा और संभावित तौर पर सबसे पुराना देवदार का पेड़ है। वहीं जैसे ही देवदार के ये अनोखा और कई ऐतिहासिक खुबियों वाला पेड़ मिला है, उसके बाद से जहां ये पेड़ मिला है उस स्थान यानी चांती बाला को विरासत स्थल घोषित किए जाने की मांग उठने लगी है।
 
इसी बीच पंचायत राज संस्थान ने मांग की है कि चांती बाला इलाके को इस ऐतिहासिक देवदार के पेड़ के कारण पर्यटन मानचित्र पर लाया जाना चाहिए। बता दें कि मूल रूप से चांती बाला इलाके को नाग की पूजा करने वालों के लिए जाना जाता है। ये गांव चारों ओर से विशाकलाय देवदार के पेड़ों से घिरा हुआ है। 
 
बता दें कि इस पेड़ के संबंध में जानकारी फील्ड स्टाफ ने जुटाई थी। भद्रवाह के प्रभागीय वन अधिकारी चंदर शेखर के मुताबिक उन्होंने इस पर शोध किया है जिसके लिए कई आंकड़ों को इकट्ठा किया गया है। इससे ये सामने आया कि देवदार की प्रजाति में मिला ये पेड़ अब तक का सबसे बड़ा पेड़ है। आंकड़ों के जरिए संभावना जताई गई है कि ये पेड़ सैंकड़ों वर्षों पुराना है। हालांकि अब तक ये सामने नहीं आया है कि ये पेड़ कितना पुराना है। 
 
इस पेड़ की उम्र का पता लगाने के लिए भारतीय सर्वेक्षण विभाग को कहा गया है। वहीं ये कोशिश भी हो रही है कि इस पेड़ के कारण चांती बाला को विरासत स्थल घोषित किया जाना चाहिए। स्थानीय लोगों का कहना है कि जैसे ही लोगों को इस ऐतिहासिक और ओनेखे पेड़ की जानकारी मिलेगी तो लोग यहां आकर इसे देखने के इच्छुक होंगे।
 
बता दें कि चांती बाला इलाके में ये पेड़ वर्षों से खड़ा हुआ है। पेड़ के संबंध में चांती बाला के सरपंच संसार चंद ने जानकारी दी कि लगभग 12 पीढ़ियों से स्थानीय लोग इस पेड़ की पूजा कर रहे है। उन्होंने कहा कि पूर्वजों से सुना था कि जब भी इस पेड़ को काटने की कोशिश की गई तो इसमें से खून और दूध जैसा पदार्थ निकलने लगा था। ऐसा होने के बाद इस पेड़ को काटने की कोशिश नहीं की गई। उन्होंने कहा कि अगर आने वाले समय में इस इलाके को विकसित किया जाता है तो स्थानीय लोगों की किस्मत बदल जाएगी। सरकार को इस पेड़ को आधिकारिक तौर पर दुनिया का सबसे बड़ा देवदार का पेड़ घोषित करना चाहिए।
 
डीडीसी ने मंजूर किए 10 लाख रुपये
डीडीसी ने इस पेड़ के हर तरफ सौंदर्यीकरण और लाइटिंग व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए 10 लाख रुपये की राशि मंजूर की है। यहां का सौंदर्यीकरण होने से पर्यटक इसका आनंद ले सकेंगे। ये पेड़ स्थानीय लोगों के लिए अहम संपत्ति है जिससे विकास के रास्ते खुलेंगे। 

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