भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रूड़की के तीन युवा अभियंताओं की टीम ने दो साल पहले रक्षा स्टार्टअप की शुरुआत की थी जिसने ‘कामीकेज’ यूएवीसहित नैनो ड्रोन के तीन संस्करण विकसित किए हैं। इन ड्रोन का इस्तेमाल घुसपैठ रोधी और आंतकवाद रोधी अभियान में किया जा सकता है।
स्टार्टअप ‘आईडीआर’के सह संस्थापक मयंक प्रताप सिंह ने बताया कि यह पहली बार है जब इस देश में ही नैनो ड्रोन को विकसित किया गया है।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘2021 में स्टार्टअप स्थापित करने के महज दो साल के भीतर हमनें नैनो ड्रोन के तीन संस्करण विकसित किए हैं जिनका इस्तेमाल सक्रिय रूप से सुरक्षा बलों के घुसपैठ रोधी और आतंकवाद रोधी अभियान में मदद के लिए किया जा रहा है।’’
सिंह ने बताया कि आईडीआर रिसर्च एंड डेवलपमेंट ने तीन स्वरूपों में दूत एमके1 ड्रोन को पेश किया है जिसे उत्तर-प्रौद्योगिकी संगोष्ठी में प्रस्तुत किया गया। यह संगोष्ठी हाल में परिचालन चुनौतियों के समाधान और सेना के लिए अत्याधुनिक उपकरणों की खरीद पर विचार विमर्श के लिए आयोजित की गई थी।
उन्होंने बताया कि करीब 200 ग्राम के ये ड्रोन 30 मिनट तक लगातार एवं अधिकतम 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बिना अधिक शोर किए उड़ान भर सकते हैं। स्टार्टअप के सह संस्थापक ने बताया कि दूत एमके1 कृत्रिम बुद्धिमत्ता की क्षूमता से लैस है और इससे 80 अलग-अलग तरह के वस्तुओं की पहचान की जा सकती है।
उन्होंने बताया, ‘‘ड्रोन का एक संस्करण बाहरी क्षेत्र में अभियानों में मदद के लिए है, जबकि दूसरा संस्करण बंद स्थान के लिए है एवं तीसरा विस्फोटक संस्करण (कामीकेज) है। ’’
सिंह ने बताया, ‘‘ ये ड्रोन आपात स्थिति में महज 10 सेकेंड में तैनात किए जा सकते हैं। इनका छोटा आकार जटिल स्थानों पर भी आसानी से विचरण करने की सहूलियत देता है। इन्हें हाथ से, छत से या चलते वाहन से भी परिचालित किया जा सकता है।’’
उन्होंने बताया कि ‘कामीकेज’ संस्करण को परुष नाम दिया गया है जो अपने लक्ष्य से टकराकर फट जाता है।
सिंह ने बताया कि विस्फोटक से युक्त ड्रोन में एक बटन होता है जो धमाके के लिए इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने बताया कि इस ड्रोन में ऐसी प्रौद्योगिकी है जो दुश्मन के ठिकाने की पहचान कर वहां पर धमाका करती है।
सिंह ने बताया, ‘‘परुष क अभिप्राय प्राणघातक या विनाशक होता है। हमने हाल में विस्फोटक से युक्त इस ड्रोन क सफल परीक्षण किया है और अब इसके सुरक्षा पहलुओं की जांच कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह दिसंबर में तैयार हो जाएगा।’’
दूत एमके1 ड्रोन के बारे में सिंह ने बताया कि इसकी गतिविधि को वास्तविक समय में कई स्क्रीन पर देखा जा सकता है जिससे अभियान स्थल के पास सुचारु रूप से समन्वय सुनिश्चित होता है। उन्होंने बताया कि इसका रेंज 1.5 किलोमीटर है जबकि इंडोर या इमारत में इसे 200 से 300 मीटर तक संचालित किया जा सकता है।
स्टार्टअप अधिकारियों ने बताया कि सेन्य बलों के विभिन्न कमान के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा गारद (एनएसजी) एवं असम राइफल्स ने भी इन नैनो ड्रोन का परीक्षण किया है। उन्होंने बताया कि सेना ने इसकी 20 इकाई निर्मित कराई है।
इन नैनो ड्रोन पर मोटे तौर पर पांच से छह लाख रुपये का खर्च आएगा।
सिंह ने कहा, ‘‘हमारे ड्रोन को खासतौर पर भारतीय परिस्थितियों के लिए तैयार किया गया है।
ये ड्रोन ऊंचाई वाले इलाकों, रेगिस्तान और विभिन्न मौसमी परिस्थितियों में परीक्षण के दौरान कसौटी पर खरे उतरे हैं।’’
उन्होंने कहा कि ये ड्रोन आंतवाद रोधी अभियान,सीमित क्षेत्र पर लड़ाई, इंडोर लड़ाई, खुफियागिरी, निगरानी आदि अभियानों के लिए आवश्यक हैं।
भारत में इस समय जिन लघु ड्रोन का इस्तेमाल किए जा रहा है, वे अमेरिका में निर्मित ‘ब्लैक हॉर्नेट’ हैं।