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BJP के दबदबे वाली Akola लोकसभा क्षेत्र की 6 में से 4 विधानसभा सीटों पर पार्टी का कब्जा

अकोला लोकसभा क्षेत्र महाराष्ट्र का एक प्रमुख निर्वाचन क्षेत्र है। जिसमें अकोट, बालापुर, अकोला पूर्व, अकोला पश्चिम, मुर्तिजापुर और रिसोद विधानसभा क्षेत्र शामिल हुए हैं। हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में इस सीट से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार अनुप धोत्रे ने कांग्रेस के उम्मीदवार अभय काशीनाथ पाटिल को शिकस्त देकर जीत हासिल की थी। अकोला मुरना नदी और ताप्ती नदी घाटी से घिरा सूखे से त्रस्त विदर्भ क्षेत्र का एक प्रमुख शहर है। कपास उत्पादन में यह क्षेत्र देश के अग्रणी है, इसलिए अकोला तो कॉटन सिटी के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा भी अकोला अपने तेल उत्पादन और बीड़ी निर्माण उद्योग के लिए भी जाना जाता है। इस क्षेत्र में इंजीनियरिंग कॉलेज, अमरावती विश्वविद्यालय और कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग ऐंड टेक्नोलॉजी जैसे प्रमुख शिक्षण संस्थान भी हैं।
इस क्षेत्र की अकोट विधानसभा से बीजेपी के प्रकाश भारसकले लगातार दो बार से जीत दर्ज कर रहे हैं। इससे पहले 10 साल तक यह सीट शिवसेना के खाते में थी। अकोट को 2008 के परिसीमन के दौरान विधानसभा क्षेत्र घोषित किया गया है। उसी साल अस्तित्व में आयी अकोला पश्चिम विधानसभा सीट 2008 से भारतीय जनता पार्टी के गोवर्धन मांगीलाल शर्मा जीतते रहे हैं। लगातार तीन बार यह सीट जीतने वाले गोवर्धन शर्मा का नवम्बर 2023 में निधन हो गया था। इसी लोकसभा क्षेत्र की अकोला पूर्व सीट पर पहली बार 2009 में प्रकाश अंबेडकर की पार्टी के उम्मीदवार हरिदास भड़े ने जीत हासिल की थी, लेकिन इसके बार भाजपा यह सीट जीतने में कामयाब रही और रंधीर सावरकर यहाँ से वर्तमान विधायक हैं। मुर्तिजापुर इस क्षेत्र की एकमात्र दलित वर्ग के लिए आरक्षित सीट है। 
आजादी के बाद से ही कांग्रेस की दबदबे वाली सीट समझे जाने वाली इस सीट पर पिछले कुछ समय में भाजपा मजबूत हुई है। 1995 के बाद हुए 6 चुनावों में से 5 बार भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल की है। वर्तमान में हरीश पिंपले यहाँ से विधायक हैं, लगातार तीन बार से चुनाव जीत रहे हैं। रिसोद वाशिम जिले की एक विधानसभा सीट है, लेकिन लोकसभा चुनाव क्षेत्र के दृष्टिगत यह अकोला में ही आती है। 1962 में विधानसभा क्षेत्र घोषित हुई रिसोद अगले ही पंचवर्षीय में भंग कर दी गई थी। जिसके बाद 2009 से दोबारा निर्वाचन क्षेत्र घोषित होने के बाद से हमेशा ही कांग्रेस विजेता रही है। 2014 से यहाँ के विधायक अमित सुभाषराव जनक हैं।
बतौर लोकसभा सीट अकोला कभी कांग्रेस का गढ़ थी। 1957 से 1967 तक हुए चुनावों में यहां से लगातार कांग्रेस को जीत मिली। अकोला में 1952 और 1957 में हुए पहले दो लोकसभा चुनाव में दो-दो सांसद निर्वाचित हुए थे। यहाँ से 1952 में कांग्रेस के लक्ष्मण भातकर आरक्षित सीट से चुनकर संसद में पहुँचे थे। तो वहीं अनारक्षित सीट गोपालराव खेडकर सांसद चुने गए थे। इसके बाद 1957 के चुनाव में दोनों नेता एकबार फिर लोकसभा पहुंचे। 1967 में हुए दूसरे आम चुनाव में यह प्रक्रिया खत्म कर दी गई। इसके बाद 1971-72 में हुए उपचुनाव में भी कांग्रेस के असगर हुसैन ने जीत हासिल की। उनकी मृत्यु के बाद हुए उपचुनाव में भारतीय रिपब्लिकन पार्टी (खोब्रागड़े गुट) के वसंत साठे ने जीत दर्ज की। 
वसंत साठे ने 1977 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के टिकट पर पुनः जीत हासिल की। इसके बाद मधुसूदन वैराले 2 बार कांग्रेस के टिकट पर सांसद रहे। भारतीय जनता पार्टी की ओर से 1989 में पांडुरंग फुंडकर ने जीत दर्जकर यहां से पार्टी का खाता खुलवाया, जोकि यहां से लगातार तीन बार चुनाव जीते। इसके बाद 1998 में हुए उपचुनाव में प्रकाश आंबेडकर भारिप की ओर से विजयी हुए और 1999 में भी वे कांग्रेस के समर्थन से चुनाव जीते। 2004 से लेकर 2024 तक संजय धोत्रे लगातार यहाँ से सांसद रहे।
अकोला लोकसभा क्षेत्र इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां से डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के पोते और वंचित बहुजन विकास आघाडी के प्रमुख प्रकाश आंबेडकर चुनाव लड़ते रहे हैं। आंबेडकर ने यहां से 11 बार लोकसभा का चुनाव लड़ा और दो बार जीत हासिल की है। हालांकि, 2004 से लगातार बीजेपी के संजय धोत्रे जीतते रहे हैं और इस बार उन्हीं के बेटे अनुप धोत्रे ने जीत हासिल की है। जिनके सामने प्रकाश आंबेडकर वंचित बहुजन से, कांग्रेस से डॉ. अभय काशीनाथ पाटील चुनाव मैदान में थे। अकोला से हिंदीभाषी और मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। इसके अलावा भी यह जिला फूड प्रोसेसिंग के लिए जाना जाता है। साथ ही, कभी इस क्षेत्र में दालों का इतना उत्पादन होता था कि पूरे देश को यहां से दाल सप्लाई की जाती थी, लेकिन दालों के गिरते उत्पादन पर ध्यान नहीं दिया गया। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सरकार की उपेक्षा के चलते फूड प्रोसेसिंग की कई सारी यूनिट धूल खा रही है। यह सभी मुद्दे इस बार के विधानसभा चुनावों में प्रमुख भूमिका निभायेंगे।

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