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जलगांव महाराष्ट्र का एक प्रमुख लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है। जहां भारतीय जनता पार्टी पिछले 25 सालों से काबिज है। हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी की स्मिता वाघ ने जीत दर्ज की थी। ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक रूप से जलगांव क्षेत्र बेहद ही सुंदर माना जाता है। यहां जिला मुख्यालय होने के चलते सभी सरकारी विभागों के बड़े-बड़े दफ्तर भी हैं। बोरी नदी के पास स्थित परोला किला इस क्षेत्र की ऐतिहासिकता की गवाही देता है। इस किले को 1727 में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के पिता ने बनवाया था। यहां के धार्मिक स्थलों में संत मुक्ताबाई मंदिर एक प्रमुख स्थल है।
जलगांव लोकसभा क्षेत्र जलगांव शहर, जलगांव ग्रामीण, अमलनेर, एरंडोल, चालिसगांव और पचोरा विधानसभा क्षेत्रों से मिलकर बना है। इन सभी सीटों पर पूरी तरह से ‘महायुति गठबंधन’ का ही कब्जा है। जिसके तहत भाजपा के पास दो सीट, शिवसेना के पास तीन और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के पास एक सीट है। इस लोक सभा क्षेत्र की जलगांव शहर विधानसभा सीट महाराष्ट्र विधानसभा में 13 नंबर से जानी जाती है। यह विधानसभा क्षेत्र जैन सुरेश कुमार भीकमचंद उर्फ सुरेश जैन के कारण भी पूरे देश में जाना जाता है। उन्होंने इस सीट का 1980 से लेकर 2014 तक लगातार प्रतिनिधित्व किया है। इस दौरान वे कांग्रेस, शिवसेना, एनसीपी समेत दूसरी कई अन्य पार्टियों के टिकट पर भी विधानसभा पहुंचते रहे हैं। 2012 में जलगांव हाउसिंग घोटाले में उन्हें जिला न्यायालय द्वारा दोषी करार दे दिया गया था। इस सीट पर वर्तमान विधायक बीजेपी के सुरेश दामू भोले हैं, जिन पर क्षेत्र के मतदाता लगातार 10 वर्ष से भरोसा जाता रहे हैं।
महाराष्ट्र में 2008 में हुए परिसीमन के बाद 2009 से अस्तित्व में आया जलगांव ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र भी जलगांव जिले के अंतर्गत ही आता है। जहां से एकनाथ शिंदे के गुट वाली शिवसेना के गुलाब रघुनाथ पाटिल 2014 से लगातार विधायक हैं। उनके पहले यह सीट राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के गुलाबराव देवकर के पास थी। विधायक रघुनाथ पाटिल 2022 में बनी एकनाथ शिंदे की कैबिनेट में जल आपूर्ति मंत्री बनाए गए थे। उन्हें पूर्ववर्ती उद्धव ठाकरे की कैबिनेट में भी शामिल होने का अवसर मिला था। देश में हुए पहले आम चुनाव के साथ ही जलगांव लोकसभा क्षेत्र की अमलनेर विधानसभा सीट अस्तित्व में आ गई थी। इस सीट पर 2009 तक भारतीय जनता पार्टी हमेशा से मजबूत स्थिति में रही थी, लेकिन उसके बाद क्षेत्र के मतदाताओं ने 2009 और 2014 में निर्दलीय उम्मीदवारों पर लगातार दो बार भरोसा जताया। 2019 में अंतिम बार हुए चुनाव में अजित पवार के गुट वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अनिल भाईदास पाटिल चुनाव जीतने में सफल रहे थे। विधायक पाटिल को एकनाथ शिंदे की कैबिनेट में आपदा नियंत्रण और पुनर्वास मंत्रालय की जिम्मेदारी भी सौंप गई है।
जलगांव लोकसभा क्षेत्र की एरंडोल विधानसभा सीट पूरी तरह से जलगांव जिले के अंतर्गत ही आती है। इस क्षेत्र के मतदाताओं ने भारतीय जनता पार्टी को छोड़कर लगभग सभी दलों पर अपना भरोसा जताया है। वर्तमान में शिवसेना (एकनाथ शिंदे) के चिमनराव पाटिल यहां से विधायक हैं। उनसे पहले एनसीपी के अन्नासाहेब डॉक्टर सतीश भास्करराव पाटिल भी विधानसभा पहुंच चुके हैं। एनसीपी ने 1999 से लेकर 2014 तक लगातार तीन बार इस सीट पर अपना कब्जा जमाकर रखा था। महाराष्ट्र विधानसभा में 17 नंबर से जाना जानेवाला चालिसगांव विधानसभा क्षेत्र पिछले लंबे समय से भारतीय जनता पार्टी के कब्जे में रहा है। 1990 से लेकर 2019 के बीच सिर्फ एक बार ही यह सीट बीजेपी के हाथ से फिसली थी। 2009 के चुनाव में एनसीपी के राजीव दादा देशमुख ने यहां से बीजेपी का लगभग 20 साल का प्रभुत्व खत्म किया था, लेकिन पार्टी ने 2014 में एक बार फिर यह सीट अपने कब्जे में कर ली। जहां से मंगेश चव्हाण वर्तमान में विधायक हैं।
जलगांव लोकसभा क्षेत्र की पचोरा विधानसभा क्षेत्र पूरी तरह से जलगांव जिले के भीतर ही आता है। यह सीट महाराष्ट्र राज्य के गठन के साथ ही अस्तित्व में आ गई थी। प्रारंभ में यह सीट लगातार कांग्रेस के पास ही रही थी लेकिन धीरे-धीरे पार्टी ने नियंत्रण खो दिया और उसे पचोरा में अंतिम बार 2090 के चुनाव में जीत हासिल हुई थी। तो वहीं भारतीय जनता पार्टी अब तक इस सीट पर अपना खाता खोलने में ही असफल रही है। यहां से एकनाथ शिंदे के गुट वाली शिवसेना पिछले 10 साल से चुनाव जीत रही है। जिसके नेता किशोर अप्पा पाटिल वर्तमान में यहां से विधायक हैं।
जलगांव निर्वाचन क्षेत्र जिले का पश्चिमी भाग है। अधिकांश क्षेत्र गिरना नदी बेल्ट के अंतर्गत आता है। इसलिए यहां पानी की कमी है। कुछ तालुकों में हर साल कमी होती है। तीस साल से रुकी पैडलसारे (कम तापमान) परियोजना, गिरना नदी पर गुब्बारा बांध परियोजना, कपास की कीमत में कमी इस क्षेत्र में प्रमुख मुद्दे होंगे। लगातार बीजेपी के सांसद चुने जाने के बावजूद इन परियोजनाओं का काम पूरा नहीं हो सका है। हालांकि, बलीराजा संजीवनी योजना के तहत पूरा हुआ वरखेड-लोंढे प्रोजेक्ट, फोर-लेन हाईवे और सड़क कार्य सकारात्मक पहलू हो सकते हैं। चुनाव ऐसे ही मुद्दों के इर्द-गिर्द घूमेगा।