पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित को अपना कानूनी सलाहकार बदलने की नसीहत देते हुए शनिवार को कहा कि राज्य विधानसभा के आगामी सत्र में कुछ भी गैर-कानूनी नहीं है।
चीमा की यह टिप्पणी राज्यपाल सचिवालय की इस टिप्पणी के एक दिन बाद आई है कि 20 और 21 अक्टूबर को आहूत किया गयासत्र अवैध है और इस सत्र का कोई भी विधायी कार्य ‘गैरकानूनी’ होगा। इस सत्र को बजट सत्र के विस्तार के रूप में पेश किया जा रहा है।
राज्यपाल कार्यालय की प्रतिक्रिया भगवंत मान सरकार द्वारा पंजाब विधानसभा का दो-दिवसीय सत्र आहूत किये जाने के कुछ दिनों बाद आई।
चीमा ने यहां पत्रकारों से कहा कि शनिवार को यहां हुई कैबिनेट की बैठक में राज्यपाल सचिवालय के पत्र पर कोई चर्चा नहीं हुई।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन मैं राज्यपाल साहब को बताना चाहता हूं कि (आगामी) सत्र वैध है और इसमें महत्वपूर्ण विधेयक आएंगे, जो पंजाब सरकार और राज्य के लोगों से संबंधित हैं। मुझे लगता है कि राज्यपाल साहब को पंजाब विधेयक पर कोई टिप्पणी नहीं करनी चाहिए।’’
वित्त मंत्री ने राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘उन्हें अपना कानूनी सलाहकार बदलना चाहिए।’’
यह पूछे जाने पर कि राज्यपाल ने पहले ही 19-20 जून के सत्र को अवैध करार दिया था और उस सत्र में पारित चार विधेयकों पर कोई सहमति नहीं दी थी, चीमा ने जवाब दिया कि राज्य सरकार को अभी तक पुरोहित से कोई पत्र नहीं मिला है, जिसमें यह बताया गया हो कि उन्होंने उन विधेयकों पर अपनी सहमति दी है या नहीं।
चीमा ने कहा, ‘‘हालांकि, मैं समझता हूं कि विधानसभा राज्य और इसके कल्याण के लिए कानून पारित करने के वास्ते बनाई गई है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘और मुझे लगता है कि राज्यपाल साहब (विधेयकों पर) अपनी सहमति दे देंगे।’’
इस साल यह दूसरी बार है जब विधानसभा की बैठक बुलाने को लेकर आप सरकार और राजभवन के बीच विवाद पैदा हुआ है और ताजा घटनाक्रम से इसके और बढ़ने की संभावना है।
राजभवन ने बृहस्पतिवार को विधानसभा सचिव को याद दिलाया कि कुछ महीने पहले, राज्यपाल ने जून में बजट सत्र की इसी तरह की विशेष बैठक को ‘स्पष्ट रूप से अवैध’ करार दिया था।
पंजाब के अधिकारियों ने पहले कहा था कि 20-21 अक्टूबर का सत्र चौथे सत्र (मार्च के बजट सत्र) का विस्तार होगा। अधिकारियों का तर्क है कि यह सत्र बजट सत्र का ही विस्तार होगा और इसमें राज्यपाल की मंजूरी लेने की जरूरत नहीं है।
दो-दिवसीय (20-21 अक्टूबर) सत्र में व्यापक रूप से पंजाब में सतलज-यमुना सम्पर्क (एसवाईएल) नहर के निर्माण पर उच्चतम न्यायालय के हालिया निर्देश पर चर्चा होने की उम्मीद है। यह ऐसी परियोजना है, जिसे राज्य सरकार पूरा करने की अनिच्छुक है और उसका दावा है कि उसके पास पड़ोसी राज्य हरियाणा के लिए अतिरिक्त पानी नहीं है।
पंजाब विधानसभा सचिवालय द्वारा शुक्रवार को जारी किये गए अस्थायी कार्यक्रम के अनुसार, बैठक 20 अक्टूबर को सुबह 11 बजे श्रद्धांजलि के साथ शुरू होगी, इसके बाद दोपहर 12 बजे विधायी कार्य होगा। सदन 21 अक्टूबर को भी विधायी कार्य करेगा।
अतीत में कई मुद्दों पर पंजाब सरकार और राजभवन के बीच टकराव की स्थिति रही है।