कर्नाटक के कई विधानसभा क्षेत्रों में टिकट न मिलने से नाराज उम्मीदवारों की बगावत ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व को सकते में डाल दिया है। मतदान में एक माह से भी कम समय बचा है और पार्टी को इस समस्या से निजात पाने में मशक्कत करनी पड़ रही है।
पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टर और पूर्व उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी का टिकट काट दिये जाने के बाद दोनों ने ही भाजपा को अलविदा कहने का निर्णय लिया, जिससे पार्टी को गहरा झटका लगा है।
पार्टी नेताओं ने निजी तौर पर स्वीकार किया है कि उम्मीदवारों की सूची जारी किये जाने के बाद टिकट न पाने वालों में असंतोष का उपजना निश्चित रूप से चिंता का कारण है।
भाजपा ने राज्य की 224 विधानसभा सीट में से 212 पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, करीब दो दर्जन विधानसभा क्षेत्रों में बगावत होती नजर आ रही है।
कर्नाटक भाजपा के कद्दावर नेता बी एस येदियुरप्पा ने रविवार को कहा कि कोई भी ताकत पार्टी को स्पष्ट बहुमत के साथ दोबारा सत्ता में लौटने से नहीं रोक सकती।
पार्टी ने नुकसान की भरपाई के अभियान में अपने नेताओं को लगा दिया है। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (चुनाव प्रभारी), प्रह्लाद जोशी, मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, येदियुरप्पा, प्रदेश अध्यक्ष नलिन कुमार कतील इस समस्या के निदान में जुट गये हैं।
इसके अलावा, ऐसा कहा जा रहा है कि असंतुष्टों को शांत करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कुछ नेताओं को शामिल किया गया है।
बोम्मई और येदियुरप्पा ने कहा है कि वे सभी असंतुष्ट नेताओं से व्यक्तिगत रूप से बात कर रहे हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे पार्टी न छोड़ें और केंद्रीय नेतृत्व व्यक्तिगत रूप से उन वरिष्ठों के संपर्क में है, जो नाराज हैं।
प्रधान को बेलगावी भी भेजा गया था, जहां पार्टी ने सात नये चेहरों को मैदान में उतारा है, और कम से कम दो मौजूदा विधायकों के टिकट काट दिये हैं।
भाजपा ने पहले दो सूची में कम से कम 17 मौजूदा विधायकों के टिकट काट दिये गये हैं और 67 नये उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।
रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के दौरान पार्टी नेतृत्व ने प्रदेश भाजपा की सिफारिश सूची के संबंध में आपत्ति व्यक्त की थी, जिसमें अधिकांश मौजूदा विधायकों को फिर से नामित किया गया था।
सीईसी की बैठक के बाद खुद बोम्मई ने इस संबंध में संकेत देते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ निर्देश दिए हैं और पार्टी सूची को अंतिम रूप देने के लिए विभिन्न इनपुट पर काम कर रही है।
जिन विधायकों ने पद और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दिया है, उनमें विधायक एम पी कुमारस्वामी (मुदिगेरे), गोलीहट्टी शेखर (होसदुर्गा) और एमएलसी लक्ष्मण सावदी (अथानी) तथा आर शंकर (रानेबेन्नूर) शामिल हैं।
सावदी शुक्रवार को भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए। कांग्रेस ने उन्हें अगले ही दिन अर्थात शनिवार को बेलगावी जिले के अथानी से टिकट दिया।
हावेरी विधायक नेहरू ओलेकर और तुमकुरु शहर के पूर्व विधायक सोगाडू शिवन्ना ने भी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने की घोषणा की है।
जिन 12 सीट के लिए उम्मीदवारों की घोषणा होनी बाकी है, उनमें से सात पर वर्तमान में भाजपा का कब्जा है, जिनमें शिवमोग्गा और हुबली-धारवाड़ सेंट्रल शामिल हैं, जिनका प्रतिनिधित्व पार्टी के वरिष्ठ नेता के एस ईश्वरप्पा और शेट्टर करते हैं।
कुछ मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व उपमुख्यमंत्री ईश्वरप्पा ने पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से कहा है कि वह चुनावी राजनीति से संन्यास लेना चाहते हैं और उन्होंने विधानसभा चुनाव में उन्हें मैदान में न उतारने का अनुरोध किया है, हालांकि वह शिवमोग्गा से अपने बेटे के. ई. कांतेश के लिए टिकट मांग रहे हैं।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार, उत्तर कर्नाटक के एक प्रमुख लिंगायत नेता शेट्टर का निर्णय कई इलाकों में पार्टी की संभावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
हुबली-धारवाड़ नगर निगम के कम से कम 16 पार्षदों ने शेट्टर के समर्थन में अपने इस्तीफे की पेशकश की है।