जम्मू-कश्मीर में पंचायत और नगर निकाय चुनावों के आगामी लोकसभा चुनाव से पहले होने की “संभावना नहीं है क्योंकि केंद्र ने स्थानीय निकायों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को आरक्षण देने के लिए कानून में संशोधन नहीं किया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी।
हालांकि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की अध्यक्षता वाली प्रशासनिक परिषद ने पंचायतों और नगर निकायों में ओबीसी को आरक्षण का लाभ देने का निर्णय लिया है, लेकिन केंद्र को इसके लिए या तो अध्यादेश पारित करना होगा या संसद में विधेयक पेश करना होगा।
राज्य के निर्वाचन आयुक्त बी. आर. शर्मा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, इस बात की बहुत कम संभावना है कि जम्मू-कश्मीर में लोकसभा चुनाव से पहले पंचायत चुनाव होंगे।
अधिनियम में संशोधन के अलावा, आरक्षण की मात्रा भी तय की जानी है।
अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव होने की संभावना है।
इस बीच, पंचायतों का पांच साल का कार्यकाल समाप्त होने के एक दिन बाद बुधवार को जम्मू-कश्मीर के प्राधिकारियों ने स्थानीय निकायों के कामकाज के संचालन के लिए प्रखंड विकास अधिकारियों (बीडीओ) को प्रशासक नियुक्त किया।
जम्मू-कश्मीर की 4,291 पंचायतों और 310 प्रखंड विकास परिषदों का कार्यकाल नौ जनवरी को समाप्त हो गया था। बीडीओ को वित्तीय व प्रशासनिक शक्तियां प्रदान करने से निर्वाचित प्रतिनिधियों की अनुपस्थिति में विकास गतिविधियों की निरंतरता सुनिश्चित होगी।
बुधवार को जारी एक आदेश में, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज सचिव शाहिद इकबाल चौधरी ने कहा कि हलका (क्षेत्र) पंचायतों का कार्यकाल नौ जनवरी को समाप्त हो गया है और इनका तुरंत गठन नहीं किया जा सकता। चौधरी ने अपने आदेश में कहा, इसलिए, अब, जम्मू-कश्मीर पंचायती राज अधिनियम, 1989 की धारा 9 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए, सरकार अपने अधिकार क्षेत्र के तहत पंचायत हलकों के कामकाज के संचालन के लिए प्रखंड विकास अधिकारियों (बीडीओ) को 10 .01.2024 से छह महीने की अवधि या अगले आदेश तक अपने-अपने क्षेत्र का प्रशासक नियुक्त करती है।