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अपनी टिप्पणी को लेकर कांग्रेस नेता ममकूटथिल से माफी मांगने का प्रश्न ही नहीं है: माकपा नेता गोविंदन

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के वरिष्ठ नेता एम. वी. गोविंदन ने रविवार को कहा कि ‘फर्जी चिकित्सा प्रमाणपत्र टिप्पणी’ को लेकर केरल युवक कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल ममकूटथिल से उनके माफी मांगने का कोई सवाल नहीं पैदा होता है।
गोविंदन ने यहां संवाददाताओं से कहा कि ममकूटथिल ने जमानत का अनुरोध करते हुए अदालत में जो चिकित्सा प्रमाणपत्र दिया था, उस प्रमाणपत्र के बारे में उनकी टिप्पणी अदालत द्वारा जमानत देने से इनकार करते हुए दिये गये आदेश पर आधारित है।
माकपा के प्रदेश सचिव गोविंदन ने कहा कि अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि युवक कांग्रेस नेता के चिकित्सा प्रमाणपत्र में किसी अस्पताल की मुहर नहीं है, इसलिए कोई भी अनुमान लगा सकता है कि उसका मतलब क्या है।
गोविंदन ने कहा, ‘‘उन्होंने कथित रूप से मुझे कानूनी नोटिस भेजकर माफी मांगने को कहा है।

माफी मांगने का सवाल ही नहीं पैदा होता है। मैंने जो कुछ कहा है, वह उस तथ्य पर आधारित है, जो अदालत ने उन्हें जमानत देने से इनकार करते हुए अपने आदेश में कहा।’’
ममकूटथिल ने गोविंदन को संबंधित चिकित्सा प्रमाणपत्र के बारे में कथित रूप से मानहानिकारक टिप्पणी करने को लेकर कानूनी नोटिस भेजा है, जिसे उन्होंने (युवक कांग्रेस नेता ने) हाल में अदालत में जमा किया था। वह (ममकूटथिल) हाल के एक मार्च के दौरान हिंसक हमले की कथित रूप से अगुवाई करने को लेकर फिलहाल जेल में बंद हैं।
ममकूटथिल ने अपने कानूनी नोटिस में कहा है कि यदि वामपंथी नेता सात दिनों के अंदर संवाददाता सम्मेलन में बिना शर्त माफी नहीं मांगते हैं तो उन्हें अपने ‘मानहानिकारक बयान’ को लेकर एक करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति का भुगतान करना होगा।

माकपा नेता के बयान को ‘बेबुनियाद और झूठ’ करार देते हए उन्होंने यह भी कहा कि गोविंदन ने उनकी छवि खराब करने की ‘घिनौनी मंशा’ से यह आरोप लगाया है।
हाल में कन्नूर जिले के तालिपराम्बा में एक कार्यक्रम में गोविंदन ने आरोप लगाया था कि युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने इस सप्ताह के प्रारंभ में जमानत हासिल करने के लिए ‘फर्जी चिकित्सा प्रमाणपत्र’ जमा किया था।
ममकूटथिल को केरल की राजधानी तिरूवनंतपुरम में हाल में एक मार्च के दौरान हिंसक हमले की कथित रूप से अगुवाई करने को लेकर मंगलवार को पठनमथिट्टा में उनके घर से गिरफ्तार किया गया था। एक अदालत ने उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी थी और उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।

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