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मध्यप्रदेश में 2020 में कमलनाथ सरकार गिराने के लिए लॉकडाउन लगाने में देरी की गई : जयराम रमेश

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने रविवार को दावा किया कि 2020 में कोविड-19 के मद्देनजर लॉकडाउन लगाने के फैसले में देरी की गई, ताकि मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार को गिराया जा सके।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रति वफादार कई विधायकों के विद्रोह के बाद मार्च 2020 में कमलनाथ सरकार गिर गई थी। इससे शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा की सत्ता में वापसी का रास्ता साफ हो गया था।
केंद्र सरकार द्वारा मार्च,2020 के उत्तरार्ध में पूरे देश में लॉकडाउन लागू किया गया था।
रमेश ने आरोप लगाया, ‘‘कोविड-19 महामारी के दौरान, लॉकडाउन सही समय पर लागू नहीं किया गया और मध्यप्रदेश में हमारी सरकार गिर जाए यह सुनिश्चित करने के लिए इसे 10 दिन टाला गया। यह एक साजिश थी। गद्दारों की कमी नहीं है।’’

उन्होंने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि लोग मध्यप्रदेश में भाजपा शासन से तंग आ चुके हैं और वे 17 नवंबर के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सत्ता में लाएंगे।
रमेश ने कहा कि कांग्रेस ने कर्नाटक में छह ‘‘गारंटी’’ (चुनावी वादे) दी थीं और उन्हें पूरा किया है, जबकि पार्टी ने आगामी चुनावों के लिए मध्य प्रदेश में 12 गारंटी दी हैं।
इन गारंटी में 500 रुपये में एलपीजी सिलेंडर, महिलाओं को 1500 रुपये प्रति माह, दो लाख रुपये तक के कृषि ऋण की माफी, सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना, किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी), बेरोजगार युवाओं को भत्ता और स्कूली छात्रों को छात्रवृत्ति शामिल हैं।
उन्होंने दावा किया कि कर्नाटक में कांग्रेस द्वारा घोषित गारंटी को भाजपा ने ‘‘रेवड़ी’’ करार दिया था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अब इसका अनुसरण कर रहे हैं।

विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में मतभेदों के बारे में पूछे जाने पर, रमेश ने कहा कि गठबंधन लोकसभा चुनावों के लिए है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अगले साल के आम चुनावों से पहले इसे और मजबूत करने की घोषणा की है।
रमेश ने दावा किया कि राहुल गांधी की अगुवाई वाली ‘भारत जोड़ो यात्रा’ ने भारतीय राजनीति में क्रांतिकारी बदलाव लाया है। उन्होंने कहा कि इससे कर्नाटक में कांग्रेस की जीत हुई और पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में भी इसी तरह के परिणाम सामने आएंगे।
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के इस आरोप के बारे में पूछे जाने पर कि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस अपने चुनावी वादों को लागू करने में विफल रही है, रमेश ने कहा कि वहां पार्टी की सरकार कई महीनों तक भीषण बाढ़ से निपटने में जुटी रही।

कांग्रेस नेता ने कहा, लेकिन भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के केंद्र से अनुरोध के बावजूद बाढ़ को ‘राष्ट्रीय आपदा’ घोषित कराना उचित नहीं समझा, जबकि भाजपा के ये दोनों नेता उसी राज्य से ताल्लुक रखते हैं।
रमेश ने दावा किया, ‘‘हम न केवल भाजपा के खिलाफ लड़ रहे हैं, खासकर छत्तीसगढ़ और राजस्थान में, बल्कि उसके दो सहयोगियों – ईडी और सीबीआई – के साथ भी लड़ रहे हैं। ये प्रधानमंत्री मोदी के हथियार हैं।

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