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ये भारत न रूकता है, न हांफता है, न ही हारता है; यह नया भारत है : प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के लोकाचार को रेखांकित करते हुए मंगलवार को कहा कि आत्मविश्वास और प्रतिबद्धता से भरा नया भारत न रूकता है, न हांफता है और न ही हारता है। उन्होंने कहा कि 140 करोड़ देशवासियों के संकल्‍प को सिद्धि में परिवर्तित करते हुए 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है।
लाल किले की प्राचीर से 77वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘ यह काम करने वाली सरकार है, निर्धारित लक्ष्‍यों को पार करने वाली सरकार है, यह नया भारत है।’’
उन्होंने कहा कि यह आत्‍मविश्‍वास से भरा हुआ भारत है, यह संकल्‍पों को चरितार्थ करने के लिए जी-जान से जुटा हुआ भारत है।
मोदी ने कहा, ‘‘ और इसलिए यह भारत न रुकता है, यह भारत न थकता है, यह भारत न हांफता है और न ही ये भारत हारता है।’’

उन्होंने कहा कि आज जब मैं अमृतकाल में आपके साथ बात कर रहा हूं, यह इस काल का पहला वर्ष है। इसके पहले वर्ष पर मैं पूरे विश्वास से कहना चाहता हूं-
‘‘ चलता चलाता कालचक्र, अमृतकाल का भालचक्र,
सबके सपने, अपने सपने, पनपे सपने सारे,
धीर चले, वीर चले, चले युवा हमारे,
नीति सही, रीती नई, गति सही, राह नई,
चुनो चुनौती सीना तान, जग में बढ़ाओ देश का नाम।’’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ यह अमृतकाल हम सबके लिए कर्तव्य काल है। मां भारती के लिए सभी लोगों के कुछ कर गुजरने का काल है।’’
उन्होंने कहा कि आज़ादी की जब जंग चल रही थी, 1947 के पहले जिस पीढ़ी ने जन्‍म लिया था, उन्‍हें देश के लिए मरने का मौका मिला था और वे देश के लिए मरने के लिए मौका नहीं छोड़ते थे लेकिन हमारे नसीब में ऐसा मौका नहीं है।

मोदी ने कहा कि लेकिन हमें पल-पल देश के लिए जीना है, इसी संकल्‍प के साथ इस अमृत काल में 140 करोड़ देशवासियों के सपने को संकल्‍प बनाना है।
उन्होंने कहा कि 140 करोड़ देशवासियों के संकल्‍प को सिद्धि में भी परिवर्तित करना है और 2047 का जब तिरंगा झंडा फहरेगा, तब विश्‍व एक विकसित भारत का गुणगान करेगा।
प्रधानमंत्री ने देशवासियों से कहा, ‘‘मैं आपके संकल्प को सिद्धी तक ले जाने के लिए देश के लोगों का साथी बनकर, सेवक बनकर, उनके साथ जीने का, जूझने का संकल्प लेकर चलने वाला इंसान हूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ और मुझे विश्वास है कि हमारे पूर्वजों ने आजादी के लिए जो जंग लड़ी थी, जो सपने देखे थे, वो सपने हमारे साथ हैं। आजादी की जंग में जिन्होंने बलिदान दिया था, उनका आशीर्वाद हमारे साथ है।

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