विशेषज्ञों और राजनीतिक नेताओं ने ओटीटी मंच पर प्रसारित किये जाने वाले कार्यक्रमों में तंबाकू निषेध चेतावनियों और ‘डिसक्लेमर’ (अस्वीकरण) को प्रदर्शित करने पर जोर देते हुए कहा है कि उद्योग को मुनाफे से ज्यादा बच्चों के भविष्य को प्राथमिकता देनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि जो बच्चे तंबाकू सेवन के दृश्य देखते हैं, उनमें धूम्रपान की कोशिश करने की आशंका अधिक होती है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 31 मई को सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (सीओटीपीए)- 2004 के तहत अधिसूचित संशोधित नियम में ओवर-द-टॉप (ओटीटी) मंच के लिए तंबाकू निषेध चेतावनी प्रदर्शित करना अनिवार्य किया है, जैसा कि थिएटरों में प्रदर्शित फिल्मों और टीवी कार्यक्रमों में देखा जाता है। यह नियम एक सितंबर को लागू हुआ।
ओटीटी एक ऐसा मंच है जहां आप इंटरनेट के माध्यम से कहीं भी डिजिटल कंटेंट देख सकते हैं।
पिछले हफ्ते ‘टोबैको फ्री इंडिया’ द्वारा आयोजित एक वेबिनार को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध संगठन विज्ञान भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शेखर मांडे ने कहा कि संशोधन ना केवल वैज्ञानिक रूप से उचित है, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी आवश्यक था।
शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार (विज्ञान के क्षेत्र में देश का सर्वोच्च पुरस्कार) से सम्मानित मांडे ने कहा कि वैज्ञानिक शोध ने स्पष्ट रूप से रेखांकित किया है कि तंबाकू स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा कि ओटीटी मंचों पर तंबाकू के उपयोग को आकर्षक बनाने के प्रयासों को सफल नहीं होने दिया जाएगा।
शिक्षाविदों और सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने ओटीटी प्लेटफार्मों पर प्रसारित कार्यक्रमों में तंबाकू चेतावनियों की शुरुआत की सराहना की और बच्चों और युवाओं के स्वास्थ्य की सुरक्षा में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।
‘एक स्वस्थ अगली पीढ़ी के लिए तंबाकू के महिमामंडन से मुकाबला’ विषय पर आयोजित चर्चा में शिक्षाविद शयामा चोना ने कहा कि ओटीटी उद्योग को मुनाफे के बजाय बच्चों के भविष्य को प्राथमिकता देनी चाहिए।
पद्म श्री और पद्म भूषण पुरस्कार विजेता ने कहा कि दर्शकों को संपूर्ण मनोरंजन प्रदान करना उद्योग की जिम्मेदारी है और वे इस जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।
दिल्ली स्थित एम्स में रुमेटोलॉजी विभाग की संस्थापक प्रमुख और विज्ञान संचार के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित डॉ. उमा कुमार ने भी ओटीटी मंचों के लिए तंबाकू निषेध नियमों के कार्यान्वयन का समर्थन किया है।