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त्रिपुरा उच्च न्यायालय ने सरकार से दो परिवारों के सामाजिक बहिष्कार को खत्म करने का निर्देश दिया

त्रिपुरा उच्च न्यायालय ने मंगलवार को राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि उनाकोटी जिले में ‘‘कंगारू कोर्ट’’ (अवैध अदालतों) द्वारादो मूल निवासी परिवारों का सामाजिक बहिष्कार किये जाने के संबंध में जारी फरमान वापस लिया जाए।
अधिकारियों ने बताया कि दिहाड़ी मजदूर पूर्णजॉय चकमा और ऑटो रिक्शा चालक तरुण चकमा ने 22 नवंबर 2022 को अपनी मर्जी से बौद्ध धर्म से ईसाई धर्म अपना लिया था। दोनों उनाकोटी जिले के पश्चिम अंदरपाड़ा के रहने वाले हैं।
उन्होंने बताया कि इसके तुरंत बाद दो अवैध अदालतों- चकमा सामाजिक विचार कमिटी और आदम पंचायत ने समुदाय के सदस्यों को इन परिवारों का सामाजिक बहिष्कार करने का फरमान सुनाया।

उन्होंने बताया कि पिछले एक साल से इन परिवारों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, क्योंकि ग्रामीणों को किसी भी तरीके से उनकी मदद नहीं करने के लिए कहा गया।
वकील सम्राट कार भौमिक ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘पूर्णजॉय को नौकरी नहीं दी गयी, गांव के मुखिया ने लोगों को तरुण के ऑटो में नहीं बैठने का निर्देश दिया। कोई विकल्प न पाकर दोनों ने उच्च न्यायालय में दो रिट याचिका दायर की।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मामले पर सुनवाई करने तथा दोनों परिवारों की परेशानियों पर विचार करने के बाद न्यायमूर्ति अरिंदम लोध ने प्रशासन को उनका सामाजिक बहिष्कार खत्म करने का निर्देश दिया।’’
कार भौमिक ने बताया कि पुलिस को अवैध अदालतें चला रहे लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करने को कहा गया है।
उन्होंने बताया कि उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने अवैध अदालतों को अलग-अलग नोटिस जारी कर यह बताने के लिए भी कहा है कि उन्होंने ऐसा गैरकानूनी आदेश क्यों पारित किया, जो मौलिक अधिकारों के विरुद्ध है।

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