तमिलनाडु की राजनीति वैसे तो दो द्रविड़ पार्टियों द्रमुक और अन्नाद्रमुक के इर्दगिर्द घूमती है लेकिन इसमें अपने पैर जमाने के लिए कई नये दल जोर आजमाइश करते रहते हैं। अगले साल होने वाले तमिलनाडु विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में एक नई पार्टी तमिझागा वेत्री कषगम (टीवीके) का उदय हुआ है जिसका नेतृत्व अभिनेता से नेता बने विजय कर रहे हैं। हम आपको याद दिला दें कि पिछले विधानसभा चुनावों से पहले तमिलनाडु में अभिनेता कमल हासन अपनी पार्टी बनाकर चुनाव मैदान में उतरे थे लेकिन खुद ही दो विधानसभा क्षेत्रों से हार गये थे। यह सही है कि दक्षिण की राजनीति में फिल्मी सितारों का बोलबाला रहा है लेकिन हर बार उन्हें सफलता मिली हो, ऐसा कोई इतिहास नहीं है।
इसलिए देखना होगा कि विजय की पार्टी तमिझागा वेत्री कषगम (टीवीके) कितनी राजनीतिक सफलता हासिल कर पाती है। वैसे जिस तरह उनकी पार्टी ने देश और प्रदेश से जुड़े अहम मुद्दों को उठाते हुए अपनी शुरुआत की है उससे यह तो लग रहा है कि विजय बड़ी गंभीरता के साथ राजनीति के क्षेत्र में उतरे हैं। हम आपको बता दें कि टीवीके ने 27 अक्टूबर को अपनी पहली बड़ी सार्वजनिक बैठक आयोजित की और राज्य सरकार पर जाति आधारित सर्वेक्षण कराने का दबाव बनाया तथा घोषणा की कि उसकी विचारधारा धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय पर आधारित है। विजय ने टीवीके के जिला पदाधिकारियों और कार्यकारी समिति की बैठक की अध्यक्षता की और पार्टी ने अपने संगठनात्मक ढांचे को ‘मजबूत’ करने पर विचार-विमर्श किया। बैठक में लोगों तक पहुंच बनाने पर चर्चा की गयी और 26 ऐसे प्रस्ताव पारित किए, जो विभिन्न मुद्दों पर पार्टी के रुख को दर्शाते हैं। टीवीके ने चुनावी राजनीति में आगे बढ़ने के अपने तरीके पर विचार-विमर्श तो किया ही साथ ही विभिन्न मुद्दों को लेकर तमिलनाडु की द्रमुक और केंद्र सरकार पर निशाना साधा।
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हम आपको याद दिला दें कि पचास वर्षीय अभिनेता विजय ने इस साल फरवरी में पार्टी बनाने की घोषणा की थी और हाल में निर्वाचन आयोग ने उनके संगठन को विधिवत पंजीकृत किया था। टीवीके की ओर से किये गये हमलों की बात करें तो आपको बता दें कि पार्टी ने कानून-व्यवस्था को लेकर द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) सरकार की निंदा की। इसके अलावा, उसने द्रमुक पर 2021 में सत्ता हासिल करने के लिए अपने झूठे चुनावी वादों के जरिए ‘‘लोकतंत्र और लोगों को धोखा देने’’ का आरोप लगाते हुए उसकी आलोचना की। इसके अलावा, टीवीके ने दूध की कीमतों में वृद्धि, संपत्ति कर और बिजली दरों में वृद्धि के लिए भी द्रमुक सरकार पर निशाना साधा। टीवीके ने जाति आधारित सर्वेक्षण कराने का आग्रह किया और परंदूर हवाई अड्डा परियोजना को रद्द करने और समयबद्ध तरीके से शराब की दुकानों को बंद करने की मांग भी की। टीवीके ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और केंद्र सरकार का भी विरोध किया। विजय की पार्टी टीवीके ने वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को ‘‘संघवाद के खिलाफ हमला’’ करार दिया और इसे वापस लेने की मांग की। साथ ही टीवीके ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के प्रस्ताव का विरोध किया और कहा कि इसे लागू करने का प्रयास लोकतंत्र के खिलाफ है तथा उसने इस कदम की निंदा की।
वहीं टीवीके के हमलों पर प्रतिक्रिया देते हुए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि राजनीति में कदम रखने वाले नवागंतुकों सहित हर कोई पिछले साढ़े तीन वर्षों में पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा किए गए “विकास कार्यों” को देखे बिना राजनीतिक रूप से द्रमुक का विरोध करना चाहता है। मुख्यमंत्री ने चेन्नई में मानसून की बारिश से निपटने के लिए सरकार की तैयारियों पर “झूठ फैलाने” के लिए तमिलनाडु में “मीडिया के एक वर्ग” पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि वे द्रमुक की लोकप्रियता से ईर्ष्या करते हैं और यही कारण है कि वे हमारी पार्टी का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे कई लोग हैं, जिनमें नौसिखिए भी शामिल हैं, जिन्होंने राजनीति में कदम सिर्फ इसलिए रखा है ताकि डीएमके को नष्ट किया जा सके। स्टालिन ने कहा कि मेरा ऐसे लोगों से नम्र निवेदन है कि वह पिछले चार वर्षों में किये गये हमारे काम को देखें।
स्टालिन ने कहा, “मैं द्रमुक का विरोध करने वाले सभी लोगों को शुभकामना देता हूँ।” उन्होंने कहा कि न तो उन्हें और न ही उनकी पार्टी को किसी को जवाब देने में “दिलचस्पी” है। मुख्यमंत्री ने कहा, “हम अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहते। हम लोगों की भलाई करने में अपना समय बिताने में रुचि रखते हैं।” हम आपको बता दें कि यह पहली बार है कि स्टालिन ने विजय की आलोचना का जवाब दिया है। अब तक सत्तारुढ़ दल टीवीके पर चुप्पी साधे हुए था। हम आपको यह भी बता दें कि द्रमुक ने अभिनेता विजय की राजनीतिक पारी को खारिज कर दिया है जबकि विजय ने द्रमुक को अपने “राजनीतिक दुश्मन” और भाजपा को अपने “वैचारिक दुश्मन” के रूप में पहचाना है। द्रमुक का यह भी कहना है कि अभिनेता विजय की पार्टी उनकी विचारधारा की नकल कर रही है जबकि विजय का कहना है कि द्रमुक “एक-परिवार का शासन स्थापित करके” पेरियार और सीएन अन्नादुरई के सिद्धांतों से भटक गई है।
बहरहाल, कुल मिलाकर देखा जाये तो तमिलनाडु के राजनीतिक धरातल पर उभरी नई पार्टी टीवीके नई बोतल में पुरानी शराब जैसी दिखती है क्योंकि उसने अब तक नया कुछ नहीं कहा है। साथ ही पार्टी की नीतियों और कार्यक्रमों में भी कुछ ऐसा नहीं दिखा जो उसे दूसरों से अलग करता हो।