झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शनिवार को कहा कि जब राज्य का गठन हुआ था तो उसके पास अधिशेष बजट था, लेकिन पिछले 20 वर्षों में इस पर शासन करने वालों ने इसके संसाधनों को ‘‘लूटकर’’ यहां की जनता को बेरोजगार और गरीब बना दिया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार राज्य की आर्थिक स्थिति को ऊपर उठाने के लिए काम कर रही है।
पश्चिम सिंहभूम जिले के मंझारी ब्लॉक में एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इस लूट के कारण लोग गरीब हो गए और वे आजीविका की तलाश में दूसरे राज्यों में पलायन करने को मजबूर हो गए।
उन्होंने कहा, ‘‘जब झारखंड का जन्म हुआ तब उसकी स्थिति मजबूत और वह संपन्न था, लेकिन पिछली सरकारों ने इसे कमजोर कर दिया।
जब झारखंड अस्तित्व में आया तो उसके पास अधिशेष बजट था, लेकिन उसके बाद सत्ता में आने वाली सरकारों ने इसे इस हद तक लूटा और इसका खून चूसा कि यह एक ‘‘बीमारू’’ राज्य में बदल गया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस लूट के कारण लोग गरीब और बेरोजगार हो गए जिससे उन्हें आजीविका की तलाश में दूसरे राज्यों में पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ा।’’
सोरेन ने कहा कि दो साल बाद झारखंड 25 साल का हो जाएगा, इसकी तुलना एक ऐसे युवा से की जाएगी जो अपने परिवार की सभी जिम्मेदारियां उठाने के लिए तैयार है।
उन्होंने कहा कि ‘आपकी योजना, आपकी सरकार, आपके द्वार’ कार्यक्रम का उद्देश्य कल्याणकारी योजनाओं को लोगों की दहलीज तक पहुंचाकर राज्य को पिछड़ेपन से बाहर निकालना है।
उन्होंने दावा किया कि पिछली सरकार के दौरान लोगों को यह नहीं पता था कि उनका खंड विकास अधिकारी या सर्कल अधिकारी कौन है, लेकिन उनके शासन में वही अधिकारी प्रत्येक गांव तक पहुंचने के लिए दुर्गम रास्तों पर भी यात्रा कर रहे हैं।
सोरेन ने कहा, ‘‘हम हर किसी को रोटी, कपड़ा, मकान उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम स्थानीय आदिवासियों और मूल जातीय लोगों के लिए तीसरी और चौथी श्रेणी की नौकरियों को आरक्षित करने के वास्ते एक कानून बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हर बार कुछ निहित स्वार्थ मुकदमेबाजी के जरिए हमारे प्रयासों में बाधा डाल रहे हैं।’’
मुख्यमंत्री ने एक कार्यक्रम में 94 परियोजनाओं का उद्घाटन किया और 231 परियोजनाओं का शिलान्यास किया।