Breaking News

Manipur Violence: उद्धव की शिवसेना का भाजपा पर तंज, कहा- ‘मणिपुर फाइल्स’ के नाम से बननी चाहिए फिल्म

मणिपुर में 2 महिलाओं को नग्न कर परेड कराने का मामला बढ़ता जा रहा है। इस मामले को लेकर राजनीति जबरदस्त तरीके से जारी है। इन सबके बीच उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना यूबीटी ने साफ तौर पर कहा कि मणिपुर फाइल्स नाम की एक फिल्म बनाई जानी चाहिए। आपको बता दें कि द कश्मीर फाइल्स नाम से एक फिल्म बनी थी जिसको लेकर खूब विवाद हुआ था। फिल्म निर्माताओं की ओर से दावा किया गया था कि कश्मीर में जो हालात देखे गए उसे पर्दे पर उतारने की कोशिश हुई है। हालांकि, फिल्म काफी सफल रही। लेकिन विपक्ष ने इसे केंद्र का एजेंडा बता दिया है। 
 

इसे भी पढ़ें: डबल इंजन की सरकार बनी रही तो पूरे देश की स्थिति मणिपुर जैसी होगी : राम गोविंद चौधरी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह पर निशाना साधते हुए शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में कहा गया है कि इस पूर्वोत्तर राज्य में हिंसा एवं उत्पीड़न कश्मीर से भी बदतर है। चार मई को शूट किया गया एक वाीडियो बुधवार को सामने आया है जिसमें मणिपुर में दो महिलाओं को कुछ लोग निर्वस्त्र कर परेड करवाते हुए नजर आ रहे हैं। इस घटना की देशभर में आलोचना हो रही है। शिवसेना (यूबीटी) ने कहा कि यदि उच्चतम न्यायालय ने इस घटना का संज्ञान नहीं लिया होता तो प्रधानमंत्री इस मुद्दे के बारे में कुछ नहीं बोलते। मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा था कि मणिपुर की घटना से 140 करोड़ भारतीय शर्मसार हुए हैं। उन्होंने कहा कि कानून पूरी ताकत के साथ काम करेगा तथा गुनहगार बख्शे नहीं जायेंगे। 
 

इसे भी पढ़ें: Bawaal : Bihar, Rajasthan और Bengal में महिलाओं पर बढ़े अत्याचार, हमलावर हुई BJP

सामना में कहा गया है कि हाल में ‘ताशकंद फाइल्स’, ‘द केरल स्टोरी’ और ‘द कश्मीर फाइल्स’ जैसी फिल्में बनी हैं। उसमें कहा गया है, ‘‘ उन्हीं लोगों को अब मणिपुर की हिंसा पर ‘मणिपुर फाइल्स’ नामक फिल्म भी बनानी चाहिए।’’ शिवसेना (यूबीटी) ने कहा कि यदि राज्य में गैर भाजपा सरकार होती तो उसे अब तक बर्खास्त भी कर दिया गया होता। उसने आरोप लगाया कि मणिपुर प्रधानमंत्री के लिए राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नहीं है , यही कारण है कि मणिपुर की स्थिति को नजरअंदाज किया जा रहा है। पार्टी ने कहा कि मणिपुर मेंकेंद्रीय अर्धसैनिक बलों के 60000 कर्मी तैनात हैं , फिर भी हिंसा कम नहीं हो रही है।

Loading

Back
Messenger