असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने उल्फा (आई) के प्रमुख परेश बरुआ को एक “अतिथि” के तौर पर राज्य की यात्रा करने और दशकों बाद बदली हुई स्थिति का गवाह बनने के लिए मंगलवार को आमंत्रित किया।
शर्मा ने यहां एक कार्यक्रम से इतर पत्रकारों से कहा कि बरुआ को किसी वार्ता में भाग लेने के लिए नहीं बल्कि विकसित और शांतिपूर्ण असमिया समाज को देखने के लिए आमंत्रित किया जाता है।
उन्होंने कहा, परेश बरुआ खुद एक जानकार व्यक्ति हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि वह आएंगे क्योंकि मैंने उन्हें आमंत्रित किया है। उसके पास अपनी बुद्धि और तर्क है। हालांकि, मुझे लगता है कि अगर वह सिर्फ सात दिन असम में रहेंगे, तो उन्हें एहसास होगा कि पुराना असम बहुत बदल गया है…।”
शर्मा ने कहा कि एक समय बरुआ को लगता था कि बाहरी लोगों ने असम में हर चीज पर कब्जा कर लिया है, लेकिन असमिया युवा आजकल कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में अधिकतम संख्या में रहते हैं क्योंकि स्थिति बदल गई है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि 1982-83 के दौरान जो हुआ वह अब अस्तित्व में नहीं है।
यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) गृह मंत्रालय द्वारा प्रतिबंधित संगठन है।
यह पूछे जाने पर कि क्या वह उग्रवादी नेता की असम यात्रा की व्यवस्था करेंगे, इसपर मुख्यमंत्री ने कहा, हां, सब कुछ। जैसा कि मैं उन्हें आमंत्रित करने की बात कर रहा हूं, मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ आमंत्रित करूंगा।
यदि वह आते हैं और 7-10 दिनों के लिए रहते हैं, तो वह स्वयं स्थिति को समझेंगे।”
शर्मा ने यह भी कहा कि उल्फा में शामिल हुए कई युवा वापस आ गए हैं और कई अन्य भी मुख्यधारा में वापस आना चाहते हैं।
बरुआ के साथ बातचीत के बारे में उन्होंने ज्यादा नहीं बताया और बस इतना कहा, अगर कुछ व्यावहारिक कठिनाइयां न होतीं तो अब तक बातचीत हो चुकी होती। हम उन व्यावहारिक मुद्दों को सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं।