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BJP के लिए अपराजित रहे Jalna लोकसभा क्षेत्र में मुरझाया कमल, विधानसभा चुनाव में एक बार फिर खड़े होने की रहेगी चुनौती

महाराष्ट्र का जालना लोकसभा क्षेत्र राज्य के 48 संसदीय क्षेत्र में से एक है। जहां हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कल्याण काले ने 1996 से जारी भारतीय जनता पार्टी के वर्चस्व को समाप्त करके जीत हासिल की है। बीजेपी के रावसाहेब दानवे जालना से लगातार पांच बार सांसद रहे हैं। उनको ही हराकर कांग्रेस ने यह सीट अपने नाम की है। यह क्षेत्र मराठवाड़ा संभाग के उत्तर दिशा में है। जालना का यह हिस्सा निजाम रियासत का हिस्सा था लेकिन बाद में यह महाराष्ट्र में शामिल हुआ। यह एक जिला मुख्यालय है, जिसके कारण बड़े-बड़े प्रशासनिक दफ्तर भी यहीं पर मौजूद हैं। जालना लोकसभा क्षेत्र हायब्रीड सीड्स के लिए पूरे देश में जाना जाता है। इसके अलावा भी यहां बीड़ी उद्योग, स्टील मिल और मौसम्मी फल का भी बहुतायत में उत्पादन होता है।
यह लोकसभा क्षेत्र जालना और औरंगाबाद (परिवर्तित नाम- छत्रपति संभाजी नगर) जिलों में विस्तारित है। जिसके अंतर्गत जालना, बदनापुर, भोकरदन, सिल्लोड, फुलंब्री और पैठण विधानसभा क्षेत्र आते हैं। जिनमें से पांच सीट ‘महायुति गठबंधन’ और एक सीट पर कांग्रेस का कब्जा है। इस लोकसभा क्षेत्र की जालना विधानसभा सीट कांग्रेस के पास है, जहां से पार्टी के कैलाश किसनराव गोरंट्याल वर्तमान में विधायक हैं। इस क्षेत्र के मतदाता क्रमवार तरीके से शिवसेना और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पर भरोसा जताते रहे हैं। यह क्रम 1990 से लगातार जारी है। 2014 के चुनाव में यहां से शिवसेना (शिंदे गुट) को जीत हासिल हुई थी। विधायक कैलाश किशनराव इस क्षेत्र का तीन बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। 
जालना लोकसभा क्षेत्र की बदनापुर विधानसभा सीट एकमात्र आरक्षित सीट है। जालना जिले के अंतर्गत ही आने वाला यह निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है। जहां से भारतीय जनता पार्टी के नारायण तिलकचंद कुचे लगातार दो बार चुनाव जीत चुके हैं। उनके पहले यह सीट शिवसेना के संतोष पुंडलिक सांबरे के पास थी। जालना जिले के तहत ही आने वाली इस लोकसभा क्षेत्र की भोकरदन भी एक अन्य सीट है। इस निर्वाचन क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ही लंबे समय से अपना दबदबा बनाकर रखे हुए हैं। 1990 से 2000 तक यह सीट बीजेपी के पास थी। जिसके बाद एनसीपी के चंद्रकांत पुंडलीकराव दानवे ने यहां लगभग 13 साल तक राज किया, लेकिन 2014 के चुनाव में बीजेपी के संतोष रावसाहेब दानवे ने उनसे यह सीट छीन ली और वह लगातार दो बार से भोकरदन विधानसभा क्षेत्र के प्रतिनिधि के रूप में सदन में पहुंच रहे हैं। विधायक संतोष दानवे महाराष्ट्र की 13वीं लोकसभा में सबसे युवा विधायक थे। 
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को छोड़कर लगभग सभी दलों को विजेता बनाने वाले सिल्लोड विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने 2019 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना पर अपना भरोसा कायम रखा था। हालांकि, 2022 में शिवसेना में हुए दो फाड़ के बाद से यह सीट एकनाथ शिंदे के पास ही है। इस सीट से अब्दुल सत्तार लगातार तीन बार विधायक रह चुके हैं। पिछले चुनाव में वे शिवसेना के टिकट पर तो वहीं, 2009 और 2014 के चुनाव में वे कांग्रेस पार्टी के टिकट पर विधानसभा में पहुंचे थे। उनके पहले भारतीय जनता पार्टी भी 15 साल तक इस क्षेत्र में विजेता रह चुकी है। अब्दुल सत्तार एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली वर्तमान सरकार में अल्पसंख्यक विकास मंत्री हैं। इसके पहले भी वे पूर्ववर्ती सरकारों में कई मंत्रालय में बतौर कैबिनेट मंत्री काम कर चुके हैं।
राज्य में 2008 में हुए परिसीमन की बाद अस्तित्व में आयी फुलंब्री विधानसभा सीट औरंगाबाद जिले के अंतर्गत ही आती है। इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी का पिछले 10 साल से कब्जा है। हरिभाऊ किसनराव बागड़े ने 2014 और 2019 के चुनाव में बीजेपी के टिकट पर जीत दर्ज की थी। उनसे पहले इस क्षेत्र का नेतृत्व कांग्रेस पार्टी के कल्याण काले भी कर चुके हैं, जो वर्तमान में जालना लोकसभा क्षेत्र से सासंद हैं। फिलहाल फुलंब्री विधानसभा सीट खाली है, क्योंकि विधायक हरिभाऊ बागडे को सरकार ने राजस्थान का नया राज्यपाल नियुक्त किया है। बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता रहे बागडे को राज्य में ‘नाना’ नाम से भी जाना जाता है। 2014 में महाराष्ट्र में मिली जीत के बाद बीजेपी ने उनको विधानसभा अध्यक्ष भी नियुक्त किया था।
महाराष्ट्र विधानसभा में 110 नंबर से जानी जानेवाली पैठण विधान सभा सीट औरंगाबाद (संभाजी नगर) जिले के अंतर्गत ही आती है। 1990 से ही यह क्षेत्र शिवसेना के सबसे मजबूत गढ़ों में से एक है। पार्टी के नेता संदीपनराव भुमरे 1995 से 2009 तक विधायक रहे थे। जिसके बाद 2009 के विधानसभा चुनाव में एनसीपी के संजय वाघचौरे ने उनको हराकर यह सीट अपने नाम कर ली थी, लेकिन 2014 में एक बार फिर भुमरे ने उनसे यह सीट छीनकर शिवसेना के खाते में डाल दी थी। पिछले दो कार्यकाल से वे इस क्षेत्र की जनता की आवाज विधानसभा में पहुंच रहे हैं। राज्य की वर्तमान सरकार में भुमरे को कैबिनेट कैबिनेट मंत्री भी बनाया गया है।
2011 की जनगणना के अनुसार, जिले की जनसंख्या 1,959,046 थी, जिसमें पुरुष और महिलाएँ क्रमशः 1,011,473 और 947,573 थीं। महिलाओं में औसत साक्षरता दर 71.52% – 60.95% और पुरुषों में 81.53% थी। लगभग 1,493,937 ग्रामीण मतदाता कुल मतदाताओं का लगभग 77.8% हिस्सा हैं। अनुसूचित जाति के मतदाता लगभग 13.9% हैं। निर्वाचन क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति के मतदाता लगभग 3.3% हैं।

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