लंबे अर्से से पदोन्नति के इंतजार में बैठे सरकार के कई कर्मचारियों को राहत तब मिली जब केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस प्रक्रिया को मंजूरी दी और इसमें तेजी आई है। इसी संबंध में सेंट्रल सेक्टेरिएट सर्विस फोरम और डायरेक्ट रिक्रूट ऑफ लिमिटेड डिपार्टमेंटल कॉम्पिटिटिव एग्जाम स्पेस के एक प्रतिनिधि मंडल ने केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी डॉ. जीतेंद्र सिंह से मुलाकात की है। राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने व्यक्तिगत रुचि लेने और पिछले महीने सहायक अनुभाग अधिकारियों (एएसओ) से अनुभाग अधिकारियों के रूप में बड़े पैमाने पर पदोन्नति में तेजी लाने के लिए डीओपीटी मंत्री को धन्यवाद दिया।
हाल ही में मिनिस्ट्री ऑफ पर्सोनेल के अंतर्गत आने वाले कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने तदर्थ आधार पर एएसओ के पद पर कार्यरत 1,592 अधिकारियों की बड़े पैमाने पर पदोन्नति को मंजूरी दे दी थी। इस संबंध में डॉ. जीतेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले साल बड़े पैमाने पर लगभग 9,000 पदोन्नतियां की गईं थी। वहीं इससे पहले तीन वर्षों के दौरान भी विभाग में 4,000 पदोन्नतियां दी थीं। पदोन्नति को लेकर प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने कहा कि डीओपीटी के प्रभारी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह के निर्देश पर पदोन्नति में तेजी आई है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने व्यक्तिगत रूप से इस पूरी प्रक्रिया की समीक्षा की थी।
प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के दौरान डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बात के लिए बहुत उत्सुक हैं कि मेहनती और प्रदर्शन करने वाले अधिकारियों को काम के अनुकूल माहौल प्रदान किया जाना चाहिए। ऐसे कर्मचारियों और अधिकारियों को समय पर सेवा लाभ भी प्रदान किए जाने चाहिए ताकि वे राष्ट्र निर्माण के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए प्रेरित रहें।
उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार कर्मचारियों को प्रेरित करने और लंबे समय तक आने वाले ठहराव की समस्या को दूर करने के लिए बड़े पैमाने पर पदोन्नति दे रही है। एएसओ और अन्य ग्रेडों में अन्य 2,000 पदोन्नतियां दी जानी है जो प्रक्रिया में हैं। माना जा रहा है कि इस वर्ष के अंत तक इन 2000 पदोन्नतियों को मंजूर कर दिया जाएगा।
मंत्री ने कहा कि पिछले नौ वर्षों में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में सरकार ने विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों में लंबित अदालती मामलों, रिक्तियों की कमी के कारण लंबे समय से चले आ रहे गतिरोध के मुद्दों की समय-समय पर समीक्षा की है। उन्होंने कहा कि पिछले साल ही लगभग 9,000 पदोन्नतियां की गईं। इससे पहले डीओपीटी ने पिछले तीन वर्षों में 4,000 पदोन्नतियां दी थीं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार कुछ स्तरों पर लंबे समय तक गतिरोध को लेकर चिंतित है। यहां प्रशासन के सबसे निचले स्तर पर काम करने वाले कुछ कर्मचारियों को कोई पदोन्नति नहीं मिलती है। ऐसे में वो 30 से 35 वर्षों का अपना पूरा सेवा कार्यकाल बिना पदोन्नति के बिताते हैं। डीओपीटी मंत्री ने कहा कि उन्होंने विभाग के सभी वरिष्ठ अधिकारियों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की है और प्रशासन के मध्य और निचले स्तर पर गतिरोध से बचने के लिए नए साधन विकसित किए गए हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात पर खेद व्यक्त किया कि बड़ी संख्या में मामलों में, पदोन्नति में रुकावट पिछली सरकारों द्वारा लिए गए अनुचित निर्णयों के कारण हुई मुकदमेबाजी या बिना बारी पदोन्नति देने के लिए नियमों को तोड़ने-मरोड़ने का परिणाम थी। हाल के वर्षों में मंजूर की गई 4,000 पदोन्नतियों में से कुछ मामलों में सरकार ने कानूनी विशेषज्ञों से परामर्श कर और न्यायिक जांच के लिए वैध प्रावधान बनाकर मामले विचाराधीन होने के बावजूद पदोन्नति दी। बता दें कि सीएसएस कैडर से संबंधित इन कर्मचारियों की बड़े पैमाने पर पदोन्नति के आदेश पिछले महीनों में डॉ. जितेंद्र सिंह की अध्यक्षता में डीओपीटी में कई दौर की उच्च स्तरीय बैठकों के बाद जारी किए गए थे।
यूपीएससी और एसएससी के माध्यम से सरकार में अधिक प्रतिभाशाली और कुशल भर्तियां होने के संबंध में भी प्रतिनिधिमंडल ने संतोष व्यक्त किया है। वहीं डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि शासन में आसानी के साथ-साथ पैनल में निष्पक्षता लाने के लिए सरकार ने पिछले नौ वर्षों में प्रक्रियाओं में सुधार किया गया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पदोन्नति करने में कोई व्यक्तिपरक प्राथमिकताएँ शामिल न हों। इस दिशा में काम करते हुए सरकार ने ऑनलाइन डेटाबेस तैयार किया है जिससे सरकारी कार्यबल में अधिक जवाबदेही और दक्षता आई है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने सीएसएस प्रतिनिधिमंडलों से मिशन कर्मयोगी मंच का उपयोग करके अपने संबंधित कैडरों के प्रशिक्षण के लिए रास्ते खोलने और काम और सामान्य रूप से समाज में विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए चिंतन शिविर और कार्यशालाएं आयोजित करने का आह्वान भी किया। उन्होंने कहा, “यह जनता के लिए परिणामों की प्रभावी और समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करेगा। इसके अलावा कर्मचारियों को उनकी क्षमता के अनुसार सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में सक्षम बनाने के लिए भी है।”