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चुनाव यात्रा के दौरान प्रभासाक्षी की टीम पश्चिम बंगाल पहुंची। जहाँ यह हमारे एडिटर नीरज कुमार दुबे ने राज्य में शिक्षा व्यवस्था को लेकर कुछ स्थानीय छात्राओं से बात की।
बातचीत के दौरान एक छात्रा ने कहा कि शिक्षकों की संख्या में कमी होने के कारण विद्यालय में पढ़ाई बेहतर ढंग से नहीं हो पाती है। साथ ही विद्यालय में शिक्षक पढ़ाई को लेकर ज्यादा गंभीर भी नहीं रहते हैं। उन्होंने बताया कि मिड-डे मील में मिलने वाले खाने में भी कई प्रकार की कमियां होती हैं। बर्तनों में हर तरफ गंदगी लगी रहती है। इसके अलावा कई मूलभूत सुविधाओं जैसे शौचालय आदि भी इस्तेमाल करने लायक नहीं हैं। विद्यालय के शौचालय और कक्षाएं बहुत गंदी रहती हैं लेकिन अध्यापक और अध्यापिकाओं के शौचालय में पर्याप्त पानी रहता है और उनमें साफ सफाई भी हमेशा रहती है।
एक दशवीं की छात्रा ने कहा कि सरकार का दावा है कि वह बच्चों को कई योजनाओं के माध्यम से पैसा पहुंचा रही है लेकिन उसके खाते में आज तक एक भी पैसा नहीं आया है। जबकि उसका बैंक खाता कक्षा 5 में ही बैंक खाता खुल गया था। नवीं कक्षा की छात्रा ने भी बताया कि कक्षा में पढ़ाने वाले शिक्षक भी पढ़ाई को लेकर ज्यादा गंभीर नहीं रहते हैं। वे क्लास में आकर सिर्फ बैठ जाते हैं जबकि कुछ शिक्षक अच्छा पढ़ाते हैं। सातवीं की एक छात्रा ने मिड डे मील भोजन को लेकर कहा कि खाने का भोजन भी बहुत बेकार होता है खाना खाते समय बैठने की कोई व्यवस्था नहीं होती है। कैंटीन में केवल लड़कों के बैठने की व्यवस्था होती है जबकि वे खड़े-खड़े खाना खाती हैं। उसने बताया कि कभी-कभी तो खाना इतना बेकार बनता है कि वह मिड डे मील का खाना नहीं खाती।
इसके अलावा छात्राओं ने बताया कि साफ सफाई को लेकर भी विद्यालय में कोई जागरूकता नहीं है। कचरा पूरे स्कूल में जगह-जगह डला रहता है। शिक्षक विद्यालय में अनुशासन को बनाने को लेकर कोई खास ध्यान नहीं देते हैं। इसके अलावा उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से मिलने वाले ड्रेस भी बिना किसी नाप की बहुत बड़ी दे दी जाती है। पहनने के लिए जूते भी विद्यालय में नहीं मिलते हैं। फीस को लेकर उन्होंने कहा कि विद्यालयों में फीस लगातार बढ़ती जा रही है। पहले की तुलना में कई गुना फीस बढ़ गई है। तरह-तरह के बहाने बनाकर स्कूल वाले उनसे फीस वसूलते हैं। छात्राओं ने कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता स्कूल और शौचालय में पर्याप्त सफाई की व्यवस्था है।