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Keshav Prasad Maurya के बयान से मचा हड़कंप, जातिगत जनगणना के मुद्दे पर BJP के रुख से अलग रखी अपनी राय

बिहार सरकार की ओर से जातिगत जनगणना की रिपोर्ट जारी किए जाने के बाद उत्तर प्रदेश में भी जातिगत जनगणना कराये जाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मुद्दे पर कह चुके हैं कि गरीब ही सबसे बड़ी जाति है और गरीब ही सबसे बड़ी आबादी है और हम उनकी चिंता कर रहे हैं। भाजपा के नेतागण भी इस मुद्दे पर बेहद सावधानी से प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं लेकिन उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कह दिया है कि वह व्यक्तिगत तौर पर ऐसी जनगणना के विरोधी नहीं हैं, लेकिन जो लोग इसके नाम पर वोट बैंक तैयार करने के ख्वाब देख रहे हैं, उनका ख्वाब मुंगेरी लाल का हसीन सपना बनकर रह जाएगा। प्रयागराज में एक संवाददाता सम्मेलन में मौर्य ने कहा, “ये विपक्षी दल जब सत्ता में थे तब उन्होंने गरीबों, पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों के लिए कुछ नहीं किया। अब सत्ता में आने के लिए वे ये सारे प्रयोग कर रहे हैं।” 
केशव प्रसाद मौर्य का बयान
उपमुख्यमंत्री ने कहा, “सत्ता से बेदखल होने के बाद यह सारा प्रयोग सत्ता में आने के लिए है। भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हुए ये परिवारवादी राजनीतिक दल केवल एक सूत्री एजेंडा चला रहे हैं। अगर 2024 में तीसरी बार मोदी सरकार बन जाएगी तो इन लोगों के खिलाफ जो अभी जांच की प्रक्रिया चल रही है, वह पूरी हो जाएगी और सजा मिलने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।” वर्ष 2025 में प्रयागराज में लगने वाले महाकुम्भ मेले की तैयारी को लेकर हुई समीक्षा बैठक की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि प्रयागराज में रिंग रोड के तीन चरण की निविदा की प्रक्रिया पूरी हो गई है। उन्होंने बताया कि प्रयागराज में अंत्येष्टि संस्कार के लिए दारागंज घाट, रसूलाबाद घाट, छतनाग घाट और अन्य घाटों में शवदाह सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए एक समिति बनाई जाएगी जो इसकी कार्ययोजना तैयार करेगी। मौर्य ने कहा, “कुम्भ की परियोजनाओं को समयबद्ध तरीके से पूरा करने का निर्देश दिया गया है। साथ ही गंगा नदी के तट पर दशाश्वमेध घाट से सीडीए पेंशन तक ‘रीवरफ्रंट’ बनाने के लिए कार्ययोजना तैयार करने का निर्देश दिया गया है।” 

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अनुप्रिया पटेल का बयान
हम आपको यह भी बता दें कि भाजपा के सहयोगी दल अपना दल (सोनेलाल) की नेता एवं केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने भी राष्ट्रव्यापी जाति आधारित गणना की वकालत की। उन्होंने अन्य पिछड़ा वर्ग के कल्याण के लिए समर्पित एक अलग मंत्रालय गठित करने की मांग भी की। पार्टी की एक बैठक को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जाति आधारित गणना बेहद जरूरी है, ताकि पिछड़ी जातियों के बारे में उनकी जनसंख्या सहित प्रामाणिक आंकड़े पता चल सकें और उनकी समस्याओं और मुद्दों का प्रभावी ढंग से समाधान किया जा सके। पिछड़े समुदाय की नेता पटेल ने कहा कि अपना दल (एस) हमेशा से जातिगत जनगणना के पक्ष में रहा है। अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को सबसे बड़ा जनसांख्यिकीय समूह करार देते हुए उन्होंने ओबीसी के कल्याण के लिए एक अलग मंत्रालय गठित करने का आह्वान किया। पटेल ने कहा, ‘‘यह समय की मांग है।’’ पटेल ने उच्च न्यायपालिका में समाज के कमजोर वर्गों के अधिक प्रतिनिधित्व की वकालत करते हुए कहा कि उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय को सामाजिक विविधता को प्रतिबिंबित करना चाहिए। इसके अलावा भाजपा की सहयोगी पार्टी सुभासपा के ओम प्रकाश राजभर और निषाद पार्टी के संजय निषाद ने भी जाति आधारित गणना की वकालत की है।
अखिलेश यादव का बयान
साथ ही समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी कहा है कि भाजपा सरकार राजनीति छोड़े और देशव्यापी जातिगत जनगणना करवाए। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, ‘जातिगत जनगणना 85-15 के संघर्ष का नहीं बल्कि सहयोग का नया रास्ता खोलेगी और जो लोग प्रभुत्वकामी नहीं हैं, बल्कि सबके हक़ के हिमायती हैं, वो इसका समर्थन भी करते हैं और स्वागत भी। जो सच में अधिकार दिलवाना चाहते हैं वो जातिगत जनगणना करवाते हैं।’ उन्होंने मांग की कि ‘भाजपा सरकार राजनीति छोड़े और देशव्यापी जातिगत जनगणना करवाए।’ अखिलेश यादव ने कहा, ‘जब लोगों को ये मालूम पड़ता है कि वो गिनती में कितने हैं, तब उनके बीच एक आत्मविश्वास भी जागता है और सामाजिक नाइंसाफी के खिलाफ एक सामाजिक चेतना भी, जिससे उनकी एकता बढ़ती है और वो एकजुट होकर अपनी तरक्की के रास्ते में आने वाली बाधाओं को भी दूर करते हैं, नये रास्ते बनाते हैं और सत्ताओं और समाज के परम्परागत ताकतवर लोगों द्वारा किए जा रहे अन्याय का खात्मा भी करते हैं।’ सपा अध्यक्ष ने कहा, ‘इससे समाज बराबरी के मार्ग पर चलता है और समेकित रूप से देश का विकास होता है। जातिगत जनगणना देश की तरक्की का रास्ता है। अब ये निश्चित हो गया है कि पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) ही भविष्य की राजनीति की दिशा तय करेगाा।’

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