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हैदराबाद । विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को दावा किया कि पिछली संप्रग सरकार ने 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद यह कहते हुए “कुछ नहीं करने” का फैसला किया कि “पाकिस्तान पर हमला नहीं करने की तुलना में उस पर हमला करना अधिक महंगा (साबित) होगा”। भारत को ‘ग्लोबल साउथ’ (जिसमें लगभग 125 देश शामिल हैं) की आवाज बताते हुए उन्होंने कहा कि ‘ग्लोबल साउथ’ के देश दुनिया में अपने मुद्दों और पदों को लेकर भारत पर भरोसा करते हैं।
‘विदेश नीति भारत का रास्ता: संदेह से विश्वास तक’ विषय पर एक सभा को संबोधित करते हुए मंत्री ने कहा कि देश का उन कुछ देशों के प्रति नैतिक दायित्व है, जो औपनिवेशिक शासन के अधीन थे और भारत की तरह शीघ्रता से उबर नहीं सके, पुनर्निर्माण नहीं कर सके। उन्होंने कहा, “हम ग्लोबल साउथ की आवाज हैं, जो दुनिया के लगभग 125 देशों में से एक है। ये देश अपने मुद्दे, दुनिया में अपनी स्थिति को लेकर भारत पर भरोसा करते हैं।” ग्लोबल साउथ से तात्पर्य उन देशों से है जिन्हें अक्सर विकासशील, कम विकसित अथवा अविकसित के रूप में जाना जाता है।
उन्होंने कहा कि भारत के सामने सीमाओं पर कुछ चुनौतियां हैं और उनका बचाव करने की कुंजी केवल सार्वजनिक रूप से पेश आना नहीं है, बल्कि बुनियादी ढांचे का निर्माण करना, सेना का समर्थन करना और एक ऐसी प्रणाली बनाना है जो सीमा पर खतरा होने पर प्रतिक्रिया दे। उन्होंने पिछले संप्रग कार्यकाल का जिक्र करते हुए कहा, “रक्षात्मक युग” में आतंकवाद को स्वीकार कर लिया गया।
उन्होंने दावा किया, “मुंबई (हमले) के बाद, पिछली संप्रग सरकार के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने लिखा (कि) ‘हम बैठे, हमने चर्चा की। हमने सभी विकल्पों पर विचार किया। फिर हमने कुछ न करने का फैसला किया। हमने कुछ नहीं करने का फैसला किया और इसका औचित्य यह था कि हमें लगा कि पाकिस्तान पर हमला करने की कीमत पाकिस्तान पर हमला न करने की कीमत से अधिक है।’” उन्होंने कहा, “मैं निर्णय आप पर छोड़ता हूं।