जनता दल (यूनाइटेड) के असंतुष्ट नेता उपेंद्र कुशवाहा ने बुधवार को कहा कि अगर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उपमुख्यमंत्री एवं राजद नेता तेजस्वी यादव को कमान सौंपने की संभावना से इनकार करते हैं तो वह अपना ‘‘विद्रोह’’ छोड़ देंगे।
पटना में पत्रकारों से बात करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री ने जोर देकर कहा कि अगर जदयू का नेतृत्व लव-कुश समाज (कुर्मी और कोइरी) में से कोई भी करता है, तो वह खुशी-खुशी एक साधारण पार्टी कार्यकर्ता के रूप में काम करेंगे।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के लोग कहते रहते हैं कि महागठबंधन के गठन के समय एक ‘‘डील’’ (समझौता) हुई थी, जिससे जदयू के भीतर उथल-पुथल मच गई है। कुशवाहा ने कहा कि केवल मुख्यमंत्री ही यह घोषणा करके अफवाहों पर विराम लगा सकते हैं कि वह तेजस्वी को 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में नेता के रूप में समर्थन नहीं दे रहे हैं।
वर्ष 2021 में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) का विलय करके जदयू में लौटे कुशवाहा ने दावा किया कि उन्हें पार्टी के नेतृत्व का दावेदार बनने में कोई दिलचस्पी नहीं है।
कुशवाहा ने कहा, ‘‘लेकिन अगर मौजूदा स्थिति जारी रहती है तो यह पार्टी डूब जाएगी। नीतीश कुमार ने बिहार को अंधेरे युग से बाहर निकाला था। उनकी विरासत पर बादल छाए हुए हैं।’’
इस आरोप के बारे में पूछे जाने पर कि वह भाजपा के इशारे पर काम कर रहे हैं, कुशवाहा ने जवाब दिया, ‘‘इससे क्या फर्क पड़ता है कि भाजपा या मुस्लिम लीग मेरे पीछे है।’’
उन्होंने यह भी दावा किया कि नीतीश, जो अब 70 के दशक में हैं, स्वयं निर्णय लेने में सक्षम नहीं हैं बल्कि अपने ‘‘दो-तीन करीबी लोगों की बातों पर चलते हैं।’’
जब कुशवाहा से स्पष्ट रूप से पूछा गया कि वह किसके बारे में बात कर रहे हैं तो उन्होंने किसी का भी नाम लेने से इनकार कर दिया।
इस बीच, राजद ने अपने संस्थापक अध्यक्ष लालू प्रसाद के छोटे बेटे और उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी माने जाने वाले तेजस्वी यादव के खिलाफ मोर्चा खोलने के लिए कुशवाहा की आलोचना की।
राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा, ‘‘हां, पिछले साल जब नीतीश जी हमारे साथ आए थे तो एक समझौता हुआ था। यह समझौता केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा संविधान पर किए जा रहे हमले के खिलाफ लड़ने के लिए था। लेकिन, कुशवाहा को खुलासा करना चाहिए कि वह इन दिनों किनको दिल दे बैठे हैं। क्या वह अभी भी समाजवादी हैं या उन्होंने सांप्रदायिक ताकतों के साथ समझौता कर लिया है।’’
राजद प्रवक्ता ने कहा, ‘‘किसी को नेता घोषित करने का कोई फायदा नहीं है। नेता लोगों के आशीर्वाद से अपना पद अर्जित करते हैं।