लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर के उन्नयन में भारत एक बड़ी भूमिका निभा रहा है और वह और भी बड़ी भूमिका निभा सकता है। यह बात ‘यूरोपियन ओर्गनाइजेशन फॉर न्यूक्लियर रिसर्च’ (सर्न)’ की वैज्ञानिक अर्चना शर्मा ने कही।
लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर विश्व का सबसे शक्तिशाली ‘पार्टिकल एक्सेलेटर’ है जो वैज्ञानिकों को पदार्थ की मौलिक संरचना को समझने में मदद करता है।
भारतीय मूल की वरिष्ठ वैज्ञानिक शर्मा ने कहा कि एलएचसी का उन्नयन 2025 में पूरा हो जाने की उम्मीद है और उसके बाद भारत के अनुसंधानकर्ताओं और उद्योग जगत के लिए नये अवसर उत्पन्न हो सकते हैं। एलसीएच फ्रांस और स्विटरजरलैंड के बीच जमीन के नीचे ‘सुपरकंडटिंग मैग्नेट’ का 27 किलोमीटर लंबा छल्ला है।
शर्मा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से ‘‘एक बहुत बड़ा उन्नयन हो रहा है…भारतीय वैज्ञानिक समुदाय और औद्योगिक क्षेत्र के लिए इस उन्नयन का संभावित लाभ यह है कि इससे ज्ञान और तकनीकी प्रगति की सीमाओं को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘वहीं, भारत एक बड़ी भूमिका निभा रहा है और इससे भी बड़ी भूमिका निभा सकता है क्योंकि मुझे प्रचुर संभावना, प्रचुर प्रतिस्पर्धा, प्रचुर औद्योगिक घटक और विद्यार्थियों की ऐसी विशाल संख्या नजर आ रही है जिन्हें प्रशिक्षित किया जा सकता है जिससे भावी नेतृत्वकर्ताओं के लिए क्षमता निर्माण हो सकता है।’’
सर्न दशकों से आण्विक भौतिकी में ऐतिहासिक खोजों में अग्रणी रहा है।
उसका मुख्यालय जिनेवा में है।
एलएचसी 2012 में ‘हिग्स बोसोन’ या ‘गॉड पार्टिकल’ की खोज समेत ब्रह्मांड के रहस्यों की गुत्थियां सुलझाने में अहम भूमिका निभाता रहा है। ‘हिग्स बोसोन’ आण्विक भौतिकी के मानक प्रतिमान में प्राथमिक कण है।
शर्मा उन गैसीय संसूचक को लेकर अपने काम के लिए जानी जाती हैं जिसके माध्यम से उन्होंने हिग्स बोसोन की खोज में योगदान दिया। ऐसा करने वाली एक एकमात्र भारतीय वैज्ञानिक हैं।
एलएचसी के आगामी उन्नयन से कोलाइडर की क्षमता बढ़ने की उम्मीद है जिससे वैज्ञानिक पदार्थ के मूलभूत घटकों और ब्रह्मांड को नियंत्रित करने वाली शक्तियों के बारे में और भी गहराई से जान पाएंगे।