छत्तीसगढ़ विधानसभा में मंगलवार को मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि वह राजनीतिक विरोधियों की आवाज दबाने के लिए पार्टी नेताओं को झूठे मामलों में फंसा रही है।
विधानसभा में इस मुद्दे को लेकर भाजपा ने हंगामा किया और सदन की कार्यवाही को तीन बार स्थगित करना पड़ा।
विधानसभा में विपक्ष के नेता नारायण चंदेल, शिवरतन शर्मा और अन्य विधायकों ने शून्यकाल में मंगलवार को इस मुद्दे को उठाया और कहा कि भाजपा कार्यकर्ताओं को परेशान करने के लिए पुलिस में गैर-जमानती आरोपों के साथ झूठेमामले दर्ज किए गए हैं।
सत्ता पक्ष पर निशाना साधते हुए शर्मा ने कहा उनकी (कांग्रेस) नेता ने आपातकाल (1975-77) के दौरान विपक्ष को कुचलने की कोशिश की थी और सभी जानते हैं कि उनके साथ क्या हुआ था।
एक मामले का जिक्र करते हुए भाजपा विधायकों ने कहा कि कबीरधाम जिले में पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं को जिला बदर (कलेक्टर द्वारा जारी किया जाने वाला एक नोटिस जिसमें आपराधिक मामले वाले व्यक्ति को जिले से निष्कासित कर दिया जाता है) उन्हें परेशान करने के इरादे से जारी किया गया था।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सभी को बोलने की आजादी है। भाजपा विधायकों ने अपने कार्यकर्ताओं के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई को रोकने की मांग की। सदन में जब इस मुद्दे को लेकर हंगामा हुआ तब उपाध्यक्ष संतराम नेताम ने सदन की कार्यवाही पांच मिनट के लिए स्थगित कर दी।
सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद विपक्षी सदस्यों ने फिर इस मुद्दे कोउठाया और कहा कि भाजपा के 15 साल के शासन में किसी भी कांग्रेस कार्यकर्ता को जिला बदर घोषित नहीं किया गया।
राज्य में विधि विभाग के मंत्री मोहम्मद अकबर ने कबीरधाम जिले के मामले में पुलिस कार्रवाई को सही ठहराते हुए कहा कि उन्होंने (भाजपा कार्यकर्ताओं ने) पुलिस कर्मियों पर हमला किया था। अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
इसके बाद भाजपा सदस्यों ने एक बार फिर सदन में हंगामा किया जिसके बाद विधानसभा उपाध्यक्ष ने एक के बाद एक दो बार सदन की कार्यवाही स्थगित की।