उत्तर प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश जल आधारित पर्यटन एवं साहसिक क्रीड़ा नीति (यूपी वाटर टूरिज्म एंड एडवेंचर स्पोर्ट्स पॉलिसी 2023) को मंगलवार को मंजूरी दे दी। इससे राज्य में जल पर्यटन और साहसिक खेलों के अवसर उपलब्ध होंगे।
यहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में संपन्न हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी। यह नीति राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित तिथि से 10 वर्षों के लिए वैध होगी।
पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने मंगलवार को पत्रकारों को बताया कि यह नीति उत्तर प्रदेश में अंतर्देशीय समस्त भू-आधारित, वायु आधारित एवं जल मार्गों, बांधों, जलाशयों, झीलों, नदियों, तालाबों एवं राज्य के अधिकार क्षेत्र के अंदर विभिन्न जल निकायों एवं भूमि खंडों पर की जाने वाली सभी साहसिक गतिविधियों पर लागू होगी।उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में विंध्य व बुंदेलखंड क्षेत्रों में पहाड़ियां, हिमालय के तराई क्षेत्र में लगभग 16,620 वर्ग किमी. के वन क्षेत्र के साथ अनेक सुंदर परिदृश्य, वन विस्तार, बहती नदियां और लुभावने सुंदर झरने, बांध, जलाशय एवं झीलें होने के चलते प्रदेश में जल आधारित पर्यटन एवं साहसिक क्रीड़ा एवं जल क्रीड़ा की काफी संभावनाएं हैं।
उन्होंने कहा, “इसी को देखते हुए प्रदेश में हम इसकी नीति को लेकर आए हैं, जिसे मंत्रिमंडल से स्वीकृति मिल गई है। यह नीति राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित तिथि से 10 वर्षों के लिए वैध होगी।”
उन्होंने बताया, “इस नीति के अंतर्गत कार्यवाही के लिए नोडल एजेंसी मंडल स्तर पर ‘एडवेंचर स्पोर्ट यूनिट’ का सृजन करेगी। ‘एडवेंचर स्पोर्ट्स यूनिट’ में पूर्व सैनिकों को सम्मिलित करने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम, उत्तर प्रदेश पूर्व सैनिक कल्याण निगम के साथ समझौता करेगा।”
मंत्री ने बताया कि नोडल एजेंसी द्वारा अधिसूचित भूखंड क्षेत्रों एवं जल स्रोतों पर जल आधारित पर्यटन एवं साहसिक क्रीड़ा के लिए क्षमता का अध्ययन कराया जाएगा तथा प्रत्येक भूखंड क्षेत्रों एवं जल स्रोतों पर जल आधारित पर्यटन एवं साहसिक क्रीड़ा के लिए लाइसेंस जारी किए जाएंगे और नीति के जारी होने के 60 दिनों के अंदर नोडल एजेंसी एक विस्तृत मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करेगी।सिंह ने बताया कि इसके अलावा पर्यटन के क्षेत्र में सरकार ने कुछ और बड़े कदम उठाए हैं। उनके मुताबिक, इसके अंतर्गत पर्यटन विभाग के बंद पड़े, घाटे में चल रहे या फिर असंचालित पर्यटक आवास गृहों को सार्वजनिक निजी साझेदारी (पीपीपी) के तहत विकसित व संचालित किए जाने को भी मंजूरी प्रदान की गई है।
पर्यटन मंत्री सिंह ने बताया, “प्रदेश में पर्यटन विभाग द्वारा लगभग 86 राही पर्यटक आवास गृह संचालित थे। इनमें से 31 को पीपीपी के तहत विकसित करने के लिए अनुमोदन प्रदान किया गया था। इनमें से 10 को ई- निविदा के आधार पर मूल मूल्य से भी अच्छी बोली प्राप्त हुई है, जिसे कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है।”
उन्होंने बताया, “इनमें सोनौली महाराजगंज, बटेश्वर आगरा, गोकुलधाम मथुरा, कालिंजर बांदा, राधा कुंज मथुरा, सांडी हरदोई, नीमसार सीतापुर, देवगढ़ ललितपुर एवं भदोही में राही पर्यटक आवास गृह सम्मिलित हैं।”
मंत्री के मुताबिक, इन्हें कुल 62 वर्षों के लिए लीज पर दिया जाएगा।उन्होंने बताया कि इसके अलावा प्रदेश के विरासती भवनों को पीपीपी मॉडल पर विरासत पर्यटन इकाई के रूप में विकसित किया जाएगा।
सिंह के मुताबिक, इन्हें हेरिटेज होटल, हेरिटेज म्यूजियम, हेरिटेज रेस्तरां, होम स्टे, थीमैटिक पार्क, मॉल एक्टिविटी सेंटर, वेलनेस सेंटर समेत अन्य पर्यटन एवं आतिथ्य के रूप में विकसित किए जाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी मिल गई।