Breaking News

उत्तर प्रदेश उच्च न्यायालय ने शिक्षा मित्रों का मानदेय बढ़ाने के लिए समिति गठित करने का निर्देश

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को चार सप्ताह के भीतर एक समिति गठित कर शिक्षा मित्रों का मानदेय कम से कम सम्मानजनक स्तर पर करने के शिक्षा मित्रों के अनुरोध पर विचार करने का निर्देश दिया है।
अदालत ने आशा व्यक्त की कि उक्त समिति गठन के तीन महीने की अवधि के भीतर उचित निर्णय करेगी।
जितेंद्र कुमार भारती और कई अन्य शिक्षा मित्रों द्वारा दायर रिट याचिका निस्तारित करते हुए न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने कहा, ‘‘मुझे याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता की इस दलील में दम नजर आता है कि वर्तमान में मानदेय के रूप में जो धनराशि दी जाती है वह बहुत कम है।’’
अदालत ने कहा, “मौजूदा वित्तीय सूचकांक और न्यूनतम सम्मानजनक आजीविका के लिए आवश्यकता पर विचार करते हुए यह राशि बढ़ाए जाने की जरूरत है।”

उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ा रहे शिक्षा मित्रों ने दावा किया कि उन्हें 26 मई 1998 को जारी एक सरकारी आदेश के जरिए शिक्षामित्र योजना के तहत शिक्षा मित्र के तौर पर अनुबंध पर शुरुआत में छह जनवरी 2005 को रखा गया और सालाना आधार पर अनुबंध का नवीकरण किया गया और वे पिछले 18 वर्षों से उसी क्षमता से काम कर रहे हैं।
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने कहा कि शिक्षा मित्र, नियमित तौर पर नियुक्त सहायक अध्यापकों की तरह अपने दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं, इसलिए राज्य सरकार को उन्हें नियमित सहायक अध्यापक की तरह वेतन दिया जाए या फिर न्यूनतम वेतनमान दिया जाए।
उन्होंने अनुरोध किया कि मानदेय बढ़ाया जाए और इसके लिए उन्होंने अन्य राज्यों में अनुबंध पर रखे गए अध्यापकों को दिए जा रहे मानदेय का उदाहरण दिया।

याचिकाकर्ताओं के मुताबिक शिक्षा मित्रों को प्रति माह 10,000 रुपये मानदेय मिलता है जोकि अपर्याप्त प्रतीत होता है।
वहीं दूसरी ओर, राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता अशोक मेहता ने समान कार्य के लिए समान वेतन के दावे से इनकार किया।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने शुक्रवार को दिए अपने निर्णय में मौजूदा रिट याचिका को उक्त निर्देशों के साथ निस्तारित किया।

Loading

Back
Messenger