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उत्तर प्रदेश : ‘आप’ के राज्यसभा सांसद Sanjay Singh से जुड़े मामले में अगली सुनवाई 12 अगस्त को

सुलतानपुर । उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर में स्थानीय सांसद-विधायक अदालत में आम आदमी पार्टी (आप) के राज्‍यसभा सदस्‍य संजय सिंह और समाजवादी पार्टी (सपा) के पूर्व विधायक अनूप संडा आदि आरोपियों से जुड़े मामले की अगली सुनवाई 12 अगस्त को होगी। विशेष न्यायाधीश के अवकाश पर होने और संसद सत्र की कार्यवाही संचालित होने से मामले की सुनवाई स्थगित कर दी गयी। सांसद संजय सिंह के अधिवक्ता मदन सिंह ने बताया कि शुक्रवार को उपरोक्त मामले में पेशी थी और संजय सिंह को इस मामले में अदालत में आना था लेकिन संसद सत्र चलने के कारण संजय सिंह की व्यस्तता के कारण मैंने अदालत में प्रार्थना पत्र देकर समय मांग लिया। 
विशेष लोक अभियोजक वैभव पांडेय ने बताया कि मामले की सुनवाई के लिए 12 अगस्‍त की तारीख तय की गयी है। पांडेय के अनुसार, सुलतानपुर की सांसद-विधायक अदालत ने जनसमस्या और बिजली संकट को लेकर सड़क जाम और धरना-प्रदर्शन करने के मामले में दोषी ठहराए जा चुके आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद संजय सिंह और समाजवादी पार्टी (सपा) नेता अनूप संडा समेत छह दोषियों की अपील निरस्त करते हुए उनकी डेढ़ माह कैद की सजा को कायम रखा है। 
वैभव पांडेय ने बताया कि दोषियों की अपील पर सुनवाई करते हुए विशेष सत्र न्यायाधीश (सांसद/विधायक) एकता वर्मा ने मंगलवार को यह आदेश दिया था। उन्होंने बताया कि 19 जून 2001 को बिजली बदहाली के विरोध में तत्कालीन लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी नेता (पूर्व विधायक) अनूप संडा के नेतृत्व में शहर की सब्जी मंडी के निकट ऊपरगामी पुल के पास धरना प्रदर्शन दिया गया था। जिसमें संजय सिंह, पूर्व सभासद कमल श्रीवास्तव, पूर्व सभासद विजय, अन्य संतोष, सुभाष चौधरी आदि शामिल हुए थे। 
पांडेय ने बताया कि प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर विवेचना पूरी करने के बाद आरोपपत्र अदालत में दाखिल किया था। उन्होंने बताया कि इस मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद विशेष न्यायालय के तत्कालीन मजिस्ट्रेट योगेश यादव ने 11 जनवरी 2023 को सभी छह आरोपियों को दोषी ठहराते हुए डेढ़-डेढ़ माह कैद और 1500-1500 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी। इस आदेश के खिलाफ ही दोषियों ने सांसद-विधायक अदालत में अपील दाखिल की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को उनकी याचिका निरस्त कर दी है और डेढ़ माह कैद तथा जुर्माने की सजा को बरकरार रखा।

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