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UP Vidhan Mandal के मॉनसून सत्र में पहले दिन Akhilesh Yadav और विधानसभा अध्यक्ष में हुई तीखी बहस, Manipur पर हंगामे के चलते नहीं चले दोनों सदन

उत्तर प्रदेश विधानमंडल के मानसून सत्र की आज हंगामेदार शुरुआत हुई। दोनों ही सदनों में मणिपुर के मुद्दे को लेकर विपक्षी सदस्यों ने भारी हंगामा किया जिसके चलते कार्यवाही को दिन भर के लिए स्थगित कर दिया गया। इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि सरकार सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है।
विधानसभा में क्या हुआ?
विधानसभा की बात करें तो आपको बता दें कि मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार को विपक्षी दल समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने मणिपुर के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की लेकिन अध्यक्ष सतीश महाना ने उन्हें ऐसा करने की अनुमति नहीं दी। शून्यकाल के दौरान विधानसभा में विपक्ष के नेता अखिलेश यादव ने मणिपुर का मुद्दा ‘‘गंभीर’’ बताते हुए कहा, ‘‘क्या हम इसकी (मणिपुर घटना) निंदा करने के लिए प्रस्ताव पारित नहीं कर सकते?’’ इस पर विधानसभा अध्यक्ष महाना ने पूछा कि कितने राज्यों के लिए ऐसा किया जाएगा? अखिलेश यादव ने कहा, ‘‘यह (उप्र) देश का सबसे बड़ा राज्य है और प्रधानमंत्री यहीं से आते हैं। कम से कम मणिपुर पर हम आपसे कुछ बोलने की उम्मीद करते हैं। उम्मीद है कि आप बोलेंगे। अगर कोई घटना होती है तो आप उसकी निंदा का प्रस्ताव करिए।’’ यादव ने कहा, ‘‘दुनिया में कोई ऐसी जगह नहीं बची जहां मणिपुर की घटना की निंदा न हुई हों।’’ इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा, ‘‘न तो यह विधानसभा की कोई परंपरा है और न ही परिपाटी। यह विधानसभा का विषय भी नहीं है।’’
विपक्ष के नेता ने कहा, ‘‘ऐसा कोई देश नहीं होगा, जहां मणिपुर की घटना की निंदा न की गई हो, जिस देश में आप और हम निवेश मांगने गए थे, अमेरिका जैसे देश में, वहां के राष्ट्रपति के कार्यालय ने निंदा की है। मणिपुर की घटना की यूरोप के तमाम देशों ने निंदा की है और इंग्लैंड ने इसकी निंदा की है। क्या हम यह अपेक्षा नहीं कर सकते कि नेता सदन इस पर (मणिपुर) पर कुछ बोलें।’’ इस पर महाना ने कहा, ‘‘यहां सभी ने इसकी निंदा की है लेकिन विधानसभा दूसरे राज्यों के बारे में नहीं बोल सकती।’’ इस बीच, सदन में विपक्षी सदस्य नारेबाजी करते रहें।

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सदन की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस की आराधना मिश्रा ने मणिपुर का मुद्दा उठाना चाहा लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें इसकी इजाजत नहीं दी। अखिलेश यादव के बोलने से पहले संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा, ‘‘मणिपुर में जो घटना हुई, उसके बारे में हर कोई जानता है। संबंधित राज्य सरकार या केंद्र इस पर चर्चा कर सकती है, कुछ भी कर सकती है लेकिन यह विषय यहां से संबंधित नहीं है इसलिए इस पर कोई चर्चा नहीं होनी चाहिए।” शामली से रालोद के विधायक प्रसन्न कुमार ने कहा, ‘‘हम (राष्ट्रीय लोकदल) भी चाहते थे कि सरकार मणिपुर की घटना की निंदा करने के लिए एक प्रस्ताव लाए लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने इसे खारिज कर दिया।’’ इस बीच, सपा सदस्यों के विरोध के बीच सभापति ने सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी। कार्यवाही स्थगित होने के बाद अखिलेश यादव ने मीडिया से बातचीत में कहा कि हम चाहते थे कि मणिपुर पर चर्चा हो लेकिन सरकार ने हमारी बात नहीं सुनी।
विधान परिषद में भी हंगामा
दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश विधान परिषद के मानसून सत्र के पहले दिन भी मणिपुर में महिलाओं के प्रति अपराधों के मुद्दे पर समाजवादी पार्टी (सपा) सदस्यों के हंगामे के कारण कार्यवाही मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी गयी। पूर्वाह्न 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होते ही सपा सदस्य लाल बिहारी यादव तथा पार्टी के अन्य सदस्यों ने मणिपुर समेत पूरे देश में महिलाओं के कथित उत्पीड़न का मुद्दा उठाया। सभापति कुंवर मानवेंद्र सिंह ने प्रश्नकाल के बाद इस मुद्दे को उठाने को कहा लेकिन सपा सदस्य नहीं माने। सपा सदस्य नरेश उत्तम पटेल ने कहा, ‘‘मणिपुर की घटना को लेकर पूरा देश शर्मसार हो गया है। उत्तर प्रदेश में हत्या, डकैती, लूट और महिलाओं के साथ लगातार छेड़छाड़ की घटनाएं हो रही हैं।” सभापति ने कहा कि वह शून्य काल में इस मुद्दे को सुनेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘प्रश्न प्रहर भी विपक्ष का ही होता है। अगर आपको सरकार से अपने प्रश्नों के उत्तर नहीं चाहिए तो किसी को कोई आपत्ति नहीं है।’’ इसके बाद सपा के सदस्य हाथों में तख्ती लिए नारेबाजी करते हुए सदन के बीचोबीच आ गए। सभापति ने सपा सदस्यों से अपने-अपने स्थान पर जाने का आग्रह किया लेकिन हंगामा थमते ना देख उन्होंने सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी जिसके कारण प्रश्नकाल नहीं हो सका। अपराह्न 12 बजे सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई लेकिन सपा के सदस्य आसन के नजदीक पहुंच गये।
इस बीच, सभापति कुंवर मानवेंद्र सिंह सदन के पूर्व सदस्य सुभाष चंद्र महेश्वरी के निधन का शोक संदेश पढ़ने के लिये खड़े हुए तो सपा सदस्य अपने-अपने आसन पर चले गये। बाद में सदन के सदस्यों ने कुछ मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके फौरन बाद सपा के सदस्य एक बार फिर सदन के बीचोबीच आकर ‘महिला उत्पीड़न बंद करो’ के नारे लगाने लगे। सपा सदस्य मणिपुर की घटना पर ‘निंदा प्रस्ताव’ स्वीकार करने की मांग करते हुए नारेबाजी करते रहे। इस पर सभापति ने सदन की कार्यवाही आधे घंटे के लिये स्थगित कर दी। स्थगन अवधि के बाद सदन की कार्यवाही शुरू होने पर सपा के सदस्य फिर आसन के समीप आ गए और नारेबाजी शुरू कर दी। इस दौरान सभापति ने कार्यसूची में शामिल विधायी कार्य पूरे कराये। उसके बाद सदन की कार्यवाही मंगलवार पूर्वाह्न 11 बजे तक के लिये स्थगित कर दी।
अतीक-अशरफ को श्रद्धांजलि दी गयी
इसके अलावा, माफिया-नेता रहे अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को सोमवार को सदन के पूर्व सदस्य के तौर पर उत्तर प्रदेश विधानसभा में श्रद्धांजलि दी गई। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने प्रश्नकाल के बाद निधन के संदेश पढ़े। उन्होंने अतीक अहमद के भाई और वर्ष 2005 में इलाहाबाद पश्चिम सीट से समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक रहे खालिद अजीम उर्फ अशरफ के निधन का संदेश पढ़ते हुए कहा, ‘‘खालिद अजीम उर्फ अशरफ ने स्नातक तक शिक्षा ग्रहण की थी। वह वर्ष 2005 में इलाहाबाद पश्चिम सीट के लिए हुए उपचुनाव में सपा के विधायक चुने गए थे।’’ महाना ने अतीक अहमद को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, ‘‘अतीक अहमद का 15 अप्रैल 2023 को निधन हो गया। वह लगभग 61 वर्ष के थे। अतीक अहमद का जन्म 10 अगस्त 1962 को प्रयागराज में हुआ था। उन्होंने हाई स्कूल तक शिक्षा ग्रहण की थी। अतीक अहमद वर्ष 1989, 1991 और 1993 में निर्दलीय तथा 1996 में सपा और 2002 में अपना दल से इलाहाबाद पश्चिम से विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। वह विधानसभा की लोक लेखा समिति के सदस्य थे। वह वर्ष 2004 में लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए।’’ इनके अलावा सदन में अन्य पूर्व सदस्यों सत्तार अहमद अंसारी, अमर सिंह, प्रेम प्रकाश सिंह, सुजान सिंह बुंदेला, शारदा प्रसाद शुक्ला, हरिशंकर तिवारी, अवनीश कुमार सिंह, हरिद्वार दुबे और अबरार अहमद को भी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इसके बाद दिवंगत आत्मा की शांति के लिए सदन में कुछ मिनट का मौन रखा गया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बयान
दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को विधानमंडल का मानसून सत्र शुरू होने से पहले कहा कि सदन सभी विधायकों के लिये जनता की समस्याओं को सामने रखने का महत्वपूर्ण मंच है और सरकार सदन में हर सवाल का जवाब देने को तैयार है। मुख्यमंत्री ने विधानमंडल के मानसून सत्र में शिरकत करने से पहले संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि सत्र सभी सदस्यों के लिये अपने क्षेत्र की समस्याओं को विधायिका के महत्वपूर्ण मंच पर रखने का अवसर होता है। आदित्यनाथ ने कहा कि उनकी सरकार सदन में हर सवाल का जवाब देने को तैयार है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे पूरा विश्वास है कि सभी सदस्य आम जनता की भावनाओं को ध्यान में रखकर सदन को एक स्वस्थ चर्चा का केंद्र बनाएंगे। सदस्य अपनी बात प्रभावी ढंग से सदन में रखेंगे सरकार हर प्रश्न का जवाब देने को तैयार है।’’ उन्होंने कहा, ‘वर्तमान में प्रदेश में पश्चिम के कुछ जिलों में बाढ़ के प्रकोप से वहां की जनता प्रभावित हुई है, वहीं प्रदेश के 40 से अधिक जिले ऐसे हैं जहां सूखे की समस्या एक चुनौती के रूप में हमारे सामने है। अगर विधानसभा अध्यक्ष अनुमति देंगे और विपक्ष के विधायक इस पर सहमत होंगे तो सदन में हम बाढ़ और सूखे की समस्या और उसके समाधान के महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा करने को तैयार हैं।’

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