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उत्तर प्रदेश में जल्द भरे जायेंगे आयोगों, बोर्ड और निगमों के खाली पद

लखनऊ। एक आम चलन है कि जब देश या किसी प्रदेश में सरकार बदलती है तो तमाम आयोगों, बोर्ड और निगमों की रूपरेखा भी बदल जाती है। नई सरकार इन पदों पर अपने ‘लोगों’ को बैठाने के लिये पुरानी सरकार में इन पदों पर आसीन अध्यक्षों, चेयरमैन आदि को हटा और अपने लोगों को बैठाकर यह काम किया जाता है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने कभी इस ओर ध्यान नहीं दिया कि अन्य सियासी दलों की तरह वह भी सत्ता हासिल करने के बाद अपने कार्यकर्ताओं को ओबलाइज करने के लिये ऐसा कुछ करे। इससे बीजेपी के कार्यकर्ताओं में नाराजगी भी देखने को मिलती है, जिसका अब योगी सरकार पर असर देखने को मिलने लगा है। 
भाजपा में कार्यकर्ताओं की उपेक्षा को लेकर घमासान के बाद अब उम्मीद जगाई जा रही है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकारी आयोग, बोर्ड और निगमों में खाली पड़े पदों पर अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं की नियुक्ति को लेकर बड़ा कदम उठा सकते हैं। इसी कड़ी में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चैधरी और महामंत्री संगठन धर्मपाल ने क्षेत्रीय अध्यक्षों व क्षेत्र प्रभारियों के साथ बैठक भी की थी। इसमें गन्ना समितियों और नगर निकायों में पार्षदों के मनोनयन पर चर्चा की गई। 

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दरअसल, नगर निकायों में 2805 पार्षदों का मनोनयन होना है। तभी बैठक में निगमों, बोर्ड और आयोगों में समर्पित कार्यकर्ताओं को मौका देने की बात उठी। इस पर प्रदेश अध्यक्ष व महामंत्री संगठन ने भी सहमति जताते हुए क्षेत्रीय अध्यक्षों से नगर निकायों में पार्षदों के मनोनयन वाले रिक्त पदों के साथ ही इन पर मनोनीत होने वाले कार्यकर्ताओं के नाम भी प्रदेश कार्यालय को भेजने को कहा है। यह भी कहा गया है कि पार्षद के लिए मनोनीत होने वाले कार्यकर्ताओं का चयन करते समय यह ध्यान रखा जाए कि कोई ऐसा कार्यकर्ता न छूट जाए तो वास्तविक हकदार है। इसी प्रकार गन्ना समितियों के चुनाव के लिए भी तैयारियों पर चर्चा की गई है। दोनों प्रदेश पदाधिकारियों ने कहा कि गन्ना समितियों में भाजपा की रीढ़ माने जाने वाले काडर कार्यकर्ताओं को तरजीह दिया जाए। गन्ना समितियों के सभापति के नाम के चयन की जिम्मेदारी भी क्षेत्रीय अध्यक्षों को दी गई है।

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