संसद में मंगलवार को मणिपुर मुद्दे पर सरकार-विपक्ष के बीच गतिरोध देखने को मिला। इन सब के बीच वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने वर्तमान स्थिति और 2002 के गुजरात दंगों के बीच तुलना की। हिंसा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान की मांग के बीच मणिपुर, रमेश ने विपक्ष के रुख को सही ठहराने के लिए पिछली घटनाओं का हवाला दिया। इसको लेकर जयराम रमेश ने लंबा ट्वीट किया है। उन्होंने कहा कि जो मणिपुर मामले पर राज्यसभा में प्रधानमंत्री के बयान और उसके बाद चर्चा की INDIA की पार्टियों की मांग पर सवाल उठा रहे हैं, उन्हें याद करना चाहिए कि मई 2002 में इसी सदन में क्या हुआ था।
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घटनाक्रम की क्रोनोलॉजी समझाते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि 6 मई 2002 को राज्यसभा में कांग्रेस सांसद अर्जुन सिंह द्वारा चार दिन पहले पेश किए गए प्रस्ताव पर चर्चा हुई थी। यह सदन गुजरात में छह सप्ताह से अधिक समय तक जारी रही हिंसा पर गहरी पीड़ा व्यक्त करता है, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों की जान गई और करोड़ों की संपत्ति नष्ट हुई। सदन केंद्र सरकार से लोगों के जीवन और संपत्तियों की रक्षा के लिए एवं हिंसा के पीड़ितों के राहत और पुनर्वास के लिए संविधान के अनुच्छेद 355 के तहत प्रभावी ढंग से हस्तक्षेप करने का आग्रह करता है।
जयराम रमेश ने कहा कि उस दिन दोपहर 12:04 बजे नेता प्रतिपक्ष डॉ. मनमोहन सिंह ने प्रस्ताव पर अपनी बात रखी। दोपहर 12:26 बजे प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी प्रस्ताव पर बोले। दोपहर 12:56 बजे गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने प्रस्ताव पर अपनी बात रखी। दोपहर 1:35 बजे अर्जुन सिंह ने बहस का जवाब दिया। दोपहर 2:25 बजे सर्वसम्मति से प्रस्ताव को स्वीकार किया गया।
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संसद के मानसून सत्र में विपक्षी दलों का जबरदस्त तरीके से हंगामा जारी है। मणिपुर को लेकर यह हंगामा चल ही रहा था कि आज संसद में दिल्ली में अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग और तमाम अन्य नियमों को तय करने वाले दिल्ली अध्यादेश बिल को पेश कर दिया गया। इसके बाद से फिर से लोकसभा में गतिरोध बढ़ गया। वहीं, आज राज्यसभा में कुछ हद तक कामकाज हो सका है। हालांकि, सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तकरार कम होने का नाम नहीं ले रहा है। विपक्षी दलों का लोकसभा और राज्यसभा दोनों ही सदनों में मोदी सरकार के खिलाफ हंगामा और नारेबाजी जारी है। विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव पर लगातार चर्चा की मांग कर रहा है। इन सब के बीच आज खबर आई है कि 8 से 10 अगस्त के बीच से अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा हो सकती है। वहीं, 10 अगस्त को ही प्रधानमंत्री अविश्वास प्रस्ताव पर लोकसभा में जवाब देंगे।