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विहिप ने कहा कि तीर्थों को आस्था और विश्वास के अनुसार विकसित किया जाना चाहिए, पर्यटन केंद्रों के रूप में नहीं

झारखंड स्थित शाश्वत सिद्ध क्षेत्र पार्श्वनाथ पर्वत और तीर्थराज सम्मेद शिखर की पवित्रता की रक्षा के मद्देनजर जैन समाज की चिंता से सहमति जताते हुए विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने शनिवार को कहा कि भारत के सभी तीर्थ स्थलों का विकास पर्यटन केंद्रों के रूप में नहीं बल्कि श्रद्धा व आस्थानुरूप होना चाहिए।
विहिप के केंद्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने विज्ञप्ति जारी कर कहा, ‘‘शाश्वत सिद्ध क्षेत्र पार्श्वनाथ पर्वत और तीर्थराज सम्मेद शिखर की पवित्रता की रक्षार्थ जैन समाज की चिंता से विहिप सहमत है। विहिप भारत के सभी तीर्थ स्थलों की पवित्रता की रक्षा के लिए संकल्पबद्ध व प्रयासरत है। हमारा यह स्पष्ट मत है कि किसी भी तीर्थ स्थल को पर्यटन स्थल के रूप में परिवर्तित नहीं किया जाना चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि विहिप इस बात के निरंतर प्रयास कर रहा है कि प्रत्येक राज्य सरकार और केंद्र सरकार स्वतंत्र तीर्थाटन मंत्रालय बनाएं, जो अनुयायियों की श्रद्धा और आस्था के अनुरूप ही तीर्थ स्थलों का विकास करें। कुमार ने कहा, ‘‘विहिप केंद्र सरकार व झारखंड की राज्य सरकार से आग्रह करती है कि संपूर्ण सिद्ध क्षेत्र पार्श्वनाथ पर्वत को पवित्र क्षेत्र घोषित किया जाए। वहां ऐसी कोई गतिविधि न हो जिससे जैन आस्थाओं को आघात पहुंचे। इस तीर्थ क्षेत्र की सीमा में मांसाहार व नशाखोरी को किसी भी तरह अनुमति नहीं दी जा सकती।’’
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, झारखंड में अविलंब तीर्थाटन मंत्रालय की स्थापना की जाए जिससे सिद्ध क्षेत्र पार्श्वनाथ पर्वत के साथ-साथ वहां के सभी तीर्थ स्थलों का विकास अनुयायियों की श्रद्धा के अनुसार ही हो।

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