वर्षों बाद देश को ऐसे उपराष्ट्रपति मिले हैं जो सक्रिय रूप से लोकतंत्र को मजबूत करने और जनता को उसके दायित्वों का निवर्हन करते रहने के लिए प्रेरित तो कर ही रहे हैं साथ ही विदेश में बैठ कर भारत की आलोचना करने वाले कथित विशेषज्ञों और बुद्धिजीवियों को भी सटीक जवाब दे रहे हैं। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के कुछ हालिया संबोधनों पर गौर करें तो उन्होंने उन भारत विरोधियों को आड़े हाथ लेने में कोताही नहीं बरती है जो भारत में विभिन्न पदों पर रहे और जब उनके कार्यकाल समाप्त हो गये तो विदेश में बैठ कर अपने देश की आलोचना करने लगे। इसके अलावा उपराष्ट्रपति ने संसदीय प्रणाली को मजबूत बनाने तथा न्यायपालिका की और जवाबदेही तय करने की दिशा में भी आह्वान किये हैं।
उपराष्ट्रपति ने संसदीय व्यवधान के विरुद्ध जनमत तैयार करने के लिए जनांदोलन का आह्वान किया है। संसदीय व्यवधान पर ‘पीड़ा’ व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति ने लोगों खासकर युवाओं से ‘लोकतंत्र के मंदिर’ में ऐसे आचरण के विरुद्ध माहौल एवं जनमत तैयार करने के लिए जनांदोलन चालाने का आह्वान किया है जोकि समय की मांग भी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी अपील गैर दलीय है तथा उसका राजनीति में संबंधित पक्षों से नहीं, बल्कि राष्ट्र के कल्याण से संबंध है। धनखड़ ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ”मैं अपनी पीड़ा भी आपके सामने रखना चाहता हूं। डॉ. आंबेडकर की हमारे संविधान का मसौदा तैयार करने में अहम भूमिका थी, संविधान सभा में तीन सालों तक उस पर बहस हुई, चर्चा-परिचर्चा एवं संवाद हुआ। उनके सामने एक मुश्किल भरा काम था, कई विवादास्पद मुद्दे थे, भिन्न-भिन्न राय थी, साझी राय पर पहुंचा मुश्किल था।’’ उन्होंने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि इन सब बातों के बावजूद संविधान सभा में एक भी व्यवधान नहीं हुआ, कोई आसन के सामने नहीं आया, किसी ने नारेबाजी नहीं की, किसी ने तख्तियां नहीं दिखायीं।
उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘जिन्होंने हमें संविधान दिया, उनके द्वारा देशहित में जब इतना बड़ा काम किया जा सकता तो फिर, इस बात में क्या कठिनाई है कि हम उन जैसा आचरण नहीं कर पाते हैं। हमें ऐसा करना चाहिए।’’ धनखड़ ने कहा कि राज्यसभा के सभापति के तौर पर वह जो कुछ देखते हैं, वह सभी के लिए चिंता का विषय है क्योंकि राज्य सभा के सत्र के हर मिनट पर करोड़ों रुपये का सरकारी धन व्यय होता है। उन्होंने कहा, ”राज्यसभा सरकार, कार्यपालिका को जवाबदेह ठहराने का मंच है लेकिन वहां व्यवधान होता है, सबसे अधिक चिंता की जो बात है, वह यह है कि आपको उसकी कोई परवाह नहीं है।’’
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जनांदोलन को जरूरी बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, ”राज्यसभा और संसद में हम यह सुनिश्चित करते हैं कि देश का भविष्य सही मार्ग पर हो, इसके लिए हमें अपने आचरण से ऐसी मिसाल कायम करनी होगी जिसे सभी अपने व्यवहार में उतार सके। हम नहीं चाहते हैं हमारे लड़के-लड़कियां व्यवधान की नकल करें, शोर-शराबे को एवं तख्तियां दिखाने को सही ठहरायें।’’ उन्होंने कहा, ”इसलिए, आपसे मेरी अपील है कि माहौल एवं जनमत तैयार कीजिए, उपलब्ध हर साधन का इस्तेमाल कीजिए, ताकि हम अपने सांसदों से मनुहार कर सकें कि लोकतंत्र के मंदिर में हमारा आचरण हमें गौरवान्वित करे, जो देश के विकास के लिए जरूरी है।’’
सांसदों के लिए सलाह
इसके अलावा, विधायी बहस की खराब गुणवत्ता को लेकर नाराजगी व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का कहना है कि सांसदों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का इस्तेमाल जिम्मेदारी के साथ करने की जरूरत है, क्योंकि संसद को ‘‘अखाड़ा’’ नहीं बनने दिया जा सकता। उन्होंने कहा है कि संविधान ने सांसदों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी है लेकिन यह एक जिम्मेदारी के साथ आती है। उन्होंने कहा कि सांसदों को विशेषाधिकार प्राप्त है, क्योंकि संसद में कही गई किसी भी बात के लिए उनके खिलाफ अदालत में कोई मामला दायर नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा, ‘‘यह विशेषाधिकार बहुत बड़ी जिम्मेदारी के साथ आता है। जिम्मेदारी यह है कि संसद में बोलने वाले प्रत्येक व्यक्ति को उचित विचार के बाद ऐसा करना चाहिए। यह अस्पष्ट स्थितियों पर आधारित नहीं हो सकता।’’ धनखड़ ने कहा है कि संसद को लड़ाई का मैदान (अखाड़ा) नहीं बनने दिया जा सकता जहां सूचनाओं का खुला प्रसार हो। उन्होंने कहा कि सांसद जो भी कहें, उन्हें उसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। उन्होंने सांसदों से आत्ममंथन करने का आग्रह करते हुए कहा कि संसद चर्चा के लिए होती है, इसके बजाय इसे लगातार बाधित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस आचरण को लेकर कई लोगों ने नाराजगी व्यक्त की है।
भारत की आलोचना करने वालों पर पलटवार
इसके अलावा, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा है कि आरबीआई जैसे संस्थानों में प्रमुख पदों पर थोड़े समय के लिए काम कर चुके कुछ विदेशी विशेषज्ञों की भारत के बारे में की गई टिप्पणियों पर ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए। धनखड़ ने कहा कि भारत आज अपनी कोशिशों के बल पर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद कुछ लोग भारत के आर्थिक उदय के बारे में ‘गलत धारणा’ फैला रहे हैं। धनखड़ ने कहा, ‘हम किसी को भी इस देश के पसीने से मिली उपलब्धियों को कम करने, कलंकित करने और अपमानित करने की अनुमति नहीं दे सकते।’ आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन की एक टिप्पणी के संदर्भ में उन्होंने कहा, ‘कुछ लोग आरबीआई जैसे संस्थानों में प्रमुख पदों पर यहां आते हैं और यहां काम करते हैं। वे विदेश से आए और पद संभाला। जब कार्यकाल खत्म हो गया और नवीकरण नहीं किया गया, तो वे चले गए। इसके बाद वह कहते हैं कि ‘भारत भोजन संकट का सामना कर सकता है’।’ उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को पता नहीं होगा कि सरकार 2020 से 80 करोड़ गरीबों को मुफ्त अनाज दे रही है।
इसके अलावा, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ ‘विमर्श तय करने’ और उनकी आलोचना करने वाले हंगरी-अमेरिकी व्यवसायी जॉर्ज सोरोस पर निशाना साधते हुए कहा था कि जो उलट राजनीति करते हैं, उनसे मुकाबला करने व उन्हें बेअसर करने की आवश्यकता है। उपराष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री का परोक्ष रूप से जिक्र करते हुए कहा, ‘‘दो दशकों तक, मुद्दे पर न्यायिक दायरे में विचार-विमर्श किया गया, सभी स्तरों पर गहन जांच की गई। देश की सबसे बड़ी अदालत ने आखिरकार 2022 में सभी मोर्चों पर फैसला सुनाया, और हमारे यहां एक डॉक्यूमेंट्री के जरिए एक विमर्श तय किया जा रहा है। कुछ लोग कहते हैं कि यह अभिव्यक्ति है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘तो क्या आप अभिव्यक्ति के नाम पर उच्चतम न्यायालय को नीचा दिखा सकते हैं, क्या आप दो दशक की गहन जांच को नीचा दिखा सकते हैं? यह दूसरी तरह से राजनीति हो रही है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब लोग दूसरी तरह से राजनीति करना चुनते हैं, तो यहां और बाहर के युवा बौद्धिक रूप से उन्हें चुनौती देने के लिए तैयार होते हैं।’’ किसी का नाम लिए बिना उन्होंने कहा, ‘‘एक सज्जन हैं कहीं..जो धन बल का इस्तेमाल कर रहे हैं, उनके कुछ समर्थक, कुछ लाभार्थी हैं, उनके धन पर जीने वाले कुछ परजीवी हैं और वे हमारे देश के लोकतंत्र के बारे में बात करते हैं।’’ धनखड़ ने कहा, ‘‘जो लोग उलट राजनीति करते हैं, उनका मुकाबला करने, उन्हें बेअसर करने की जरूरत है और उन्हें आपके तर्कसंगत सवालों का सामना करना चाहिए।’’
भारत के भविष्य के प्रति आशान्वित
यही नहीं, उपराष्ट्रपति लोगों को भारत के उज्ज्वल भविष्य का विश्वास दिलाते हुए तथ्य और तर्क भी प्रस्तुत करते हैं। उनका कहना है कि कृषि और कृषि आधारित उद्योगों के कारण भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था का उदीयमान सितारा है और देश का विकास रूकने वाला नहीं है। धनखड़ ने हाल ही में कहा, ”सितंबर 2022 में भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना। यह आसानी से नहीं हुआ।’’ उन्होंने कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का मेरूदंड है और मुख्य रूप से कृषि एवं कृषि आधारित उद्योगों के कारण भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था का उदीयमान सितारा है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज जिस भारत को सभी लोग देख रहे हैं, वह शानदार है। उन्होंने कहा, ”भारत का विकास रूकने वाला नहीं है। हम अवसरों और निवेश का सबसे प्रमुख स्थल हैं।’’ उन्होंने कहा कि ऐसा माहौल विकसित किया गया है जहां प्रतिभा और निवेश को आकर्षित करने के लिये अनुकूल नीतियां हैं। धनखड़ ने कहा कि यह देश दुनिया का पेट भर सकता है और इस दशक के अंत तक भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा।