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ग्राम प्रधान के बेटे ने कैसे ‘न मथुरा न काशी अवधेश पासी’ का नारा देने वाली SP की साईकिल की पंचर, जितने वोट से पिता ने जीती सांसदी, उससे कहीं ज्यादा मतों से हारे बेटे अजीत

लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिल पाया और इसकी एक वजह उत्तर प्रदेश रहा जहां समाजवादी पार्टी ने उसके रथ को रोक दिया। इसके साथ ही राम मंदिर के उद्घाटन के बावजूद बीजेपी को अयोध्या की फैजाबाद सीट भी गंवानी पड़ी। जिसके बाद से ही इस सीट से जीते सपा सांसद अखिलेश के पोस्टर ब्वॉय़ बन बैठे। समाजवादी पार्टी ने इससे जुड़ा एक नारा नारे ना मथुरा, ना काशी, अबकी बार अवधेश पासी भी दिया। अयोध्या के भव्य और दिव्य राम मंदिर उद्धाटन के ठीक बाद इस सीट पर लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के हाथों बीजेपी को मिली शिकस्त भगवा पार्टी के लिए चुभने वाली थी। लेकिन इसी लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले मिल्कीपुर विधानसभा के लिए हुए उपचुनाव देश के हाई प्रोफाइल बाई इलेक्शन में से एक रहा है। मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के चंद्रभानु पासवान ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी और समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रत्याशी अजीत प्रसाद को 61,710 मतों के अंतर से हराया। निर्वाचन आयोग के अनुसार, पासवान को 1,46,397 वोट मिले जबकि प्रसाद को 84,687 मत प्राप्त हुए। आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के संतोष कुमार 5,459 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे। साल 2024 के लोकसभा चुनाव में अवधेश प्रसाज ने हिंदुत्व की सबसे बड़ी प्रयोगशाला अयोध्या की फ़ैजाबाद सीट से बीजेपी के लल्लू सिंह 54567 मतों से हराकर विपक्ष को सबसे बड़ी ख़ुशी दी थी। अब मिल्कीपुर उपचुनाव में बीजेपी ने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी और अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को 60 हजार से अधिक वोटों से हराकर सूद समेत हिसाब बराबर किया है। 

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अवधेश के लोकसभा जाने पर खाली हुई थी सीट
पिछले वर्ष लोकसभा चुनाव में अवधेश प्रसाद के फैजाबाद सीट से निर्वाचित होने के बाद मिल्कीपुर विधानसभा सीट रिक्त हुई है, जिस कारण उपचुनाव कराया गया। सपा ने उनके बेटे अजीत प्रसाद को उपचुनाव में उतारा था जबकि भाजपा ने पार्टी कार्यकर्ता पासवान को चुना था, दोनों पासी समुदाय से हैं। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने उपचुनाव नहीं लड़ा जबकि कांग्रेस इस सीट पर गठबंधन सहयोगी सपा का समर्थन कर रही थी।  उत्तर प्रदेश के मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र के लिए 5 फरवरी को हुए उपचुनाव में कुल 3.71 लाख मतदाताओं में से 65 प्रतिशत से अधिक ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था, जो 2022 के विधानसभा चुनाव से अधिक है। मिल्कीपुर उपचुनाव सपा और भाजपा के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गया है क्योंकि यह सीट राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण अयोध्या जिले का हिस्सा है। इस सीट पर कुल 10 उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरे, लेकिन मुख्य मुकाबला अजीत प्रसाद और चंद्रभानु पासवान के बीच माना जा रहा। 

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ग्राम प्रधान के बेटे कैसे बने टिकट के बड़े दावेदार
पेश से वकील चंद्रभानु पासवान अयोध्या के रुदौली से दो बार जिला पंचायत के सदस्य रहे हैं। वर्तमान में उनकी पत्नी जिला पंचायत सदस्य हैं। चंद्रभानु बीजेपी की जिला इकाई में कार्य समिति के भी सदस्य हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में वो अनुसूचित जाति संपर्क प्रमुख रहे। वहीं उनके पिता बाबा रामलखन दास ग्राम प्रधान हैं। चंद्रभान गत 2 वर्षों से मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर एक्टिव थे। इसीलिए मिल्कीपुर उपचुनाव में प्रमुख दावेदारों में भी शामिल थे। इस सीट पर सीएम योगी आदित्यनाथ समेत कई मंत्रियों ने जमकर चुनाव प्रचार किया था. वहीं, सपा ने भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी। अखिलेश यादव, डिंपल यादव समेत कई तमाम बड़े नेताओं ने अजीत प्रसाद के समर्थन में रैली और जनसभाएं की थीं। 

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