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विशाल भारद्वाज ने गीतकार के रूप में करियर में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया : गुलजार

प्रख्यात कवि-गीतकार एवं फिल्मकार गुलजार का कहना है कि यदि फिल्मकार एवं संगीतकार विशाल भारद्वाज उन्हें प्रेरित नहीं करते तो वह अपने कॅरियर में संन्यास लेने के बाद शायद गुमनामी में खो गए होते।
गुलजार ने कहा कि विशाल भारद्वाज ने उन्हें एक गीतकार के रूप में अपना कॅरियर जारी रखने के लिए प्रेरित किया।
गुलजार और विशाल भारद्वाज 1990 के दशक से साथ में काम कर रहे हैं और दोनों ने पहली बार हिंदी में डब की गयी टेलीविजन सीरीज द जंगल बुक के थीम गीत जंगल जंगल बात चली है पर एक साथ काम किया था।
इसके बाद दोनों ने गुलजार के निर्देशन में बनी माचिस फिल्म में साथ किया। गुलजार ने भारद्वाज के निर्देशन में बनी मकबूल , ओमकारा और हैदर जैसी फिल्मों के गीत लिखे हैं।

गुलजार ने यहां मंगलवार रात को गुलजार साब: हजार राहें मुड़ के देखें… नामक पुस्तक के विमोचन के अवसर पर संवाददाताओं से कहा, ‘‘ पंचम दा (दिवंगत संगीतकार आर डी बर्मन) के साथ मेरा लंबे समय तक जुड़ाव रहा है। मैं शायद फीका पड़ गया था, लेकिन एक युवा कवि, गायक, संगीतकार ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे कॅरियर में अपने साथ आगे ले गए, वह हैं विशाल।’’
दिग्गज गीतकार ने कहा, ‘‘विशाल की वजह से ही मैं लेखन के मामले में युवा हूं। मैं अपने गानों से जवान हो गया हूं। उदाहरण के लिए, मैं एक गाने में कुछ चीजें लिखता हूं, जो असहज कर सकती हैं।’’
उन्होंने इसके लिए अपने मशहूर गीत बीड़ी जलइले (विशाल भारद्वाज की 2010 की फिल्म ओमकारा का एक गाना) का उदाहरण दिया।

गुलजार साब: हजार राहें मुड़ के देखें… पुस्तक राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता यतींद्र मिश्रा द्वारा लिखी गई है और वाणी प्रकाशन समूह ने इसे प्रकाशित किया है।
गुलजार (89) ने कहा, ‘‘मैं सीखने के लिए तैयार हूं और इंसान को सीखते रहना चाहिए। अगर मैं बड़ा हो गया तो सीखना बंद कर दूंगा। कोई भी व्यक्ति जीवन में अकेले कुछ भी हासिल नहीं कर सकता। ये सभी रचनात्मक लोग कह रहे हैं कि मैंने उन्हें प्रेरित किया है, लेकिन सच्चाई यह है कि यह एकतरफा रास्ता नहीं है। मुझे भी दूसरों से प्रेरणा मिल रही होगी, इन लोगों से भी। मैं सबसे ज्यादा सीखा हुआ नहीं हूं और ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने मुझसे ज्यादा सीखा है, इसलिए मैं उनसे प्रेरणा लेता हूं। ’’
विशाल भारद्वाज ने कहा कि गुलजार के साथ काम करना उनका सपना था और उनके साथ लंबे समय तक जुड़ाव पाकर वह खुद को भाग्यशाली मानते हैं।

इस कार्यक्रम में अभिनेत्री-भाजपा सांसद हेमा मालिनी मुख्य अतिथि थीं। कार्यक्रम में विशाल भारद्वाज, उनकी पत्नी गायिका रेखा भारद्वाज और केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के प्रमुख और गीतकार प्रसून जोशी भी शामिल हुए।
गुलजार ने हेमा मालिनी के साथ बनीं तीन फिल्मों का निर्देशन किया है जिनमें ‘किनारा’ (1977), ‘खुशबू’ (1975) और ‘मीरा’ (1979) हैं। गुलजार और हेमा मालिनी ने सबसे पहले रमेश सिप्पी की 1971 में आई फिल्म ‘अंदाज’ में साथ में काम किया था।
किताब में मिश्रा ने खुलासा किया है कि गुलजार ने ‘देवदास’ नाम से एक फिल्म के निर्देशन की योजना बनाई थी जिसमें हेमा मालिनी, धर्मेंद्र और शर्मिला टैगोर से अभिनय कराने के बारे में सोचा गया।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन फिल्म अधूरी रही। इस तरह हेमाजी ने गुलजार साहब निर्देशित साढ़े चार फिल्मों में काम किया है।

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