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दिल से निकली आवाज, आरएसएस को विदाई भाषण में धन्यवाद देने पर बोले रिटायर्ड जज चितरंजन दास

अपने विदाई भाषण में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को धन्यवाद देने के लिए सुर्खियों में आए सेवानिवृत्त न्यायाधीश चित्तरंजन दास ने कहा कि जिस दिन वह सेवानिवृत्त हो रहे थे, उस दिन उन्होंने दक्षिणपंथी संस्था के साथ अपने जुड़ाव का जिक्र नहीं किया होता तो यह पाखंड होता। दरअसल, मैंने अपनी विदाई पार्टी में जो कहा वह तात्कालिक था। मैंने उन लोगों को धन्यवाद दिया जो मेरे जीवन में मायने रखते हैं। आरएसएस, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अनायास मेरे दिमाग में आया और मैंने इसके बारे में बात की। भगवान ने मुझे आरएसएस पर बोलने के लिए प्रेरित किया है। आरएसएस है मेरी जड़ लेकिन मैं 37 साल पहले इससे अलग हो गया हूं, बिना किसी आधार के, यह बुधवार को मेरे दिल से निकला।

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जस्टिस कृष्णा अय्यर का उदाहरण देते हुए दास ने कहा कि अय्यर के वामपंथियों से जुड़ाव का उनके फैसलों पर कोई असर नहीं पड़ा। सेवानिवृत्त न्यायाधीश ने कहा कि आपने जस्टिस कृष्णा अय्यर के बारे में सुना होगा। वह एक कम्युनिस्ट पार्टी के कैडर थे। क्या वह कम्युनिस्ट दर्शन से प्रभावित होकर न्याय दे रहे थे? मैंने उनके बराबर किसी को नहीं देखा। वह अपने आप में एक संस्था थे।

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न्यायमूर्ति चित्तरंजन दास ने कहा कि उन्होंने आरएसएस से कई अच्छे गुण सीखे हैं और इन दावों को खारिज कर दिया कि आरएसएस बच्चों के दिमाग को प्रभावित करता है। आरएसएस ने मुझे कई अच्छे गुण सिखाये हैं। आरएसएस आपके दिमाग को प्रेरित नहीं करता है। जो बच्चे आरएसएस की शाखाओं में जाते हैं उन्हें अपने व्यक्तित्व को समृद्ध बनाना सिखाया जाता है ताकि वे अपने जीवन में आगे चलकर चरित्रवान बनें और स्वतंत्र दिमाग से काम करें। 

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