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धनबाद (झारखंड) । झारखंड के धनबाद जिले के माओवाद प्रभावित टुंडी प्रखंड में जिन लोगों ने मताधिकार का इस्तेमाल किया, उनमें देवयंती देवी माझिया (55) भी शामिल हैं और 1984 के बाद यह पहला मौका है जब माओवादियों ने क्षेत्र में चुनाव बहिष्कार का आह्वान नहीं किया था। धनबाद की उपायुक्त (डीसी) माधवी मिश्रा ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि गिरिडीह लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले टुंडी के लोगों में मतदान को लेकर काफी उत्साह देखा गया। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में शांतिपूर्ण मतदान हुआ और अपराह्न तीन बजे तक टुंडी प्रखंड में 56.77 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। एक अधिकारी ने कहा कि माओवादी 1984 से स्कूल भवनों और घरों की दीवारों पर पोस्टर लगाकर लोगों से वोट न डालने के लिए कहते रहे हैं।
उन्होंने कहा कि माओवादियों ने 2019 के लोकसभा चुनावों का भी बहिष्कार करने को कहा था। हालांकि, इस बार चार दशकों में पहली बार क्षेत्र में चुनाव के बहिष्कार की अपील नहीं की गई। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘राज्य में माओवादियों का आधार क्षेत्र सिकुड़ गया है और वे अब केवल कुछ इलाकों तक ही सीमित रह गए हैं। ‘लाल गलियारा’ में उच्च मतदान के पीछे यह भी एक कारण है।’’ अधिकारी ने दावा किया कि धनबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एचपी जनार्दन और उनकी टीम के संवेदनशील मतदान केंद्रों के लगातार दौरे के कारण भी मतदाताओं में अपने मताधिकार का स्वतंत्र रूप से इस्तेमाल करने का विश्वास बढ़ा है।
जिला प्रशासन ने प्रखंड के 85 बूथों में से 34 को नक्सल-प्रभावित घोषित किया है। मतदाताओं में से एक दिनेश महथा ने कहा कि कई वर्षों के बाद मतदान केंद्रों पर लंबी कतारें देखी गईं, खासकर महिलाओं की। मनियाडीह निवासी धनेश्वर सिंह ने कहा कि क्षेत्र में माओवादी विद्रोहियों का अब कोई डर नहीं है। माओवादियों ने सिंह के छोटे भाई को 1984 में लेवी देने से इनकार करने पर मार डाला था। टुंडी के एक स्कूल शिक्षक सुनील चौधरी ने दावा किया कि क्षेत्र से माओवादियों का पूरी तरह सफाया हो गया है।