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उपराज्यपाल का आरोप, दिल्ली में जलभराव ‘वार्षिक परंपरा’ बनी; आम आदमी पार्टी सरकार ने किया पलटवार

दिल्ली में गत सप्ताहांत भारी बारिश के कारण जगह जगह जलभराव होने के बाद उपराज्यपाल और सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।
उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने कहा कि नालों की उचित तरीके से सफाई नहीं किए जाने के कारण शहर को जलभराव की ‘‘वार्षिक परंपरा’’ का सामना करना पड़ा। आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
दिल्ली के जल मंत्री सौरभ भारद्वाज ने उपराज्यपाल की आलोचना करते हुए कहा कि वह ‘आप’ नीत सरकार पर दोष मढ़ रहे हैं, जबकि उन्होंने (उपराज्यपाल ने) पूर्व में दावा किया था कि नालों से गाद निकाली गयी है और यमुना को साफ कर दिया गया है।
यमुना बाजार इलाके में यमुना नदी में जलस्तर बढ़ने की स्थिति का जायजा लेते हुए सक्सेना ने कहा कि अप्रत्याशित बारिश से निपटने के लिए पहले ही तैयारी की जानी चाहिए थी।
सक्सेना ने कहा, ‘‘दिल्ली के लोग जलभराव से परेशान हैं, जो एक वार्षिक परंपरा बन गयी है।

नालों की उचित तरीके से सफाई और जल संचयन नहीं किया जा रहा है। वर्षों से ऐसा नहीं किया गया है, जिसके कारण हर साल जलभराव हो रहा है।’’
उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘‘यमुना और नजफगढ़ नाले से गाद नियमित रूप से निकाली जानी चाहिए, ताकि उनकी पानी के संग्रहण की क्षमता बढ़ सके। ऐसा नहीं किया गया, इसलिए दिल्ली में जलजमाव हुआ।’’
उपराज्यपाल ने यह भी कहा कि दिल्ली की आबादी 2014 के बाद से 50 लाख तक बढ़ गयी है, लेकिन उसके अनुरूप सीवर लाइन और पानी की निकासी के लिए योजना नहीं बनायी गयी, जिसकी वजह से बारिश के बाद शहर में जलभराव की समस्या उत्पन्न हो गई।
उन्होंने कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है और मैं यह सुनिश्चित करने का प्रयास करूंगा कि इस पर ध्यान दिया जाए, ताकि लोग हर साल उनके सामने आने वाली इन समस्याओं से मुक्त हो सकें।’’
सक्सेना ने पिछले सप्ताह जलभराव के कारण बंद की गई प्रगति मैदान टनल, मिंटो ब्रिज और जखीरा अंडरपास का भी निरीक्षण किया और संबंधित एजेंसियों को खामियों को दूर करने का निर्देश दिया।

राजनिवास के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘प्रगति मैदान में पानी के वापस बहने की समस्या थी, जबकि मिंटो ब्रिज अंडरपास में एक सीवर लाइन टूटी हुई पाई गई। इसी तरह की समस्या जखीरा अंडरपास में भी थी और उपराज्यपाल ने अधिकारियों को इसे तुरंत ठीक करने का निर्देश दिया।’’
अधिकारियों ने बताया कि दौरे के बाद, सक्सेना ने जलजमाव की गंभीर स्थिति की समीक्षा करने और इससे निजात पाने के लिए व्यावहारिक समाधान को लेकर लोक निर्माण विभाग, नयी दिल्ली नगर पालिका परिषद, दिल्ली नगर निगम, दिल्ली जल बोर्ड, सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग और रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की।
उन्होंने बताया कि सक्सेना ने प्रगति मैदान सुरंग में जलभराव की समीक्षा के लिए भारत व्यापार संवर्धन संगठन (आईटीपीओ) के अध्यक्ष और दिल्ली के मुख्य सचिव के साथ एक और बैठक की तथा उन इंजीनियरिंग खामियों को ठीक करने के निर्देश जारी किए जिनके कारण जलभराव हुआ।

मंत्री भारद्वाज ने सिलसिलेवार ट्वीट कर उपराज्यपाल (एलजी) की आलोचना करते हुए कहा कि उन्हें ऐसे वक्त में ‘‘ओछी राजनीति’’ नहीं करनी चाहिए, जब लोग राहत की उम्मीद कर रहे हैं।
उन्होंने पूछा, ‘‘क्या एलजी साहब ने यह दावा नहीं किया था कि उन्होंने सभी नालों से गाद निकलवाई और यमुना साफ करायी? क्या वह अपने कई दौरों पर मीडिया को साथ नहीं ले गए थे? अब क्या हुआ? अब वह बेशर्मी से दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं?’’
भारद्वाज दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के अध्यक्ष भी हैं, जो यमुना नदी की सफाई के लिए जिम्मेदार है।
उन्होंने कहा, ‘‘एलजी साहब ने पिछले एक साल से डीजेबी को धन नहीं दिया है। वित्तीय समस्याएं खड़ी करने वाले अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी। एलजी और केंद्र सरकार लगातार दिल्ली सरकार के काम में रोड़े अटका रहे हैं। उन्होंने माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेशों को भी मानने से इनकार कर दिया है। कृपया दिल्ली सरकार को काम करने दीजिए और अपनी ओछी राजनीति बंद कीजिए।’’

एक अन्य ट्वीट में भारद्वाज ने आरोप लगाया कि उपराज्यपाल दिल्ली की निर्वाचित सरकार के कामकाज में ‘‘हस्तक्षेप’’ करते रहते हैं और इसके बजाय उन्हें कानून एवं व्यवस्था की स्थिति पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जो उनका मुख्य काम है।
बाद में एक संवाददाता सम्मेलन में भारद्वाज ने दावा किया, ‘‘एलजी ने गलती से अपने ही दावों का पर्दाफाश कर दिया और साबित कर दिया कि वह दिल्ली के नालों को साफ कराने का झूठा श्रेय ले रहे थे।’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘पिछले छह महीनों में उपराज्यपाल ने नजफगढ़ नाला, शाहदरा नाला और यमुना की सफाई का श्रेय लिया… अब वह इन नालों से गाद न निकालने का हवाला देकर जलभराव के लिए दिल्ली सरकार को दोषी ठहरा रहे हैं।’’
भारद्वाज ने यह भी आरोप लगाया कि उपराज्यपाल के ‘‘चहेते अधिकारियों’’ ने दिल्ली सरकार के काम में रोड़े अटकाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

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