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Vanakkam Poorvoattar: क्या 2 Meitei बंधकों को छुड़ाने के लिए 11 Kukis को Manipur की जेल से छोड़ा गया?

पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में शांति को बहाल करने के लिए सरकार और प्रशासन लगातार प्रयास कर रहे हैं लेकिन कुछ संगठनों का आपसी संघर्ष इन प्रयासों पर पानी फेरता रहता है। हम आपको बता दें कि ताजा खबर यह है कि राज्य के कांगपोकपी जिले में हथियारबंद लोगों द्वारा बंधक बनाए गए दो युवकों को अपहरण के एक सप्ताह बाद बृहस्पतिवार की सुबह मुक्त कराया गया और पुलिस को सौंप दिया गया। एक अधिकारी ने बताया कि ओइनम थोइथोई सिंह और थोइथोइबा सिंह को सुबह करीब पांच बजे गमगीफाई नाका पर कांगपोकपी के पुलिस अधीक्षक को सौंप दिया गया। पुलिस ने बताया कि राज्य पुलिस और असम राइफल्स की सुरक्षा में दोनों सुरक्षित इंफाल पहुंचे।
पुलिस के अनुसार, 27 सितंबर को ये दोनों एक अन्य युवक एन. जॉनसन सिंह के साथ इंफाल वेस्ट जिले के न्यू कीथेलमानबी में केंद्रीय बलों में भर्ती के लिए कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) की जीडी भर्ती परीक्षा देने गए थे, लेकिन कांगपोकपी जिले में ये लोग रास्ता भटक गए। उसी दौरान तीनों का अपहरण कर लिया गया। जॉनसन को सेना ने बचा लिया और पुलिस को सौंप दिया गया, जबकि दोनों युवक हथियारबंद लोगों की कैद में रहे। अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकार ने केंद्र की सहायता से दोनों युवकों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए बातचीत की थी। एक अधिकारी ने बताया कि पुलिस महानिदेशक ने उनकी रिहाई सुनिश्चित करने के लिए दो बार कांगपोकपी जिले का दौरा किया था।

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मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘27 सितंबर को कांगपोकपी में अपहृत दो युवकों को सुरक्षित मुक्त करा लिया गया है।’’ मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मैं राज्य और केंद्र सरकार के उन सभी लोगों की दिल से सराहना करता हूं जिन्होंने उनकी सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए अथक प्रयास किया। आपके प्रयास बहुत सराहनीय हैं।’’
हम आपको यह भी बता दें कि इस तरह की रिपोर्टें हैं कि इन दोनों युवकों को 11 कुकियों की रिहाई के बदले छोड़ा गया है। बताया जा रहा है कि इंफाल की साजिवा सेंट्रल जेल से 11 कुकी-जो कैदियों को अदालत से जमानत मिलने के बाद कांगपोकपी जिले में भेज दिया गया। एक अधिकारी ने कहा, ‘‘कैदियों को मादक पदार्थ से संबंधित आरोपों सहित विभिन्न अपराधों के लिए जेल में रखा गया था, जिन्हें हाल ही में एक स्थानीय अदालत ने जमानत दे दी थी।’’ उन्होंने कहा कि राज्य के मौजूदा हालात की वजह से उनकी रिहाई में देरी हुई। हालांकि, अधिकारी ने कहा कि कैदियों को जेल से रिहा किया जाना और दो मैइती युवकों को बंधनमुक्त किए जाने का कोई लेना-देना नहीं है।
हालांकि, कांगपोकपी जिले में जनजातीय एकता समिति (सीओटीयू) ने दावा किया कि युवाओं की रिहाई के लिए वार्ता में 11 कैदियों की रिहाई एक प्रमुख मांग थी। सीओटीयू के एक प्रतिनिधि ने एक वीडियो संदेश में कहा, ‘‘इंफाल घाटी के तीन लोगों को हमारे गांव के कार्यकर्ताओं ने हिरासत में लिया था। हमारे हस्तक्षेप के बाद, हम एक युवक को तुरंत रिहा करने में कामयाब रहे। अन्य दो के लिए, हमारे स्वयंसेवकों ने कुछ शर्तें लगाईं। 29 सितंबर को डीजीपी के साथ हमारी पहली चर्चा सफल नहीं हुई।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारी शुरुआती मांगों में सभी कुकी-जो कैदियों को सजीवा सेंट्रल जेल से चुराचांदपुर स्थानांतरित करना और एक पुलिस स्टेशन की स्थापना करना शामिल था। हमने केंद्र से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया और उनकी सहायता से हम एक सौहार्दपूर्ण समाधान पर पहुंचे। युवाओं को रिहा कर दिया गया और हमारे समझौते के अनुसार, 11 कैदियों को अब सपरमेना में चर्च परिसर में ले जाया गया है।’’
उधर, मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने पहले स्वीकार किया कि अपहर्ताओं ने अपनी मांग रखी थी। उन्होंने 30 सितंबर को कहा था, ‘‘कुछ कैदियों के स्थानांतरण के संबंध में कुछ मांगें रहीं हैं, लेकिन सरकार बिना शर्त युवाओं को रिहा करने की दिशा में काम कर रही है।”

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