हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने गुरुवार को उच्च न्यायालय के नेतृत्व में न्यायिक जांच की मांग की, जिसे उन्होंने “नूंह हिंसा को रोकने में भाजपा-जेजेपी सरकार की विफलता” बताया। हुड्डा ने यह भी कहा कि मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली “नॉन-परफॉर्मिंग सरकार को पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।” कांग्रेस ने आज कहा कि नूंह में दंगा, जो कि गुरुग्राम और अन्य जिलों तक फैल गया और एक औद्योगिक शहर की छवि को नुकसान पहुंचा रहा है, जहां शीर्ष बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कार्यालय हैं, “भाजपा की ध्रुवीकरण की रणनीति” का हिस्सा था। हुड्डा ने कहा कि विभाजन दंगों के चरम पर भी नूंह में सांप्रदायिक हिंसा नहीं देखी गई।
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पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर सही समय पर सही कदम उठाए गए होते तो इस घटना को टाला जा सकता था। उन्होंने कहा कि जब दंगा भड़कता है तो किसी पक्ष को फायदा नहीं होता बल्कि जनता को बहुत नुकसान होता है, नुकसान राज्य और देश का होता है। उन्होंने कहा कि गुरूग्राम और फ़रीदाबाद औद्योगिक शहर हैं, और गुरूग्राम में कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कार्यालय हैं। स्कूल और कॉलेज बंद हैं और इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कार्यालय बंद हैं। तो, कौन भुगतेगा? देश और राज्य। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि हरियाणा के नूंह में जो हुआ, वह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है। वहां के पुलिस अफसर का कहना था कि उसने घटना की जानकारी सरकार को पहले ही दे दी थी, लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया। अगर समय रहते सरकार ने सही फैसला किया होता तो यह हादसा टाला जा सकता था।
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हुड्डा ने कहा कि हरियाणा हिंसा पर मुख्यमंत्री कहते हैं कि ये सोची, समझी साजिश थी। BJP के मंत्री कहते हैं कि यात्रा में उनके पास हथियार और डंडे कैसे आए? ये सभी विवादित बयान हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा की BJP सरकार प्रशासनिक तौर पर पूरी तरह से फेल हो गई है। अगर पुलिस को सही निर्देश दिए जाते तो ये हादसा नहीं होता। वहीं, भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) ने हरियाणा में सांप्रदायिक हिंसा में कांग्रेस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि दो समुदायों के बीच हुई झड़पें ‘एक बड़ी साजिश का हिस्सा’ हैं और जांच के दौरान सच्चाई सामने आ जाएगी।