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Prabhasakshi Exclusive: भारत की अफगानिस्तान नीति क्या है? क्या यह नीति सफल है?

प्रभासाक्षी ने अपने खास साप्ताहिक कार्यक्रम शौर्य पथ में ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) डीएस त्रिपाठी से जब भारत की अफगानिस्तान नीति पर बात की तो उन्होंने कहा कि भारत की अफगानिस्तान नीति हमेशा से ही अपने इस पड़ोसी देश की मदद करने की रही है। उन्होंने कहा कि आदि काल में राजाओं और तत्कालीन शासकों ने की। स्वतंत्र भारत ने भी अफगानिस्तान को तमाम तरह की मदद दी। अफगानिस्तान की संसद का निर्माण हो या वहां पुल और सड़कें बनाने की बात हो या फिर सौर ऊर्जा के जरिये गांवों में बिजली पहुँचाने की बात हो… भारत ने वहां कभी भी अपने हाथ पीछे नहीं खींचे। अभी भी जब अफगानिस्तान को सबसे ज्यादा मानवीय मदद की जरूरत है तब भारत ही वहां पर रिकॉर्ड मात्रा में अन्न, दवाइयां, कंबल, टैंट और अन्य उपयोगी सामान बहुतायत में भेज रहा है ताकि कोई भूखा नहीं रहे।
ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) डीएस त्रिपाठी ने कहा कि इसके साथ ही अफगानिस्तान में जब-जब सर्वे हुए हैं, तब-तब यह सामने आया है कि अफगान जनता के दिल में भारत और भारतीय बसते हैं क्योंकि यहां के लोग उस देश की निस्वार्थ मदद करते हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा तालिबान भी यह देख रहा है कि अफगानिस्तान के विकास में भारत की कितनी बड़ी भूमिका रही है इसलिए उसका नजरिया भी भारत के प्रति बदला हुआ नजर आ रहा है।

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उन्होंने कहा कि साथ ही भारत अफगानिस्तान को लेकर कितना गंभीर है इसका अंदाजा इसी से लगता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने अफगानिस्तान को लेकर कई देशों की एक बैठक दिल्ली में बुलाई थी। इस दिल्ली डॉयलॉग से कई सार्थक चीजें निकल कर आई थीं। यही नहीं हाल ही में कुछ विदेशी मंचों पर भी भारत ने अफगान को लेकर विभिन्न देशों के साथ वार्ताएं की हैं। उन्होंने कहा कि भारत की अफगान नीति पूरी तरह सफल सिद्ध हो रही है।

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