आज विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर बोलते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने विरोध के डबल स्टैंडर्ड पर जमकर प्रहार किया। उन्होंने कहा कि जिस वंदे मातरम गीत ने देश के लिए मर मिटने की प्रेरणा दी थी। हिन्दुस्तान के हर कोने में वंदे मातरम चेतना का स्वर बन गया था। तृष्टिकरण की राजनीति के चलते इन्होंने मां भारती के टुकड़े किए इतना नहीं वंदे मातरम गीत के भी टुकड़े कर दिए। ये भारत तेरे टुकड़े होंगे नारा लगाने वाले लोगों को बढ़ावा देने के लिए पहुंच जाते हैं। इस दौरान पीएम मोदी ने कच्चाथीवू द्वीप का जिक्र किया। उन्होंने पूछा कि क्या वो मां भारती का अंग नहीं थाँ? इसको भी आपने तोड़ा। उस समय श्रीमती इंदिरा गांधी का शासन था। कांग्रेस का इतिहास मां भारती को छिन्न-भिन्न करने का रहा है। प्रधानमंत्री ने डीएमकी की सरकार की तरफ से लिखे गए पत्र का भी जिक्र किया।
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स्टालिन का पत्र
बता दें कि हाल ही में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के साथ प्रमुख मुद्दों को उठाने के लिए कहा, जिसमें कच्चाथीवू द्वीप का मामला, श्रीलंकाई अधिकारियों द्वारा भारतीय मछुआरों की हिरासत और तमिलों की आकांक्षाएं शामिल हैं। कच्चाथीवु को पुनः प्राप्त करने की मांग का हवाला देते हुए, स्टालिन के पत्र में कहा गया कि यह द्वीप ऐतिहासिक रूप से भारत का हिस्सा रहा है, और तमिलनाडु के मछुआरे पारंपरिक रूप से इस द्वीप के आसपास के पानी में मछली पकड़ते रहे हैं।
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कच्चाथीवू द्वीप कहाँ है?
कच्चाथीवू द्वीप पाक जलडमरूमध्य में एक छोटा सा निर्जन द्वीप है, जो बंगाल की खाड़ी को अरब सागर से जोड़ता है। यह श्रीलंका और भारत के बीच एक विवादित क्षेत्र है, जिस पर 1976 तक भारत दावा करता था और वर्तमान में इसका प्रबंधन श्रीलंका द्वारा किया जाता है।
द्वीप का इतिहास
कच्चाथीवू द्वीप का निर्माण 14वीं शताब्दी में ज्वालामुखी विस्फोट के कारण हुआ था। रामनाड (वर्तमान रामनाथपुरम, तमिलनाडु) के राजा के पास कच्चातिवु द्वीप था और यह बाद में मद्रास प्रेसीडेंसी का हिस्सा बन गया। 1921 में श्रीलंका और भारत दोनों ने मछली पकड़ने के लिए भूमि के इस टुकड़े पर दावा किया और विवाद अनसुलझा रहा। ब्रिटिश शासन के दौरान 285 एकड़ भूमि का प्रशासन भारत और श्रीलंका द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता था।
कच्चाथीवू द्वीप मुद्दा क्या है?
दोनों देशों के मछुआरे बहुत लंबे समय से बिना किसी विवाद के एक-दूसरे के जलक्षेत्र में मछली पकड़ रहे हैं। यह मुद्दा तब उभरा जब भारत-श्रीलंका ने समुद्री सीमा समझौते पर हस्ताक्षर किए। समझौतों ने भारत और श्रीलंका की अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा को चिह्नित किया। समझौते का उद्देश्य पाक जलडमरूमध्य में संसाधन प्रबंधन और कानून प्रवर्तन को सुविधाजनक बनाना है। अब, भारतीय मछुआरों को केवल आराम करने, जाल सुखाने और वार्षिक सेंट एंथोनी उत्सव के लिए द्वीप का उपयोग करने की अनुमति थी। उन्हें मछली पकड़ने के लिए द्वीप का उपयोग करने की अनुमति नहीं है। अगले कुछ दशक अच्छे बीते लेकिन समस्या तब गंभीर हो गई जब भारतीय महाद्वीपीय शेल्फ में मछली और जलीय जीवन समाप्त हो गया, जिसके परिणामस्वरूप इस क्षेत्र में भारतीय मछुआरों की संख्या में वृद्धि हुई। वे आधुनिक मछली पकड़ने वाली ट्रॉलियों का भी उपयोग कर रहे हैं जो समुद्री जीवन और पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाते हैं।